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देर तक ऑनलाइन क्लास लगाना हो सकता है घातक, नेत्र विशेषज्ञ ने किया अलर्ट - online classes bad

आईजीएमसी के आई विभाग के एचओडी डॉ. रामलाल शर्मा ने ईटीवी से विशेष बातचीत में बताया कि मोबाइल पर अगर आधे घंटे से ज्यादा पढ़ाई करते हैं तो ये उनके लिए घातक साबित हो सकता है. लगातार 2 से 3 घंटे तक छोटी स्क्रीन में पढ़ाई करना घातक हो सकता है.

IGMC doctor Ramlal Sharma
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Published : Jun 12, 2020, 8:49 PM IST

शिमलाः कोरोना वायरस महामारी से बचने के लिए प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद किए गए हैं. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई खराब ना हो इसके लिए सरकार ने ऑनलाइन क्लास लगाने का फैसला लिया था, लेकिन अधिकतर स्कूली छात्रों के पास लैपटॉप या पीसी नहीं होने के कारण वे मोबाइल से ही ऑनलाइन पढ़ाई करते हैं. जिससे उनकी आंखों पर असर पड़ने लगा है. ऐसे में बहुत से बच्चों को या तो चश्मा लग रहा है और जिनको पहले से ही चश्मे लगे हैं, उनका नंबर बढ़ रहा है.

इस बारे में आईजीएमसी आई विभाग के एचओडी डॉ. रामलाल शर्मा ने ईटीवी से विशेष बातचीत में बताया कि लॉकडाउन में स्कूलों की ओर से ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है, लेकिन अगर बच्चे मोबाइल पर आधे घंटे से ज्यादा पढ़ाई करते हैं तो ये उनके लिए घातक साबित हो सकता है.

वीडियो.

डॉ. रामलाल शर्मा का कहना है कि 15 से 30 मिनट तक ऑनलाइन पढ़ाई करने से ज्यादा नुकसान नहीं है, लेकिन लगातार 2 से 3 घंटे तक छोटी स्क्रीन में पढ़ाई करना घातक हो सकता है. डॉ राम लाल ने बताया कि यदि कंप्यूटर, लैपटॉप से 3 मीटर की दूरी से पढ़ाई की जाए तो आंखों को कम नुकसान होता है, लेकिन नजदीक से पढ़ाई करना घातक हो सकता है.

उन्होंने कहा कि अध्यापकों को चाहिए कि ऑनलाइन लिखित पढ़ाई देर तक ना करवाएं बल्कि बीच मे ऑडियो से पढ़ाई करवाने की कोशिश करें. उनका कहना था कि उनके पास परिजनों के फोन भी आ रहे हैं और बच्चे भी अस्पताल पहुंच रहे हैं, जो ऑनलाइन पढ़ाई करके आंखों की बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं.

यही नहीं, 5 से 15 साल के बच्चों को भी ऑनलाइन पढ़ाई से चश्मे लग सकते हैं और जिन्हें चश्मे लगे हैं, उन्हें अधिक नंबर का चश्मा लग सकता है. गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान स्कूलों की ओर से ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि देर तक छोटी स्क्रीन से पढ़ने पर आंखों को नुकसान हो सकता है.

ये भी पढ़ें- वायरल ऑडियो मामला: पृथ्वी सिंह को मिली जमानत, 7 जून को हुआ था गिरफ्तार

ये भी पढ़ें- धवाला ने संजय रतन के आरोपों को नकारा, कहा- अपने समय में किया है जमकर भ्रष्टाचार

शिमलाः कोरोना वायरस महामारी से बचने के लिए प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद किए गए हैं. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई खराब ना हो इसके लिए सरकार ने ऑनलाइन क्लास लगाने का फैसला लिया था, लेकिन अधिकतर स्कूली छात्रों के पास लैपटॉप या पीसी नहीं होने के कारण वे मोबाइल से ही ऑनलाइन पढ़ाई करते हैं. जिससे उनकी आंखों पर असर पड़ने लगा है. ऐसे में बहुत से बच्चों को या तो चश्मा लग रहा है और जिनको पहले से ही चश्मे लगे हैं, उनका नंबर बढ़ रहा है.

इस बारे में आईजीएमसी आई विभाग के एचओडी डॉ. रामलाल शर्मा ने ईटीवी से विशेष बातचीत में बताया कि लॉकडाउन में स्कूलों की ओर से ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है, लेकिन अगर बच्चे मोबाइल पर आधे घंटे से ज्यादा पढ़ाई करते हैं तो ये उनके लिए घातक साबित हो सकता है.

वीडियो.

डॉ. रामलाल शर्मा का कहना है कि 15 से 30 मिनट तक ऑनलाइन पढ़ाई करने से ज्यादा नुकसान नहीं है, लेकिन लगातार 2 से 3 घंटे तक छोटी स्क्रीन में पढ़ाई करना घातक हो सकता है. डॉ राम लाल ने बताया कि यदि कंप्यूटर, लैपटॉप से 3 मीटर की दूरी से पढ़ाई की जाए तो आंखों को कम नुकसान होता है, लेकिन नजदीक से पढ़ाई करना घातक हो सकता है.

उन्होंने कहा कि अध्यापकों को चाहिए कि ऑनलाइन लिखित पढ़ाई देर तक ना करवाएं बल्कि बीच मे ऑडियो से पढ़ाई करवाने की कोशिश करें. उनका कहना था कि उनके पास परिजनों के फोन भी आ रहे हैं और बच्चे भी अस्पताल पहुंच रहे हैं, जो ऑनलाइन पढ़ाई करके आंखों की बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं.

यही नहीं, 5 से 15 साल के बच्चों को भी ऑनलाइन पढ़ाई से चश्मे लग सकते हैं और जिन्हें चश्मे लगे हैं, उन्हें अधिक नंबर का चश्मा लग सकता है. गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान स्कूलों की ओर से ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि देर तक छोटी स्क्रीन से पढ़ने पर आंखों को नुकसान हो सकता है.

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