शिमलाः हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी ऑफ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी को गेस्ट फैकल्टी प्रोग्राम करवाने की मंजूरी मिल गई है. इस मंजूरी के बाद अब देश भर से प्रोफेसर और रिसर्च स्कॉलर एचपीयू आकर रिसर्च कर सकेंगे. अगस्त में भूकंप से होने वाले नुकसान और नींव को मजबूत बनाने के लिए सिविल इंजीनियरिंग स्तर पर रिसर्च शुरू होगी.
यूआईआईटी की ओर से प्रकृति प्रोग्राम करवाने की मंजूरी के बाद अगस्त और अक्टूबर महीने में दो प्रोग्राम होंगे. इस रिसर्च में सिविल इंजीनियर भूकंप रिसर्च करेंगे. इस रिसर्च में भवनों को सुरक्षित रखने पर शोध होगा. इस रिसर्च पर होने वाला खर्चा दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी उठाएगा.
शिमला भूकंप का हॉटस्पॉट
शिमला का लक्कड़ बाजार, कृष्णा नगर और लोअर बाजार सीकिंग जोन में आता है. इलाकों में बनी बिल्डिंग की बुनियाद पुरानी होने की वजह से कमजोर हो गई है. ऐसे में यह रिसर्च यहां के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा. अगस्त महीने में होने वाले इस रिसर्च से शहर के मकानों की नींव सुरक्षित करने पर काम होगा.
चंबा में सबसे ज्यादा भूकंप
पहाड़ी राज्य होने की वजह से भूकंप प्रदेश के लिए बड़ा खतरा है. प्रदेश को भूकंप के लिहाज से हॉटस्पॉट माना जाता है. बीते 10 साल में प्रदेश में आए भूकंप के झटकों में 40 फीसदी से ज्यादा भूकंप का केंद्र चंबा या उसके आसपास का क्षेत्र रहा है.
1905 में भूकंप से दहला था कांगड़ा
4 अप्रैल 1905 को तत्कालीन पंजाब प्रांत के हिस्सा रहे कांगड़ा में जोरदार भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.8 मापी गई थी. इस भूकंप से 20 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई थी.
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