शिमला: विश्वविद्यालय प्रशासन के पास बहुत से ऐसे भवन है, जिन्हें बनाकर तैयार कर दिया गया है और बिना एनओसी के इन भवनों में छात्रों सहित शिक्षकों को भी ठहराया जा रहा है. विश्वविद्यालय के पास वर्षों पहले बने गर्ल्स और बॉयज हॉस्टल के साथ ही अकादमी स्टाफ कॉलेज, ट्राईबल हॉस्टल के अलावा अन्य कई भवनों की एनओसी ही नहीं है.
एनओसी ना होने की वजह से अब अब विश्वविद्यालय प्रशासन को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. प्रशासन इन भवनों में कोई भी कार्य प्रशासन नहीं कर पा रहा है. यही वजह है कि अब आनन-फानन में इस प्रक्रिया को विश्वविद्यालय कुलपति के आदेशों पर पूरा किया जा रहा है. एचपीयू में एक ट्राइबल हॉस्टल का भवन वर्षों पहले बनाकर तैयार कर दिया गया है. इस भवन में करोड़ों का खर्च हुआ है, लेकिन भवन की एनओसी एचपीयू के पास न होने के चलते विश्वविद्यालय प्रशासन इस भवन में न तो पानी और बिजली का कनेक्शन नहीं ले पा रहा है. इसके अलावा कई भवन ऐसे भी है जो बनकर पूरी तरह से तैयार हो गए हैं और भवनों में छात्रों सहित शिक्षक भी इन भवनों में रह रहे हैं, लेकिन सरकार और लोकनिर्माण विभाग का इस ओर कोई ध्यान गया.
ये मामला एचपीयू के संज्ञान में तब आया जब कई भवनों पर खर्च किए गए बजट का यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट ही एचपीयू नहीं दे पाया. ऐसे में पता चला कि बजट खर्च कर भवन तो करोड़ों की लागत से खड़े कर दिए गए हैं, लेकिन उनकी एनओसी एचपीयू के पास है ही नहीं.
इस पूरे मामले पर एचपीयू कुलपति प्रो सिंकदर कुमार का कहना है कि बहुत से भवन ऐसे हैं, जिनकी एनओसी एचपीयू के पास नहीं है और न ही लेने का प्रयास किया गया है. अब प्राथमिकता के तौर पर कॉर्पोरेशन और सरकार के विभाग से बात कर एनओसी लेने की प्रक्रिया को पूरा किया जा रहा है.