शिमला: विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस ने प्रदेश की जनता को 10 गारंटियां दी थी. सत्ता में आने पर इन गारंटियों को पूरा करने का दावा और वादा किया गया था. दस गारंटियों में से एक गारंटी 300 यूनिट फ्री बिजली देने का था. चुनाव में शानदार सफलता के बाद कांग्रेस की सरकार बनी. अब सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को सरकार की कमान संभाले हुए छह माह का समय हो गया है, लेकिन 300 यूनिट बिजली वाली गारंटी का इंतजार बरकरार है.
एक वादा पूरा, बाकी सब अधूरे- हिमाचल बेशक उर्जा राज्य है, लेकिन प्रदेश की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि मुफ्त की रेवडिय़ां बांटी जा सकें. बिजली बोर्ड खुद आर्थिक संकट से घिरा हुआ है. निशुल्क बिजली के लिए उसे सरकार से अनुदान चाहिए. सरकार के खजाने की हालत ये है कि नए वित्त वर्ष की पहली ही तिमाही में उसे 800 करोड़ रुपए का कर्ज लेना पड़ा है. सुखविंदर सिंह सरकार ने सिर्फ ओपीएस का वादा पूरा किया है बाकी की सारी गारंटियां अधर में हैं. आइए, देखते हैं कि हिमाचल में बिजली उत्पादन की क्या स्थिति है और 300 यूनिट निशुल्क बिजली देने का वादा पूरा करने के रास्ते में क्या-क्या बाधाएं हैं?
हिमाचल प्रदेश में 23 लाख से अधिक विद्युत उपभोक्ता हैं. अन्य राज्यों के मुकाबले हिमाचल में उर्जा संकट अपेक्षाकृत कम है. कारण ये है कि हिमाचल में जलविद्युत परियोजनाएं पर्याप्त बिजली पैदा करती हैं. गर्मियों में हिमाचल सरप्लस बिजली पड़ोसी राज्यों को बैंकिंग सिस्टम पर देता है. वहीं, सर्दियों में बिजली का उत्पादन कम होने पर हिमाचल को अन्य राज्यों से बिजली लेनी पड़ती है. राज्य में पूर्व की जयराम सरकार ने पहले ही 125 यूनिट निशुल्क बिजली देने का फैसला लिया था. इस फैसले से 14 लाख से अधिक उपभोक्ता जीरो बिल की श्रेणी में आ गए हैं. उपभोक्ताओं को 125 यूनिट निशुल्क बिजली देने के लिए सरकार पर हर महीने 50 करोड़ रुपए से अधिक का बोझ पड़ रहा है. राज्य सरकार निशुल्क बिजली की एवज में हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड को अनुदान देती है.
अब सुखविंदर सिंह सरकार को अपने वादे के अनुसार उपभोक्ताओं को 300 यूनिट फ्री बिजली देनी है. अगर राज्य सरकार ये वादा पूरा करती है तो 18 लाख के करीब उपभोक्ताओं का बिजली बिल शून्य हो जाएगा. बिजली बोर्ड की सब्सिडी और अन्य खर्चों के लिए राज्य सरकार को सालाना अनुमानित 900 करोड़ रुपए खर्च करना होगा. अभी राज्य सरकार की आर्थिक हालत ये है कि खजाना इतना बड़ा बोझ उठाने के काबिल नहीं है. ऐसे में सुखविंदर सिंह सरकार के पास निशुल्क बिजली देने के लिए बहुत सीमित विकल्प हैं.
मुफ्त बिजली से सरकारी खजाने को लगेगा जोर का 'झटका'- हिमाचल में पूर्व की जयराम सरकार ने अगस्त 2022 में 125 यूनिट निशुल्क बिजली प्रदान करने का सुविधा शुरू की थी. उस समय तत्कालीन सीएम जयराम ठाकुर ने कहा था कि 125 यूनिट निशुल्क बिजली से 14,62,130 उपभोक्ताओं के बिजली बिल शून्य हो गए. राज्य में कुल 22,59,645 घरेलू बिजली उपभोक्ता हैं. पहले जब निशुल्क बिजली की सुविधा नहीं थी तो न्यूनतम 600 रुपये बिजली का बिल आता था. पूर्व सरकार द्वारा 125 यूनिट निशुल्क बिजली से औसतन 41 से 50 करोड़ रुपए का बोझ खजाने पर पड़ा था.
दिसंबर 2022 में जब कांग्रेस सरकार ने सत्ता संभाली तो 10 गारंटियों पर काम करने का वादा किया था. बिजली बोर्ड को भी 300 यूनिट निशुल्क बिजली प्रदान करने से जुड़ी कैलकुलेशन के लिए कहा गया था. बिजली बोर्ड ने 300 यूनिट निशुल्क बिजली से संबंधित फाइल वर्क किया तो पाया कि इससे सरकार को हर महीने 65 से 70 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च वहन करना होगा.
हिमाचल में बिजली उत्पादन और चुनौती- हिमाचल एक ऊर्जा राज्य है. जहां 27,436 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है. इसमें से राज्य ने 11,519 मेगावाट का दोहन किया है, जिसका 7.6 फीसदी हिमाचल सरकार और शेष केंद्र सरकार के नियंत्रण में है. उनमें से भी हर परियोजना में 12% रॉयल्टी बिजली के रूप में भी मिलती है. हिमाचल में औसतन 2400 मिलियन यूनिट बिजली की खपत घरेलू उपभोक्ता करते हैं और करीब 6000 मिलियन यूनिट बिजली उद्योग जगत की खपत है. हिमाचल हर साल 3000 मिलियन यूनिट के करीब बिजली देश के अन्य राज्यों को या तो बैंकिंग के आधार पर देता है या बेचता है.
विद्युत मामलों के जानकार हीरालाल वर्मा का कहना है कि राज्य सरकार को हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड की तरफ ध्यान देना होगा. बोर्ड आर्थिक संकट में है. फंक्शनल पद खाली पड़े हैं और निशुल्क बिजली जैसी योजनाओं से आर्थिक बोझ बढ़ता है. इस समय हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड 1800 करोड़ रुपए से अधिक के घाटे में चल रहा है. ये स्थिति चिंताजनक है. कई जानकार मानते हैं कि हिमाचल में हाइड्रो पावर की असीम संभावनाएं हैं जो सरकारी खजाने को भर सकती है और बिजली बोर्ड पर पड़ रहे आर्थिक बोझ को भी कम कर सकती है. हालांकि हाइड्रो पावर सेक्टर निवेश के हिसाब से बहुत महंगा है.
सोलर पावर से पूरी हो सकती है गारंटी- मौजूदा समय में देश और दुनियाभर में सोलर पावर का चलन बढ़ा है. सीएम सुखविंदर सिंह के अनुसार हिमाचल को सोलर पावर सेक्टर पर अधिक ध्यान देना होगा. सीएम का कहना है कि हिमाचल यदि 250 मेगावाट सोलर पावर उत्पादन करने में सफल हो जाता है तो ये वादा पूरा करने में आसानी होगी. राज्य सरकार का कहना है कि सर्दियों में हिमाचल को पड़ोसी राज्यों से बैंकिंग के आधार पर बिजली लेनी पड़ती है. यदि हिमाचल के उत्पादन में ये 250 मेगावाट अतिरिक्त जुड़ जाए तो बिजली खरीदने की जरूरत खत्म हो जाएगी. इस तरह जो पैसा बचेगा, उससे 300 यूनिट फ्री बिजली का वादा आसानी से पूरा हो सकता है.
सोलर पावर प्रोडक्शन के लिए खास तामझाम की जरूरत नहीं है. पर्याप्त जमीन हो तो सोलर पावर प्लांट स्थापित हो सकता है. यही नहीं, सोलर पावर प्लांट से सर्दियों में भी उत्पादन निर्बाध जारी रह सकता है. सर्दियों में नदियों में पानी कम होने से बिजली उत्पादन गिर जाता है. उस कमी को सोलर पावर से पूरा किया जा सकता है. सीएम सुखविंदर सिंह के अनुसार राज्य सरकार ने वर्ष 2023-24 में 500 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने का लक्ष्य तय किया है. अपने पहले बजट में हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने की पहल करते हुए मुख्यमंत्री ने सोलर एनर्जी के क्षेत्र में भी कई घोषणाएं की थी. इनमें से 200 मेगावाट क्षमता की सौर उर्जा परियोजनाएं हिमाचल प्रदेश पावर कारपोरेशन यानी एचपीपीसीएल स्थापित करेगी. अभी 200 मेगावाट में से 70 मेगावाट क्षमता के लिए भूमि का चयन कर लिया गया है. इसके अलावा हिम ऊर्जा भी 150 मेगावाट क्षमता तक की सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करेगा. इन परियोजनाओं में हिमाचल के निवासियों को प्राथमिकता दी जाएगी.
ये भी पढ़ें: Free Electricity देनी है तो स्मार्ट मीटर लगाने की क्या जरूरत, बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने ही खड़े किए सवाल!