शिमला: राजधानी शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर एक बार फिर से पहले से नजारे नजर आने लगे हैं. घोड़ों की टाप फिर से इस रिज मैदान पर गूंजने लगी है और इन घोड़ों पर सवार बच्चों की खुशी और हंसी से रिज मैदान पर रौनक लौटने लगी है.
साढ़े तीन माह के बाद रिज मैदान पर घुड़सवारी का दौर फिर से शुरू हुआ है. लोग अपने घरों से बाहर निकल कर रिज मैदान पर आ रहे हैं और बच्चों को घुड़सवारी भी करवा रहे हैं. कोविड-19 की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के बीच में रिज मैदान पर घुड़सवारी करने पर रोक लगा दी गई थी.
यही वजह भी थी कि जो घोड़े यहां रिज मैदान पर दिन भर इधर से उधर भागते हुए नजर आते थे. बच्चे और लोग इन घोड़ों पर बैठकर घुड़सवारी का लुत्फ रिज मैदान पर उठाते थे वह सब अचानक से बंद हो गया.
जिन घोड़ा पालकों की आमदनी इसी काम पर निभर्र करती थी वह भी लॉकडाउन के समय में बिना किसी काम के घर बैठने को मजबूर हो गए थे, लेकिन अब एक बार फिर से रिज पर जब घुड़सवारी करवाने को लेकर अनुमति दे दी गई है तो इससे रिज मैदान की रौनक वापिस आने के साथ ही इन घोड़ा पालकों को भी राहत मिली है.
अभी तक काम बंद था तो ऐसे में रिज मैदान पर अपने घोड़े चलाने वाले घोड़ा पालकों को अपने घर परिवार का गुजरबसर करना भी मुश्किल हो गया था. यहां तक कि घोड़ों के लिए भी चारा वो नहीं जुटा पा रहे थे. घास के साथ ही दाना अपने घोड़ों के लिए मुहैया करवाने में भी उन्हें दिक्कतें आ रही थीं.
घोड़े ना चलने से आमदनी का साधन भी बंद हो गया था, लेकिन अब जब काम एक बार फिर से शुरू हुआ है तो राहत और उम्मीद भी इन घोड़ा पालकों को मिली है. पहले ही दिन जैसे ही रिज मैदान पर घुड़सवारी शुरू हुई और घोड़े रिज मैदान पर नजर आए तो इन्हें देखकर बच्चों के चहरे खिल उठे. अभिभावकों की भी बच्चों की जिद के आगे एक ना चली और उन्हें बच्चों को घुड़सवारी करवानी ही पड़ी.
घुड़सवारी शुरू होने के बाद घोड़े वालों के चेहरे पर भी खुशी दिखी. उन्होंने कहा कि यह तीन माह से अधिक का समय काफी परेशानियों से भरा था. अंदर रह कर उनके घोड़ों में भी उन्हें परेशान किया. परिवार का गुजर बसर तो एनजीओ की ओर से दी गई मदद से चल पड़ा, लेकिन अब राहत यह है कि काम कर बार फिर से काम शुरू हो गया है.
बता दें कि घोड़ा चालकों की ज्यादातर आय स्थानीय लोगों पर ही निर्भर करती है, ऐसे में उन्हें इंतजार है कि जब स्कूल खुलेंगें तो उनका काम एक बार फिर से रफ्तार पकड़ेगा ओर उनका काम बेहतर होगा.
काम हुआ प्रभावित पर नहीं बढ़ाए दाम
भले ही साढ़े तीन महीने तक काम ठप रहा है लेकिन उसके बाद हो घोड़े वालों ने घुड़सवारी के दाम नहीं बढ़ाए है. उनका कहना है कि अभी दाम वही रखे जाएंगे अगर आगे महंगाई ओर बढ़ती है तब इस दाम बढ़ाने के बारे में विचार किया जा सकता है.
शिमला के रिज़ मैदान पर यह घोड़े ओर घुड़सवारी दोनों ही इसकी शान है. यहां आने वाले पर्यटकों के लिए भी यह आकर्षण का केंद्र है. वहीं शिमला में रहने बच्चें तो जब भी रिज़ मैदान या मॉलरोड पर घूमने के लिए आते है तो वह बिना घुड़सवारी किए वापिस घर नहीं जाते है.
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