शिमला: देवभूमि के नाम से विख्यात हिमाचल प्रदेश शांत पहाड़ी राज्य है, लेकिन दुर्भाग्य से तेजी से भागते समय में यहां अपराध अपने पांव जमाने में कामयाब हो रहा है. एक साल की अवधि में अपराध की कुछ घटनाएं ऐसी हुई, जिसने शांत प्रदेश को चिंता में डाल दिया है. चंबा में एक साधनहीन परिवार के युवा मनोहर की जिस नृशंस तरीके से हत्या हुई, उससे प्रदेश ही नहीं देश भी दहल गया था. मनोहर हत्याकांड की बर्बरता की चर्चा पूरे देश में हुई. इस हत्याकांड से एकबारगी तो हिमाचल में कम्युनल टेंशन की नौबत आ गई थी.
ये मामले रहे चर्चा में: इसी तरह साल के अंत में राज्य पुलिस के मुखिया से लेकर एक एसपी रैंक की अफसर को हाई कोर्ट ने उनके वर्तमान पद से हटाने के आदेश जारी किए. अदालत के इस आदेश से हिमाचल में टॉप पदों पर बैठे अफसरों के आचरण को लेकर भी बहस छिड़ गई. इस साल कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर की अधीक्षक उमा आजाद की गिरफ्तारी से लेकर खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत पन्नू की धमकियां चर्चा में रहीं.
हत्या के 84 केस दर्ज: ऊना में मुस्लिम समुदाय से संबंधित डॉक्टर नदीम अख्तर द्वारा शिवजी पर की गई अमर्यादित टिप्पणी का मामला भी सुर्खियों में रहा. हिमाचल पुलिस की तरफ से जारी आंकड़ों के लिहाज से देखें तो नवंबर माह के अंत तक हिमाचल में हत्या के 84 केस दर्ज किए गए. कुल अपराध के मामलों को देखें तो इस अवधि में 18,438 विभिन्न केस दर्ज हुए. यहां एक साल में हिमाचल में घटे अपराध के विभिन्न पहलुओं का जिक्र करेंगे.
देश भर में गूंजा मनोहर बर्बर हत्या मामला: जिला चंबा के दूरदराज इलाके किहार की भांदल पंचायत का युवक मनोहर खच्चरों पर सामान ढोकर अपनी आजीविका कमाता था. परिवार में बुजुर्ग पिता और मां ही उसका सहारा थे. जून की 5 तारीख को वो खच्चरों पर सामान लेकर गया था, लेकिन वापस नहीं लौटा. अगले दिन यानी 6 जून को परिजनों ने उसके लापता होने की सूचना पुलिस को दी. फिर 9 जून को मनोहर का शव क्षत-विक्षत हालत में पत्थरों के नीचे दबा मिला.
मुस्लिम परिवार ने की हत्या: उसके बाद पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज किया. मनोहर की हत्या कर उसकी पार्थिव देह के कुल्हाड़ी से कई टुकड़े किए गए थे. हत्या में शक की सुई इलाके के एक संपन्न मुस्लिम परिवार पर थी. ये शक सही निकला और पुलिस ने शरीफ मोहम्मद के परिवार के 11 सदस्यों को गिरफ्तार किया. इस नृशंस हत्या से पूरे चंबा जिले और प्रदेश में आक्रोश की लहर दौड़ गई. गुस्साए लोगों ने हत्या के आरोपी परिवार की अधवारी (एक तरह की पशुशाला) को आग लगा दी.
आरोपियों पर कार्रवाई: जन आक्रोश से घबराए पुलिस व जिला प्रशासन के अफसरों ने अपराधी शरीफ मोहम्मद द्वारा अवैध रूप से कब्जाई गई जमीन छुड़वाने की मुहिम चलाई. अपराधी शरीफ मोहम्मद के परिवार ने 16 बीघा वन भूमि व 18 बीघा से अधिक अन्य भूमि पर अवैध कब्जा किया हुआ था. आरोपी के परिवार के पास 17 लाख रुपए बैंक व पोस्ट ऑफिस में डिपाजिट पाए गए. हिंदू जागरण मंच के प्रदेश महामंत्री कमल गौतम ने इस घटना की एनआईए जांच की मांग की.
कालाबन सतरूंडी हत्याकांड को लेकर शक: आरोपी शरीफ मोहम्मद चंबा में कालाबन सतरूंडी हत्याकांड में भी शक के घेरे में था. वर्ष 1998 में 2 अगस्त की रात को हिजबुल के आतंकियों ने चंबा के कालाबन व सतरूंडी में 35 लोगों की हत्या कर दी थी. कुछ लोग उस हमले में लापता बताए गए. उस समय भी शरीफ मोहम्मद पर आतंकियों की मदद के आरोप लगे थे. फिलहाल, मनोहर हत्याकांड में आरोपियों पर केस चल रहा है और माता-पिता को न्याय का इंतजार है. हाल ही में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा था कि मनोहर हत्याकांड में पुलिस ने तत्परता से एक्शन लेते हुए शीघ्र ही आरोपियों को गिरफ्तार किया था. उन्होंने कानून व्यवस्था में सुधार का दावा भी किया.
मनोहर हत्याकांड के बाद कम्युनल टेंशन: ये बात गौर करने वाली है कि एक समय तो मनोहर हत्याकांड के कारण गुस्साई जनता काबू से बाहर हो गई थी. भाजपा के बड़े नेता पीड़ित परिवार के पास जाकर सांत्वना देना चाहते थे, लेकिन कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए उन्हें जाने नहीं दिया गया. इस घटना से दो समुदायों के बीच कम्युनल टेंशन पैदा हो गई थी. इसी तरह का एक अन्य कम्युनल टेंशन का खतरा ऊना के एक डॉक्टर नदीम अख्तर की भगवान शिवजी पर अमर्यादित टिप्पणी से पैदा हो गया था. आरोपी डॉक्टर महीनों न्यायिक हिरासत में रहने के बाद फिलहाल सशर्त जमानत पर बाहर है.
आंकड़ों की नजर में हिमाचल में अपराध: इस साल नवंबर 30 तारीख तक पुलिस की तरफ से जारी रिकार्ड के अनुसार प्रदेश में अपराध की कुल 18,438 घटनाएं हुईं. ये पिछले साल इसी अवधि के मुकाबले कम हैं. पिछले साल नवंबर तक 19,053 घटनाएं पेश आई थीं. साल 2023 में नवंबर महीने के अंत तक मर्डर के 84 मामले दर्ज हुए. वहीं, पिछले साल इसी अवधि में ये मामले 86 थे. यानी हत्या के मामलों में मामूली कमी आई है. यहां गौर किया जाए कि हिमाचल में 2014 में 131 मर्डर के केस दर्ज किए गए थे, जो एक दशक में सबसे अधिक हैं. उस दौरान प्रदेश में कांग्रेस सरकार सत्ता में थी. हत्या के प्रयास के इस दौरान 71 मामले आए. पिछले साल के मुकाबले इस अवधि के दौरान ये दो कम पाए गए.
हिमाचल में अपराध के आंकड़े: हिमाचल प्रदेश में नवंबर के अंत तक बलात्कार के कुल 329 मामले आए. इसमें भी पिछले साल के मुकाबले कमी आई है. पिछले साल इसी अवधि में रेप के 358 केस दर्ज किए गए थे. किडनैपिंग के इस साल नवंबर अंत तक 407 मामले पेश आए. ये भी पिछले साल के 414 मामलों के मुकाबले कम है. चोरी के इस साल 617 मामले दर्ज किए गए. पिछले साल ये आंकड़ा 670 का था. नशे की तस्करी से जुड़े मामलों में जरूर बढ़ोतरी हुई है. इस साल नवंबर तक हिमाचल में एनडीपीएस एक्ट के तहत 2012 मामले दर्ज किए गए. पिछले साल इसी अवधि में ये आंकड़ा 1516 था.
सड़क हादसों का आंकड़ा बढ़ा: ये एक दशक में एनडीपीएस एक्ट के तहत सबसे अधिक मामलों वाला साल है. राज्य में एससी व एसटी के खिलाफ अपराध के मामलों में भी मामूली कमी आई है. पिछले साल के 243 मामलों के मुकाबले इस साल नवंबर तक 235 केस सामने आए. पिछले साल नवंबर अंत तक महिलाओं के खिलाफ अपराध के 1605 मामलों के मुकाबले इस साल 1549 केस सामने आए. इस तरह हिमाचल में इस अवधि में क्राइम अगेंस्ट वीमेन भी कम हुए हैं. इस साल नवंबर महीने तक हिमाचल में रोड एक्सीडेंट में 774 लोग मारे गए. पिछले साल इसी अवधि में ये आंकड़ा 1001 लोगों की मौत का था. इस साल नवंबर तक 2059 हादसे हुए. पिछले साल ये आंकड़ा 2592 सड़क दुर्घटनाओं का था.
डीजीपी व एसपी रैंक के अफसर पर कानून का प्रहार: पालमपुर के कारोबारी निशांत शर्मा से जुड़े मामले में हाई कोर्ट ने राज्य के डीजीपी संजय कुंडू व कांगड़ा की एसपी शालिनी अग्निहोत्री को वर्तमान पोस्टिंग से हटाने के आदेश जारी किए हैं. कारोबारी निशांत शर्मा ने डीजीपी से अपनी व परिवार की जान को खतरा बताया था और इस बारे में हाई कोर्ट के सीजे को मेल लिखी थी. कारोबारी ने बताया कि उसे डीजीपी ने शिमला आकर मिलने के लिए बुलाया. उसे एसएचओ पालमपुर ने व्हाट्सएप पर मैसेज भेज कर शिमला जाकर डीजीपी से मिलने के लिए कहा. हाई कोर्ट ने मामले में कांगड़ा व शिमला पुलिस के एसपी से स्टेट्स रिपोर्ट मांगी थी. पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के गृह सचिव को डीजीपी व एसपी कांगड़ा को वर्तमान पोस्टिंग से हटाने के निर्देश दिए. इस तरह साल के अंत में कानून-व्यवस्था को लेकर खुद कानून की रक्षक पुलिस के टॉप अफसर निशाने पर आ गए.
ये भी पढ़ें: सुख की सरकार का एक साल, ओपीएस की हुई बहाली, सुख आश्रय कोष स्थापित, लेकिन गारंटियों पर बवाल