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Himachal Tourism: हिमाचल पर्यटन उद्योग पर आपदा की मार, 2 महीने में ₹2 हजार करोड़ का नुकसान, कारोबारियों को खर्चा निकालना भी हुआ मुश्किल!

हिमाचल में आई आपदा की मार हर सेक्टर पर पड़ा है. वहीं, हिमाचल की आर्थिक का एक बड़ा स्रोत पर्यटन उद्योग भी इसकी मार से अछूता नहीं रहा है. पिछले दो माह से हो रही भारी बारिश और सड़कें बंद होने से पर्यटन कारोबार पर ब्रेक लग गया है. राज्य दो दो महीने में करीब ₹2 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है. पढ़िए पूरी खबर...(Himachal Tourism)(Himachal tourism business affected)

Himachal tourism business affected
हिमाचल में पर्यटन कारोबार पर आपदा की मार
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 5, 2023, 11:05 AM IST

Updated : Sep 5, 2023, 12:39 PM IST

हिमाचल पर्यटन उद्योग पर आपदा की मार

शिमला: हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी का एक बड़ा स्रोत पर्यटन उद्योग है, लेकिन इन दिनों हिमाचल में पर्यटन उद्योग पटरी से उतर गया है. आपदा से हिमाचल का पर्यटन उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. बीते दो माह से पर्यटन उद्योग मंदी के दौर से गुजर रहा है. कोरोना को छोड़ दें तो आज तक के इतिहास में यह पहली दफा है कि पर्यटन कारोबार पर इतनी बुरी मार पड़ी है. हिमाचल प्रदेश के होटल दो माह से होटल खाली हैं. होटल कारोबारियों के पास होटल और स्टाफ का खर्च चलाने की चुनौती खड़ी हो गई है. प्रदेश में रोजगार देने वाला इस अहम क्षेत्र के मंदी से गुजरने से पर्यटन से जुड़े टैक्सी चालक सहित अन्य लोगों के सामने भी आजीविका का संकट पैदा हो गया है.

संकट में हिमाचल का पर्यटन उद्योग: हिमाचल में अबकी बार पर्यटन उद्योग संकट के दौर से गुजर रहा है. हालांकि, कोरोना काल में भी पर्यटन उद्योग प्रभावित हुआ था, लेकिन उसकी परिस्थितियां वैश्विक थी, लेकिन अबकी बार जो संकट पैदा हुआ है, इसकी वजह प्राकृतिक आपदा और लोकल कारण रहे हैं. प्रदेश में बीते दो माह से पर्यटक नहीं आ रहे. क्योंकि बारिश का दौर लगातार जारी रहा है. भारी बारिश से प्रदेश की लाइफ लाइन सड़कें बाधित हुई हैं और अन्य आधारभूत संरचना भी चरमरा गई. हालांकि सरकार ने अपनी ओर से अधोसंरचना को बहाल करने के लिए कदम उठाए, लेकिन आपदा इतनी भारी है कि इससे निपटने में काफी वक्त लग रहा है.

Himachal Tourism
पर्यटन कारोबार पर आपदा की मार

करीब दो हजार करोड़ का नुकसान: प्रदेश में आपदा के बाद सड़कें बंद होने से सैलानी हिमाचल आने की जहमत नहीं उठा रहे. इससे पर्यटन से जुड़ा हर क्षेत्र मंदी के दौर में चला गया है. एक अनुमान के मुताबिक हिमाचल में बीते दो माह में ही करीब दो हजार करोड़ का नुकसान पर्यटन को पहुंचा है. होटल मालिक से लेकर कर्मचारी, टैक्सी चालक, घोड़ा चालक, फोटोग्राफर, ढाबा और रेस्तरां संचालक भी इससे प्रभावित हुए हैं. हालात यह है कि होटलों के पास स्टाफ को सैलरी देने के लिए पैसे नहीं है. टैक्सी वाले अपनी गाड़ी की किस्त नहीं चुका पा रहे.

हिमाचल की जीडीपी में पर्यटन का योगदान: हिमाचल में बागवानी के साथ-साथ पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है, जो प्रदेश की आर्थिकी को बल देता है. मौजूदा समय में प्रदेश की जीडीपी का करीब 7 फीसदी हिस्सा पर्यटन से ही आता है, जो काफी ज्यादा है. हालांकि प्रदेश में पर्यटन के विकास की अपार संभावनाएं हैं. उनका दोहन कर इसकी जीडीपी में हिस्सेदारी को ओर अधिक बढ़ाया जा सकता है, लेकिन जिस तरह से पर्यटन प्रभावित हुआ है. उससे नए क्षेत्रों को विकसित करने में काफी वक्त लगेगा.

Himachal Tourism
हिमाचल में पर्यटन कारोबार प्रभावित

सालाना 12 हजार करोड़ खर्च करते हैं पर्यटक: हिमाचल में पर्यटकों पर होटल, रेस्तरां, ढाबे , टैक्सियां, घोड़े, गाइड और फोटोग्राफर सहित अन्य लोग निर्भर हैं. यानी पर्यटक इन मदों पर खर्च करता है, जिसका सीधा फायदा लोगों को मिलता है. प्रदेश में आने वाले पर्यटक सालाना करीब 12000 करोड़ रुपए का खर्च करते हैं. यह खर्च खाना-पीन और रहन-सहन के रूप में होता है. इससे हिमाचल की आर्थिकी को बल मिलता है. अगर खर्च की बात करें तो एक विदेशी सैलानी औसतन 93 हजार खर्च करता है. जबकि देश के दूसरे राज्यों के सैलानी औसतन 20 हजार का खर्च करते हैं. इसका फायदा सभी तरह के कारोबार से जुड़े लोगों को मिलता है, लेकिन आपदा के बाद से देश-विदेश से सैलानी फिलहाल हिमाचल नहीं पहुंच रहे.

Himachal Tourism
हिमाचल पर्यटन उद्योग

रोजगार का बड़ा जरिया है पर्यटन: पर्यटन उद्योग प्रदेश में रोजगार का एक बड़ा साधन है. प्रदेश में मौजूदा समय में 4,297 होटल और 3,733 होम स्टे यूनिट काम कर रहे हैं. इसके अलावा करीब 907 रेस्तरां हैं. प्रदेश करीब 4705 ट्रेवल एजेंसियां हैं, जो रोजगार देती हैं. इसके अलावा करीब 1136 फोटोग्राफर और 195 टूरिस्ट गाइड रजिस्ट्रड हैं. प्रदेश में प्रत्यक्ष रूप से करीब 2 लाख लोग पर्यटन संबंधी रोजगार से जुड़े हुए हैं, जो कुल रोजगार का करीब 3.89 फीसदी है. इसके अलावा प्रदेश में पैदा होने वाले अप्रत्यक्ष रोजगार में पर्यटन का हिस्सा करीब 10.53 फीसदी है. इस तरह कुल रोजगार का करीब 14.42 ( प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष) हिस्सा पर्यटन से हिमाचल में मिलता है. साफ है कि पर्यटन प्रभावित होने से हजारों परिवार प्रभावित हुए हैं और उनके सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है.

होटल के खर्चे निकालना हो रहा मुश्किल: होटल कारोबारी सुधीर सूद कहते हैं कि आपदा से पर्यटन कारोबार पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है. सड़कें बंद होने से सैलानी हिमाचल नहीं आ पाए. इससे उनका होटल का खर्च करना भी मुश्किल हो गया है. हालांकि वे उम्मीद जता रहे हैं कि जल्द ही स्थितियां ठीक हो जाएंगी और पर्यटन कारोबार पटरी पर लौटने लगेगा.

'आज तक नहीं देखी ऐसी मंदी': रिज पर घोड़ा चलाने वाले गुलामदीन कहते हैं कि वे 40 साल से यहां काम कर रहे हैं, लेकिन ऐसी आपदा नहीं देखी. कोराना काल में जरूर स्थितियां खराब हुई थीं, लेकिन अब फिर से उनको विकट परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि सैलानी नहीं आ रहे, जिससे वे बेकार बैठे हैं. ऐसी मंदी पहली बार देखने को मिली है.

Himachal Tourism
मंदी के दौर से गुजर रहा पर्यटन कारोबार

शिमला में फोटोग्राफर के सामने आई मुसीबत: शिमला में बीते 10 सालों में केसर वर्मा फोटोग्राफी का काम करते हैं. उन्होंने कहा कि आज तक ऐसा माहौल नहीं देखा, सुबह से शाम तक कोई सैलानी ही नहीं दिख रहा. आपदा से प्रदेश का पर्यटन कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. सड़कें खराब होने से सैलानी हिमाचल नहीं आए. यह सही है कि जान जोखिम में डालकर आना भी नहीं चाहिए, लेकिन अब जबकि परिस्थितियां ठीक होने लगी हैं तो सैलानियों से उम्मीद है कि वे शिमला सहित प्रदेश की वादियों में आएं और यहां के कुदरत का आनंद लें.

जून तक पहुंचे थे एक करोड़ सैलानी: प्रदेश में इस साल सैलानी हिमाचल का रूख कर रहे थे. इस साल जून माह तक प्रदेश में 1.06 करोड़ सैलानी पहुंच चुके थे, जबकि बीते साल इसी अवधि में 86.4 लाख सैलानी आए थे. इसके बाद बरसात शुरू हो गई. इस बरसात में प्रदेश में भारी भूस्खलन और बाढ़ की स्थिति पैदा कर दी. कई जगह सैलानी फंस गए. हालांकि, सरकार ने करीब 70 हजार सैलानियों को त्वरित कार्रवाई करते हुए बाहर निकाला, लेकिन आपदा का सीधा असर पर्यटन पर पड़ा. यही वजह है कि जून माह में जहां प्रदेश में 28,03,796 सैलानी हिमाचल आए थे. वहीं जुलाई माह में मात्र 8,90,220 सैलानी ही हिमाचल पहुंचे. इसके बाद अगस्त माह में स्थिति और भी खराब हो गई. क्योंकि प्रदेश में बड़ी संख्या में सड़कें बंद थीं. हालांकि सरकार का टारगेट दो करोड़ सैलानियों का था, लेकिन यह लक्ष्य खराब मानसून के चलते पूरा होने की संभावना नहीं है.

फोरलेन बंद होने से पर्यटन कारोबार प्रभावित: शिमला में काफी संख्या में हर साल सैलानी पहुंचते हैं. सालाना करीब 40 लाख सैलानी यहां आते हैं, लेकिन बीते दो माह से शिमला में भी सैलानी नहीं पहुंच रहे. चक्की मोड़ के पास फोरलेन के बार बार बंद होने से आवागमन बुरी तरह से प्रभावित रहा है. यही वजह है कि सैलानी शिमला भी नहीं पहुंच पाए. अब जबकि मौसम साफ हुआ है और रोड भी खुल गया है तो इक्का दुक्का सैलानी शिमला आ रहे हैं. शिमला से आगे ये सैलानी भी नहीं जा रहे. सैलानियों के न आने से होटल भी खाली चल रहे हैं. इस मौसम में शिमला में 40 से 50 फीसदी तक होटलों की ऑक्यूपेंसी रहती थी, लेकिन इन दिनों होटल खाली हैं. अब वीकेंड पर कुछ सैलानी आ रहे हैं और इस दौरान 20 फीसदी तक ऑक्यूपेंसी पहुंच रही है.

आपदा से मनाली हो गया बर्बाद: प्रदेश में भारी बारिश से सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं. वहीं कुल्लू घाटी में आपदा का सबसे ज्यादा प्रकोप देखने को मिला. कुल्लू के मनाली में ब्यास नदी के किनारे सड़कें बह गई हैं. हालांकि यातायात को वैकल्पिक सड़कों से मोड़ा जा रहा है. मंडी और कुल्लू के बीच पंडोह के पास लगातार भूस्खलन से सड़क बाध हो रही हैं. इससे आने वाले काफी समय तक कुल्लू मनाली का पर्यटन कारोबार प्रभावित होने की आशंका है.

सितंबर के आखिर तक हालात सामान्य होने के आसार: मौसम साफ होने से कारोबारी भी सैलानियों के आने की उम्मीद पाले हुए हैं. होटल एसोसिएशन के सदस्य अश्वनी सूद का कहना है कि धीरे-धीरे हालात सुधरने लगे हैं. होटलों में इंक्वायरी आ रही हैं और बुकिंग भी होने लगी है. उनका कहना है कि अगले दो सप्ताह तक सामान्य स्थिति होने की उम्मीद है. प्रदेश में मौसम सामान्य होने पर अब होटलियर भी सैलानियों को आकर्षित कर रहे हैं. प्रदेश में होटल 40 से 50 फीसदी तक छूट दे रहे हैं. शिमला होटल्स एंड टूरिज्म स्टेक होल्डर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहेंद्र सेठ ने कहा कि मौसम साफ होने के बाद अब हालात सही होने लगे हैं. वहीं होटलियर भी सैलानियों को पैकेज की पेशकश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली में अवकाश है, इससे वहां से सैलानियों की यहां पहुंचने की संभावना है. इसी तरह से अन्य राज्यों से भी यहां सैलानी आ सकेंगे. उन्होंने कहा कि सड़कें खुलने और मौसम साफ होने से सैलानी आसानी से शिमला और अन्य जगह आ सकते हैं.

हिमाचल पर्यटन उद्योग पर आपदा की मार

शिमला: हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी का एक बड़ा स्रोत पर्यटन उद्योग है, लेकिन इन दिनों हिमाचल में पर्यटन उद्योग पटरी से उतर गया है. आपदा से हिमाचल का पर्यटन उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. बीते दो माह से पर्यटन उद्योग मंदी के दौर से गुजर रहा है. कोरोना को छोड़ दें तो आज तक के इतिहास में यह पहली दफा है कि पर्यटन कारोबार पर इतनी बुरी मार पड़ी है. हिमाचल प्रदेश के होटल दो माह से होटल खाली हैं. होटल कारोबारियों के पास होटल और स्टाफ का खर्च चलाने की चुनौती खड़ी हो गई है. प्रदेश में रोजगार देने वाला इस अहम क्षेत्र के मंदी से गुजरने से पर्यटन से जुड़े टैक्सी चालक सहित अन्य लोगों के सामने भी आजीविका का संकट पैदा हो गया है.

संकट में हिमाचल का पर्यटन उद्योग: हिमाचल में अबकी बार पर्यटन उद्योग संकट के दौर से गुजर रहा है. हालांकि, कोरोना काल में भी पर्यटन उद्योग प्रभावित हुआ था, लेकिन उसकी परिस्थितियां वैश्विक थी, लेकिन अबकी बार जो संकट पैदा हुआ है, इसकी वजह प्राकृतिक आपदा और लोकल कारण रहे हैं. प्रदेश में बीते दो माह से पर्यटक नहीं आ रहे. क्योंकि बारिश का दौर लगातार जारी रहा है. भारी बारिश से प्रदेश की लाइफ लाइन सड़कें बाधित हुई हैं और अन्य आधारभूत संरचना भी चरमरा गई. हालांकि सरकार ने अपनी ओर से अधोसंरचना को बहाल करने के लिए कदम उठाए, लेकिन आपदा इतनी भारी है कि इससे निपटने में काफी वक्त लग रहा है.

Himachal Tourism
पर्यटन कारोबार पर आपदा की मार

करीब दो हजार करोड़ का नुकसान: प्रदेश में आपदा के बाद सड़कें बंद होने से सैलानी हिमाचल आने की जहमत नहीं उठा रहे. इससे पर्यटन से जुड़ा हर क्षेत्र मंदी के दौर में चला गया है. एक अनुमान के मुताबिक हिमाचल में बीते दो माह में ही करीब दो हजार करोड़ का नुकसान पर्यटन को पहुंचा है. होटल मालिक से लेकर कर्मचारी, टैक्सी चालक, घोड़ा चालक, फोटोग्राफर, ढाबा और रेस्तरां संचालक भी इससे प्रभावित हुए हैं. हालात यह है कि होटलों के पास स्टाफ को सैलरी देने के लिए पैसे नहीं है. टैक्सी वाले अपनी गाड़ी की किस्त नहीं चुका पा रहे.

हिमाचल की जीडीपी में पर्यटन का योगदान: हिमाचल में बागवानी के साथ-साथ पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है, जो प्रदेश की आर्थिकी को बल देता है. मौजूदा समय में प्रदेश की जीडीपी का करीब 7 फीसदी हिस्सा पर्यटन से ही आता है, जो काफी ज्यादा है. हालांकि प्रदेश में पर्यटन के विकास की अपार संभावनाएं हैं. उनका दोहन कर इसकी जीडीपी में हिस्सेदारी को ओर अधिक बढ़ाया जा सकता है, लेकिन जिस तरह से पर्यटन प्रभावित हुआ है. उससे नए क्षेत्रों को विकसित करने में काफी वक्त लगेगा.

Himachal Tourism
हिमाचल में पर्यटन कारोबार प्रभावित

सालाना 12 हजार करोड़ खर्च करते हैं पर्यटक: हिमाचल में पर्यटकों पर होटल, रेस्तरां, ढाबे , टैक्सियां, घोड़े, गाइड और फोटोग्राफर सहित अन्य लोग निर्भर हैं. यानी पर्यटक इन मदों पर खर्च करता है, जिसका सीधा फायदा लोगों को मिलता है. प्रदेश में आने वाले पर्यटक सालाना करीब 12000 करोड़ रुपए का खर्च करते हैं. यह खर्च खाना-पीन और रहन-सहन के रूप में होता है. इससे हिमाचल की आर्थिकी को बल मिलता है. अगर खर्च की बात करें तो एक विदेशी सैलानी औसतन 93 हजार खर्च करता है. जबकि देश के दूसरे राज्यों के सैलानी औसतन 20 हजार का खर्च करते हैं. इसका फायदा सभी तरह के कारोबार से जुड़े लोगों को मिलता है, लेकिन आपदा के बाद से देश-विदेश से सैलानी फिलहाल हिमाचल नहीं पहुंच रहे.

Himachal Tourism
हिमाचल पर्यटन उद्योग

रोजगार का बड़ा जरिया है पर्यटन: पर्यटन उद्योग प्रदेश में रोजगार का एक बड़ा साधन है. प्रदेश में मौजूदा समय में 4,297 होटल और 3,733 होम स्टे यूनिट काम कर रहे हैं. इसके अलावा करीब 907 रेस्तरां हैं. प्रदेश करीब 4705 ट्रेवल एजेंसियां हैं, जो रोजगार देती हैं. इसके अलावा करीब 1136 फोटोग्राफर और 195 टूरिस्ट गाइड रजिस्ट्रड हैं. प्रदेश में प्रत्यक्ष रूप से करीब 2 लाख लोग पर्यटन संबंधी रोजगार से जुड़े हुए हैं, जो कुल रोजगार का करीब 3.89 फीसदी है. इसके अलावा प्रदेश में पैदा होने वाले अप्रत्यक्ष रोजगार में पर्यटन का हिस्सा करीब 10.53 फीसदी है. इस तरह कुल रोजगार का करीब 14.42 ( प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष) हिस्सा पर्यटन से हिमाचल में मिलता है. साफ है कि पर्यटन प्रभावित होने से हजारों परिवार प्रभावित हुए हैं और उनके सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है.

होटल के खर्चे निकालना हो रहा मुश्किल: होटल कारोबारी सुधीर सूद कहते हैं कि आपदा से पर्यटन कारोबार पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है. सड़कें बंद होने से सैलानी हिमाचल नहीं आ पाए. इससे उनका होटल का खर्च करना भी मुश्किल हो गया है. हालांकि वे उम्मीद जता रहे हैं कि जल्द ही स्थितियां ठीक हो जाएंगी और पर्यटन कारोबार पटरी पर लौटने लगेगा.

'आज तक नहीं देखी ऐसी मंदी': रिज पर घोड़ा चलाने वाले गुलामदीन कहते हैं कि वे 40 साल से यहां काम कर रहे हैं, लेकिन ऐसी आपदा नहीं देखी. कोराना काल में जरूर स्थितियां खराब हुई थीं, लेकिन अब फिर से उनको विकट परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि सैलानी नहीं आ रहे, जिससे वे बेकार बैठे हैं. ऐसी मंदी पहली बार देखने को मिली है.

Himachal Tourism
मंदी के दौर से गुजर रहा पर्यटन कारोबार

शिमला में फोटोग्राफर के सामने आई मुसीबत: शिमला में बीते 10 सालों में केसर वर्मा फोटोग्राफी का काम करते हैं. उन्होंने कहा कि आज तक ऐसा माहौल नहीं देखा, सुबह से शाम तक कोई सैलानी ही नहीं दिख रहा. आपदा से प्रदेश का पर्यटन कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. सड़कें खराब होने से सैलानी हिमाचल नहीं आए. यह सही है कि जान जोखिम में डालकर आना भी नहीं चाहिए, लेकिन अब जबकि परिस्थितियां ठीक होने लगी हैं तो सैलानियों से उम्मीद है कि वे शिमला सहित प्रदेश की वादियों में आएं और यहां के कुदरत का आनंद लें.

जून तक पहुंचे थे एक करोड़ सैलानी: प्रदेश में इस साल सैलानी हिमाचल का रूख कर रहे थे. इस साल जून माह तक प्रदेश में 1.06 करोड़ सैलानी पहुंच चुके थे, जबकि बीते साल इसी अवधि में 86.4 लाख सैलानी आए थे. इसके बाद बरसात शुरू हो गई. इस बरसात में प्रदेश में भारी भूस्खलन और बाढ़ की स्थिति पैदा कर दी. कई जगह सैलानी फंस गए. हालांकि, सरकार ने करीब 70 हजार सैलानियों को त्वरित कार्रवाई करते हुए बाहर निकाला, लेकिन आपदा का सीधा असर पर्यटन पर पड़ा. यही वजह है कि जून माह में जहां प्रदेश में 28,03,796 सैलानी हिमाचल आए थे. वहीं जुलाई माह में मात्र 8,90,220 सैलानी ही हिमाचल पहुंचे. इसके बाद अगस्त माह में स्थिति और भी खराब हो गई. क्योंकि प्रदेश में बड़ी संख्या में सड़कें बंद थीं. हालांकि सरकार का टारगेट दो करोड़ सैलानियों का था, लेकिन यह लक्ष्य खराब मानसून के चलते पूरा होने की संभावना नहीं है.

फोरलेन बंद होने से पर्यटन कारोबार प्रभावित: शिमला में काफी संख्या में हर साल सैलानी पहुंचते हैं. सालाना करीब 40 लाख सैलानी यहां आते हैं, लेकिन बीते दो माह से शिमला में भी सैलानी नहीं पहुंच रहे. चक्की मोड़ के पास फोरलेन के बार बार बंद होने से आवागमन बुरी तरह से प्रभावित रहा है. यही वजह है कि सैलानी शिमला भी नहीं पहुंच पाए. अब जबकि मौसम साफ हुआ है और रोड भी खुल गया है तो इक्का दुक्का सैलानी शिमला आ रहे हैं. शिमला से आगे ये सैलानी भी नहीं जा रहे. सैलानियों के न आने से होटल भी खाली चल रहे हैं. इस मौसम में शिमला में 40 से 50 फीसदी तक होटलों की ऑक्यूपेंसी रहती थी, लेकिन इन दिनों होटल खाली हैं. अब वीकेंड पर कुछ सैलानी आ रहे हैं और इस दौरान 20 फीसदी तक ऑक्यूपेंसी पहुंच रही है.

आपदा से मनाली हो गया बर्बाद: प्रदेश में भारी बारिश से सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं. वहीं कुल्लू घाटी में आपदा का सबसे ज्यादा प्रकोप देखने को मिला. कुल्लू के मनाली में ब्यास नदी के किनारे सड़कें बह गई हैं. हालांकि यातायात को वैकल्पिक सड़कों से मोड़ा जा रहा है. मंडी और कुल्लू के बीच पंडोह के पास लगातार भूस्खलन से सड़क बाध हो रही हैं. इससे आने वाले काफी समय तक कुल्लू मनाली का पर्यटन कारोबार प्रभावित होने की आशंका है.

सितंबर के आखिर तक हालात सामान्य होने के आसार: मौसम साफ होने से कारोबारी भी सैलानियों के आने की उम्मीद पाले हुए हैं. होटल एसोसिएशन के सदस्य अश्वनी सूद का कहना है कि धीरे-धीरे हालात सुधरने लगे हैं. होटलों में इंक्वायरी आ रही हैं और बुकिंग भी होने लगी है. उनका कहना है कि अगले दो सप्ताह तक सामान्य स्थिति होने की उम्मीद है. प्रदेश में मौसम सामान्य होने पर अब होटलियर भी सैलानियों को आकर्षित कर रहे हैं. प्रदेश में होटल 40 से 50 फीसदी तक छूट दे रहे हैं. शिमला होटल्स एंड टूरिज्म स्टेक होल्डर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहेंद्र सेठ ने कहा कि मौसम साफ होने के बाद अब हालात सही होने लगे हैं. वहीं होटलियर भी सैलानियों को पैकेज की पेशकश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली में अवकाश है, इससे वहां से सैलानियों की यहां पहुंचने की संभावना है. इसी तरह से अन्य राज्यों से भी यहां सैलानी आ सकेंगे. उन्होंने कहा कि सड़कें खुलने और मौसम साफ होने से सैलानी आसानी से शिमला और अन्य जगह आ सकते हैं.

Last Updated : Sep 5, 2023, 12:39 PM IST
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