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Himachal News: पुलिस प्रापर्टी के कमर्शियल यूज पर हाई कोर्ट की रोक, SP चंबा ने एक कारोबारी को दी थी पुलिस ग्राउंड के इस्तेमाल की अनुमति - पुलिस ग्राउंड चंबा

हिमाचल प्रदेश में राज्य पुलिस की प्रापर्टी के कमर्शियल इस्तेमाल पर कोर्ट ने रोक लगा दी है. मामला पुलिस ग्राउंड चंबा से जुड़ा हुआ है. पढ़ें पूरी खबर... (Himachal Pradesh High Court).

हिमाचल हाई कोर्ट
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 18, 2023, 9:41 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अहम आदेश पारित करते हुए राज्य पुलिस की प्रापर्टी के कमर्शियल यूज पर रोक लगा दी है. अदालत ने कहा है कि पुलिस ग्राउंड व पुलिस की अन्य संपत्तियों का व्यावसायिक प्रयोग करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है. दरअसल, चंबा के एसपी ने एक कारोबारी के आवेदन पर उसे पुलिस ग्राउंड चंबा के इस्तेमाल की अनुमति दी थी. इसके लिए बीस हजार रुपए प्रति दिन के हिसाब से तीन लाख रुपए किराया देने का करार हुआ था. इस करार के नौ दिन बाद पुलिस प्रशासन ने ये अनुमति वापिस ले ली थी. इस पर कारोबारी ने राहत के लिए प्रदेश हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल के समक्ष हुई. अदालत ने प्रार्थी कारोबारी को कोई राहत देने से इनकार कर दिया और अपने आदेश में कहा कि पुलिस संपत्तियों का व्यवसायीकरण की इजाजत नहीं दी जा सकती है. न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने ये भी सुनिश्चित करने को कहा कि पुलिस अपने खेल मैदानों सहित अन्य संपत्तियों का कमर्शियल यूज न करे और न ही कोई दुरुपयोग किया जाए. साथ ही डीजीपी को आदेश दिए कि मामले की जांच की जाए और पता लगाया जाए कि किन परिस्थितियों में पुलिस ग्राउंड को कारोबारी गतिविधि के लिए देने का निर्णय लिया गया. अलबत्ता बाद में ये अनुमति वापिस ले ली गई थी, लेकिन हाई कोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं.

मामले के अनुसार मान्या गारमेंट्स ने पुलिस ग्राउंड चंबा का इस्तेमाल करने की अनुमति मांगी थी. एसपी चंबा ने प्रार्थी को 3 अक्टूबर पुलिस ग्राउंड का कमर्शियल गतिविधियों के लिए इस्तेमाल की अनुमति दी थी. इसके लिए 20,000 रुपए प्रतिदिन की दर से 15 दिन का कुल 3 लाख रुपए किराया देने का करार हुआ था. फिर प्रशासनिक कारणों का हवाला देते हुए पुलिस प्रशासन ने नौ दिन बाद अनुमति वापिस ले ली. हाई कोर्ट में प्रार्थी का कहना था कि उसने अनुमति मिलने के बाद ग्राउंड में दुकानें लगाने के लिए भारी राशि खर्च की है और पुलिस ने प्रशासनिक कारणों का हवाला देते हुए एकतरफा फैसला लिया है, लेकिन अदालत ने प्रार्थी की दलीलों से असहमति जताई.

अदालत ने कहा कि पुलिस ग्राउंड का इस्तेमाल व्यावसायिक गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकता इसलिए प्रार्थी को कोई राहत प्रदान नहीं की जा सकती. हाई कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि कैसे पुलिस ग्राउंड चंबा को कमर्शियल गतिविधियों के लिए देने का फैसला लिया गया, जबकि इसका इस्तेमाल केवल पुलिस अधिकारियों और कर्मियों द्वारा ही किया जा सकता है. हाई कोर्ट ने डीजीपी को आदेश दिए कि वह जांच कर पता करे कि किन परिस्थितियों में पुलिस ग्राउंड चंबा को व्यावसायिक गतिविधियों के लिए देने का फैसला लिया गया था.

ये भी पढ़ें- Himachal News: मालखाने में रखी चरस में से 33 किलो गायब, सरकार ने दिया चरस सूखने का तर्क तो नाराज हाई कोर्ट ने दिए जांच के आदेश

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अहम आदेश पारित करते हुए राज्य पुलिस की प्रापर्टी के कमर्शियल यूज पर रोक लगा दी है. अदालत ने कहा है कि पुलिस ग्राउंड व पुलिस की अन्य संपत्तियों का व्यावसायिक प्रयोग करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है. दरअसल, चंबा के एसपी ने एक कारोबारी के आवेदन पर उसे पुलिस ग्राउंड चंबा के इस्तेमाल की अनुमति दी थी. इसके लिए बीस हजार रुपए प्रति दिन के हिसाब से तीन लाख रुपए किराया देने का करार हुआ था. इस करार के नौ दिन बाद पुलिस प्रशासन ने ये अनुमति वापिस ले ली थी. इस पर कारोबारी ने राहत के लिए प्रदेश हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल के समक्ष हुई. अदालत ने प्रार्थी कारोबारी को कोई राहत देने से इनकार कर दिया और अपने आदेश में कहा कि पुलिस संपत्तियों का व्यवसायीकरण की इजाजत नहीं दी जा सकती है. न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने ये भी सुनिश्चित करने को कहा कि पुलिस अपने खेल मैदानों सहित अन्य संपत्तियों का कमर्शियल यूज न करे और न ही कोई दुरुपयोग किया जाए. साथ ही डीजीपी को आदेश दिए कि मामले की जांच की जाए और पता लगाया जाए कि किन परिस्थितियों में पुलिस ग्राउंड को कारोबारी गतिविधि के लिए देने का निर्णय लिया गया. अलबत्ता बाद में ये अनुमति वापिस ले ली गई थी, लेकिन हाई कोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं.

मामले के अनुसार मान्या गारमेंट्स ने पुलिस ग्राउंड चंबा का इस्तेमाल करने की अनुमति मांगी थी. एसपी चंबा ने प्रार्थी को 3 अक्टूबर पुलिस ग्राउंड का कमर्शियल गतिविधियों के लिए इस्तेमाल की अनुमति दी थी. इसके लिए 20,000 रुपए प्रतिदिन की दर से 15 दिन का कुल 3 लाख रुपए किराया देने का करार हुआ था. फिर प्रशासनिक कारणों का हवाला देते हुए पुलिस प्रशासन ने नौ दिन बाद अनुमति वापिस ले ली. हाई कोर्ट में प्रार्थी का कहना था कि उसने अनुमति मिलने के बाद ग्राउंड में दुकानें लगाने के लिए भारी राशि खर्च की है और पुलिस ने प्रशासनिक कारणों का हवाला देते हुए एकतरफा फैसला लिया है, लेकिन अदालत ने प्रार्थी की दलीलों से असहमति जताई.

अदालत ने कहा कि पुलिस ग्राउंड का इस्तेमाल व्यावसायिक गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकता इसलिए प्रार्थी को कोई राहत प्रदान नहीं की जा सकती. हाई कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि कैसे पुलिस ग्राउंड चंबा को कमर्शियल गतिविधियों के लिए देने का फैसला लिया गया, जबकि इसका इस्तेमाल केवल पुलिस अधिकारियों और कर्मियों द्वारा ही किया जा सकता है. हाई कोर्ट ने डीजीपी को आदेश दिए कि वह जांच कर पता करे कि किन परिस्थितियों में पुलिस ग्राउंड चंबा को व्यावसायिक गतिविधियों के लिए देने का फैसला लिया गया था.

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