शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी ब्रॉडगेज रेलवे लाइन के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को अंतिम रूप देने पर रोक लगा दी है. जमीन अधिग्रहण के लिए शुरू की गई प्रक्रिया को रोकने के आदेश जारी किए गए हैं. उपरोक्त आदेश देते हुए प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार सहित भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी ब्रॉडगेज रेलवे लाइन के प्रशासक, कलेक्टर (भूमि अधिग्रहण) रेलवे व मुख्य परियोजना प्रबंधक को नोटिस जारी किया. हाई कोर्ट ने इन सभी को दो सप्ताह में नोटिस का जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मामले को सुनवाई के लिए 18 जुलाई को लिस्ट किया है. हाई कोर्ट ने ये स्पष्ट किया है कि तब तक भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत अधिग्रहण की कार्रवाई को अंतिम रूप नहीं दिया जाएगा.
दरअसल, हाईकोर्ट में बिलासपुर के निवासी विक्रम सिंह ने एक याचिका दाखिल की है. उस याचिका की सुनवाई पर उपरोक्त आदेश पारित किए गए. याचिका में कहा गया कि उचित मुआवजे के अधिकार के प्रावधानों का पालना ना करते हुए भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी ब्रॉडगेज रेलवे लाइन के निर्माण को लेकर उसके घर का अधिग्रहण किया जा रहा है. याचिका में कहा गया कि भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता (पुनर्वास और पुनर्स्थापन) अधिनियम, 2013 का अनुपालन नहीं किया गया है. वहीं, प्रतिवादियों ने दावा किया है कि याचिकाकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों ने कभी भी अधिग्रहण के लिए प्रक्रिया में स्वेच्छा से भाग नहीं लिया. यही नहीं, याचिकाकर्ता ने इस आशय पर आपत्ति भी दर्ज की है.
मामले में आरोप लगाया गया कि भूमि अधिग्रहण के कारण कई लोग भूमिहीन और आवास विहीन हो गए हैं. संबंधित गांव के अधिकांश लोग अनुसूचित जाति और जनजाति समुदायों से हैं और उनके पास आय का कोई अन्य स्रोत नहीं है. स्थानीय जनता की आजीविका कृषि उपज पर निर्भर है. लोग खेतों में सब्जियां और अन्य अनाज उत्पादित कर रहे हैं, लेकिन अब जमीन के अधिग्रहण के कारण उन्हें कृषि भूमि से वंचित कर दिया गया है. इससे उनकी सामाजिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और क्षेत्र की जनसांख्यिकी भी प्रभावित होगी. अदालत ने इस पर संज्ञान लिया और प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. तब तक अधिग्रहण की प्रक्रिया पर रोक लगाई गई है.
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