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एसीएस प्रबोध सक्सेना को राहत, दागी अफसरों की लिस्ट में नाम डालने से जुड़ा आवेदन वापस - एसीएस प्रबोध सक्सेना

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में प्रबोध सक्सेना का नाम दागी अफसरों की सूची में नाम डालने से जुड़े मामले में आवेदनकर्ता ने अपना आवेदन वापस ले लिया. आवेदनकर्ता के इस कदम से अदालत में ये मामला स्वत: खत्म हो गया है. इस तरह प्रबोध सक्सेना को राहत मिली है. उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट में प्रबोध सक्सेना का नाम ओडीआई यानी ऑफिसर्स विद डाउटफुल इंटेग्रिटी में न डालने के खिलाफ हाई कोर्ट में आवेदन दाखिल किया गया था.

Himachal Pradesh High Court
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Published : Nov 21, 2022, 10:05 PM IST

शिमला: हिमाचल सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को बड़ी राहत मिली है. प्रदेश हाई कोर्ट में प्रबोध सक्सेना का नाम दागी अफसरों की सूची में नाम डालने से जुड़े मामले में आवेदनकर्ता ने अपना आवेदन वापस ले लिया. आवेदनकर्ता के इस कदम से अदालत में ये मामला स्वत: खत्म हो गया है. इस तरह प्रबोध सक्सेना को राहत मिली है. उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट में प्रबोध सक्सेना का नाम ओडीआई यानी ऑफिसर्स विद डाउटफुल इंटेग्रिटी में न डालने के खिलाफ हाई कोर्ट में आवेदन दाखिल किया गया था.

दरअसल, एक मामले में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से ओडीआई लिस्ट मांगी थी. उसमें एसीएस प्रबोध सक्सेना का नाम नहीं था. आवेदनककर्ता बलदेव शर्मा का आरोप था कि मुख्य सचिव ने जानबूझकर लिस्ट में एसीएस प्रबोध सक्सेना का नाम नहीं डाला. उधर, सोमवार को अदालत में सुनवाई के दौरान बलदेव शर्मा ने अपना आवेदन वापस ले लिया. (Himachal Pradesh High Court) (acs prabodh saxena)

हाल ही में राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव और सीनियर आईएएस अफसर प्रबोध सक्सेना का नाम ओडीआई लिस्ट यानी दागी अफसरों की सूची में न डालने के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई सोमवार 21 नवंबर को निर्धारित की गई थी. इस बारे में बलदेव शर्मा की तरफ से हाई कोर्ट में आवेदन किया गया था. उनके आवेदन पर अदालत ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया गया. यह मामला हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद ए सईद व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष लिस्टिड था.

बलदेव शर्मा की तरफ से दाखिल आवेदन में आरोप लगाया गया था कि प्रबोध सक्सेना का नाम जानबूझकर ओडीआई लिस्ट में नहीं डाला गया है. मुख्य सचिव को ये मालूम था कि प्रबोध सक्सेना के खिलाफ एक आपराधिक मामला लंबित है. इसके बावजूद मुख्य सचिव ने एसीएस सक्सेना का नाम दागी अफसरों की सूची में नहीं डाला.

हाई कोर्ट में जब ओडीआई लिस्ट पेश करनी थी तो मुख्य सचिव ने उस सूची में प्रबोध सक्सेना का नाम शामिल नहीं किया. यही नहीं, आवेदन में ये भी आरोप लगाया गया है कि एसीएस प्रबोध सक्सेना को फायदा पहुंचाने के लिए उन्हें राज्य सरकार में संवेदनशील पदों पर तैनात किया गया है. आवेदन में दलील दी गई है कि सीनियर आईएएस अफसर प्रबोध सक्सेना के खिलाफ सीबीआई की दिल्ली स्थित अदालत में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज है. प्रबोध सक्सेना के खिलाफ 350 करोड़ के घोटाले से जुड़े एक मामले में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की हुई है. फिलहाल, अब आवेदन वापस लेने से हाई कोर्ट में ये मामला खत्म हो गया है और प्रबोध सक्सेना को राहत मिल गई है.

ये भी पढ़ें- जब PM मोदी थे हिमाचल भाजपा के प्रभारी तो ऐसे बनी धूमल सरकार, विधायक का हुआ था 'अपहरण'

शिमला: हिमाचल सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को बड़ी राहत मिली है. प्रदेश हाई कोर्ट में प्रबोध सक्सेना का नाम दागी अफसरों की सूची में नाम डालने से जुड़े मामले में आवेदनकर्ता ने अपना आवेदन वापस ले लिया. आवेदनकर्ता के इस कदम से अदालत में ये मामला स्वत: खत्म हो गया है. इस तरह प्रबोध सक्सेना को राहत मिली है. उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट में प्रबोध सक्सेना का नाम ओडीआई यानी ऑफिसर्स विद डाउटफुल इंटेग्रिटी में न डालने के खिलाफ हाई कोर्ट में आवेदन दाखिल किया गया था.

दरअसल, एक मामले में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से ओडीआई लिस्ट मांगी थी. उसमें एसीएस प्रबोध सक्सेना का नाम नहीं था. आवेदनककर्ता बलदेव शर्मा का आरोप था कि मुख्य सचिव ने जानबूझकर लिस्ट में एसीएस प्रबोध सक्सेना का नाम नहीं डाला. उधर, सोमवार को अदालत में सुनवाई के दौरान बलदेव शर्मा ने अपना आवेदन वापस ले लिया. (Himachal Pradesh High Court) (acs prabodh saxena)

हाल ही में राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव और सीनियर आईएएस अफसर प्रबोध सक्सेना का नाम ओडीआई लिस्ट यानी दागी अफसरों की सूची में न डालने के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई सोमवार 21 नवंबर को निर्धारित की गई थी. इस बारे में बलदेव शर्मा की तरफ से हाई कोर्ट में आवेदन किया गया था. उनके आवेदन पर अदालत ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया गया. यह मामला हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद ए सईद व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष लिस्टिड था.

बलदेव शर्मा की तरफ से दाखिल आवेदन में आरोप लगाया गया था कि प्रबोध सक्सेना का नाम जानबूझकर ओडीआई लिस्ट में नहीं डाला गया है. मुख्य सचिव को ये मालूम था कि प्रबोध सक्सेना के खिलाफ एक आपराधिक मामला लंबित है. इसके बावजूद मुख्य सचिव ने एसीएस सक्सेना का नाम दागी अफसरों की सूची में नहीं डाला.

हाई कोर्ट में जब ओडीआई लिस्ट पेश करनी थी तो मुख्य सचिव ने उस सूची में प्रबोध सक्सेना का नाम शामिल नहीं किया. यही नहीं, आवेदन में ये भी आरोप लगाया गया है कि एसीएस प्रबोध सक्सेना को फायदा पहुंचाने के लिए उन्हें राज्य सरकार में संवेदनशील पदों पर तैनात किया गया है. आवेदन में दलील दी गई है कि सीनियर आईएएस अफसर प्रबोध सक्सेना के खिलाफ सीबीआई की दिल्ली स्थित अदालत में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज है. प्रबोध सक्सेना के खिलाफ 350 करोड़ के घोटाले से जुड़े एक मामले में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की हुई है. फिलहाल, अब आवेदन वापस लेने से हाई कोर्ट में ये मामला खत्म हो गया है और प्रबोध सक्सेना को राहत मिल गई है.

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