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आठ साल से शिक्षक के खिलाफ विभागीय जांच अधूरी, HC ने कहा- अनंतकाल तक जारी नहीं रह सकती प्रक्रिया

हिमाचल हाईकोर्ट सख्त शिक्षक के खिलाफ आठ साल से विभागीय जांच मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि ये जांच अनंतकाल तक जारी नहीं रह सकती. इसे हर हाल में छह माह में पूरा करना चाहिए. (Himachal Pradesh High Court)

Himachal Pradesh High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
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Published : Nov 30, 2022, 9:43 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने विभागीय जांच को लेकर स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किए हैं. अदालत ने कहा कि विभागीय कार्रवाई अनंतकाल तक जारी नहीं रह सकती. दरअसल, शिक्षा विभाग ने एक शिक्षक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की थी. ये जांच आठ साल से जारी थी. इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि ये जांच अनंतकाल तक जारी नहीं रह सकती. इसे हर हाल में छह माह में पूरा करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट से इस बारे में कई फैसले आए हैं.

हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि यह समय सीमा न केवल सरकारी क्षेत्र के नियोक्ताओं बल्कि निजी क्षेत्र के नियोक्ताओं के लिए भी है. विभागीय जांच किसी यथोचित समय के भीतर पूरी होनी चाहिए और इसकी अंतिम समय सीमा 6 माह हो. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ वर्ष 2014 से जारी विभागीय एक्शन व जांच को निरस्त करते हुए उसे सभी सेवा लाभ 6 हफ्ते के भीतर अदा करने के आदेश जारी किए है.

अदालत ने स्पष्ट किया कि अगर विभाग यह लाभ 6 सप्ताह के भीतर देने में असफल रहा, तो उसे 6 फीसदी ब्याज सहित सभी सेवा लाभ की राशि चुकानी होगी. मामले के अनुसार प्रार्थी शिक्षक के खिलाफ साल 2014 में विभागीय कार्रवाई शुरू हुई थी. शिक्षा विभाग आज तक इस जांच को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाया. अब पिछले जांच अधिकारी के स्थान पर नया जांच अधिकारी बैठाया गया क्योंकि पुराना जांच अधिकारी सेवानिवृत हो गया था.

पढ़ें- फिर से भू-मालिक के नाम नहीं हो सकती अधिगृहित जमीन, NHAI को देना होगा मुआवजा- हिमाचल हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि विभागीय कार्यवाही 6 महीनों में पूरी हो जानी चाहिए और किन्ही अपरिहार्य कारणों से इसे इस समय अवधि में पूरा न किया गया, तो अधिकतम एक साल के भीतर कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचाना जरूरी है.

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने विभागीय जांच को लेकर स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किए हैं. अदालत ने कहा कि विभागीय कार्रवाई अनंतकाल तक जारी नहीं रह सकती. दरअसल, शिक्षा विभाग ने एक शिक्षक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की थी. ये जांच आठ साल से जारी थी. इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि ये जांच अनंतकाल तक जारी नहीं रह सकती. इसे हर हाल में छह माह में पूरा करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट से इस बारे में कई फैसले आए हैं.

हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि यह समय सीमा न केवल सरकारी क्षेत्र के नियोक्ताओं बल्कि निजी क्षेत्र के नियोक्ताओं के लिए भी है. विभागीय जांच किसी यथोचित समय के भीतर पूरी होनी चाहिए और इसकी अंतिम समय सीमा 6 माह हो. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ वर्ष 2014 से जारी विभागीय एक्शन व जांच को निरस्त करते हुए उसे सभी सेवा लाभ 6 हफ्ते के भीतर अदा करने के आदेश जारी किए है.

अदालत ने स्पष्ट किया कि अगर विभाग यह लाभ 6 सप्ताह के भीतर देने में असफल रहा, तो उसे 6 फीसदी ब्याज सहित सभी सेवा लाभ की राशि चुकानी होगी. मामले के अनुसार प्रार्थी शिक्षक के खिलाफ साल 2014 में विभागीय कार्रवाई शुरू हुई थी. शिक्षा विभाग आज तक इस जांच को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाया. अब पिछले जांच अधिकारी के स्थान पर नया जांच अधिकारी बैठाया गया क्योंकि पुराना जांच अधिकारी सेवानिवृत हो गया था.

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हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि विभागीय कार्यवाही 6 महीनों में पूरी हो जानी चाहिए और किन्ही अपरिहार्य कारणों से इसे इस समय अवधि में पूरा न किया गया, तो अधिकतम एक साल के भीतर कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचाना जरूरी है.

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