शिमला: हिमाचल प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारी 9 अगस्त को पूरे प्रदेश में प्रदर्शन करेंगे. इसके माध्यम से स्वास्थ्य विभाग के सचिव द्वारा निकाले गए एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) के तीन कर्मचारियों की बहाली की व अन्य मांगें रखी जाएंगी. हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी यूनियन के शिमला में हुए राज्य स्तरीय अधिवेशन में यह फैसला लिया गया. इस अधिवेशन में प्रदेशभर से सैकड़ों की संख्या में आउटसोर्स कर्मियों ने हिस्सा लिया.
सीटू नेताओं ने लिया भाग: अधिवेशन को सीटू राष्ट्रीय सचिव कश्मीर सिंह ठाकुर, सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने संबोधित किया. वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश के सरकारी विभागों के कामकाज को सुचारू रूप से चलाने में आउटसोर्स कर्मी पिछले 15 सालों से महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं, लेकिन उनकी स्थिति दयनीय बनी हुई है. वक्ताओं ने कहा कि आउटसोर्स कर्मियों को रोजगार को संचालित करने के लिए कोई नीति नहीं है. पूर्व भाजपा सरकार ने इन कर्मियों को ठगने का कार्य किया था व कांग्रेस सरकार भी उसी रास्ते पर चल रही है.
आउटसोर्स कर्मियों में रोष: हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष नरेंद्र ने कहा कि आउटसोर्स कर्मियों से नियमित कर्मचारी के बराबर काम लेने के बावजूद बेहद कम वेतन दिया जाता है, कई बार ये मामूली सा वेतन भी महीनों तक नहीं मिलता है. 26 अक्तूबर 2016 के सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार समान कार्य के समान वेतन के फैसले को लागू नहीं किया गया है. इन कर्मियों को नियमित कर्मचारी से ज्यादा काम लेने के बावजूद उनके मुकाबले केवल एक तिहाई वेतन ही मिलता है. आउटसोर्स कर्मचारियों को ईपीएफ, ईएसआई, छुट्टियों व ओवरटाइम वेतन के दायरे में नहीं लाया गया है. अगर कहीं पर ईपीएफ व ईएसआई फैसिलिटी लागू है भी तो उसके शेयर भी कर्मियों की सैलरी से ही काटे जा रहे हैं. इसके अलावा इन कर्मियों के वेतन से 18 प्रतिशत जीएसटी भी काटा जा रहा है.
यूनियन की नई कमेटी का गठन: इस अधिवेशन में सदस्यीय यूनियन की नई कमेटी का गठन किया गया. इसमें वीरेंद्र लाल को अध्यक्ष, दलीप सिंह को महासचिव, पंकज शर्मा को कोषाध्यक्ष चुना गया. वहीं, चुनी लाल, संतोष कुमार, सरीना देवी, लोकेंद्र कुमार को उपाध्यक्ष और संजय कुमार, मोहम्मद रिजवान, निशा देवी को सचिव नोख राम, सीता राम, उमानन्द, सतीश, देवेंद्र, आशा, सन्नी ठाकुर, निरथ राम, विपिन कुमार व यशपाल को कमेटी सदस्य चुना गया.
कोरोना वॉरियर्स को बाहर का रास्ता: यूनियन के अध्यक्ष वीरेंद्र लाल व महासचिव दलीप सिंह ने कहा कि कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग में मरीजों के लिए अपनी जान दांव पर लगाने वाले नर्सिंग स्टाफ, डेटा एंट्री ऑपरेटर, वार्ड अटेंडेंट, सुरक्षा, सफाई, लॉन्ड्री, मेस व अन्य सभी प्रकार के पैरामेडिकल स्टाफ को आज नौकरी से निकाला जा रहा है. उन्हें सेवा विस्तार नहीं दिया जा रहा. इनकी हाजिरी भी नहीं लग रही और उन्हें वेतन भी नहीं मिल रहा है.
आउटसोर्स कर्मियों की मांगें: स्वास्थ्य विभाग के 1800 आउटसोर्स कर्मियों को नौकरी से बाहर करने से पहले जल शक्ति विभाग व अन्य विभागों के हजारों कर्मियों को नौकरी से बाहर किया जा चुका है. सरकार तर्क दे रही है कि अब आउटसोर्स प्रणाली खत्म होगी व नियमित भर्तियां होंगी, लेकिन 20 सालों से सेवाएं देने वाले आउटसोर्स कर्मी कहां जाएंगे. इससे उनके परिवारों के लिए रोजी रोटी का मसला खड़ा हो गया है. उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि नीति बनाते समय यह बात ध्यान में रखी जाए कि सरकारी विभागों में कार्यरत सभी 30 हजार आउटसोर्स कर्मी नियमित हों व उसके बाद ही नई नियुक्तियां की जाए.
3 कर्मियों को निकालने का किया विरोध: इस अधिवेशन के दौरान एनएचएम से स्वास्थ्य सचिव द्वारा तीन कर्मचारियों को निकालने का भारी विरोध किया गया. अधिवेशन आउटसोर्स कर्मियों की मांगों व एनएचएम से स्वास्थ्य सचिव द्वारा नौकरी से निकाले गए तीन आउटसोर्स कर्मियों की नौकरी की बहाल की मांग को लेकर 9 अगस्त को प्रदेशव्यापी प्रदर्शन करने का फैसला लिया गया.