शिमला: हिमाचल विधानसभा मानसून सत्र के चौथे दिन लोक निर्माण विभाग और जल शक्ति विभाग में ठेकेदारों के पेंडिंग बिलों को लेकर सत्ता पक्ष विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई. भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने प्रश्नकाल के दौरान सवाल पूछा था कि वित्तीय वर्ष 2022-23 की अंतिम तिमाही में सरकार ने विभिन्न विभागों के बजट में कितनी कटौती की है. इस पर मुख्यमंत्री ने सदन में सरकार की ओर से जवाब दिया. मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार ने बजट में कोई कटौती नहीं हुई है. उन्होंने कहा वित्त वर्ष 2022-23 की अंतिम तिमाही में लोक निर्माण विभाग का 171 करोड़ और जल शक्ति विभाग का 143 करोड़ खर्च नहीं हो पाया.
सीएम सुक्खू ने कहा उनकी सरकार ने सत्ता संभाली तो पाया कि पूर्व सरकार तिजोरी खाली करके गई है. इसके लिए सरकार को वित्तीय साधन का इंतजाम करना पड़ा. विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री सरकार के बने 9 माह होने के बाद भी तिजोरी खाली होने की बात कर रहे है. सरकार अब तक आठ हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है. राज्य लोक निर्माण विभाग व जल शक्ति विभाग में ठेकेदारों के लंबित भुगतान नहीं हो रहे हैं. करोड़ों की देनदारियां ठेकेदारों की लंबित है. सरकार जानकारी छिपा रही है. वित्तीय वर्ष 2021-22 का सरकार ने लोक निर्माण विभाग और जल शक्ति विभाग का बजट रोका है. इससे ठेकेदार भी अपने मजदूर को दिहाड़ी नहीं दे पा रहे.
'किसी के बिल नहीं पेंडिंग': मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि किसी के बिल पेंडिंग नहीं है. अगर ऐसा कोई केस है तो विपक्ष बताए. इस पर विपक्ष भड़क गया. इस दौरान सत्ता पक्ष व विपक्षी सदस्यों के बीच तीखी नोंकझोंक हुई. विपक्षी विधायकों ने पहले सदन में हंगामा किया और बाद में सदन से उठकर बाहर चले गए. इस पर डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि भाजपा में नेतृत्व का संकट पैदा हो गया है. मुख्यमंत्री पर झूठी सूचना देने का आरोप लगाना असंसदीय है. उन्होंने विपक्ष के व्यवहार की निंदा की.