शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र का आज दूसरा दिन है. विधानसभा में आज भी सरकार द्वारा आपदा को लेकर लाए गए प्रस्ताव पर चर्चा होगी. ऐसे में विधासनभा सत्र के आज भी हंगामेदार होने के आसार हैं. पहले दिन भाजपा ने नियम-67 के तहत आपदा को लेकर काम रोको प्रस्ताव लाया था, लेकिन विपक्ष के इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया गया. वहीं, आज जिला परिषद कैडर कर्मचारी विधानसभा के बाहर धरना देंगे.
आज भी विधानसभा में सरकार के इस प्रस्ताव पर चर्चा की जानी है. विधानसभा सदस्य इस प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेंगे.विपक्ष के सदस्य अपने -अपने इलाकों में आपदा से नुकसान का मसला उठाएंगे और सरकार को आपदा राहत कार्यों को लेकर घेरने की कोशिश करेंगे. वहीं सता पक्ष के विधायक सरकार का बचाव करेंगे.
बता दें कि बीते दिन सरकार की ओर से पहले ही नियम 102 के तहत हिमाचल की आपदा को राष्ट्रीय आपदा राष्ट्रीय आपदा घोषित करने को लेकर एक संकल्प प्रस्ताव लाया गया था. ऐसे में सरकार के आपदा को लेकर लाए गए प्रस्ताव के साथ ही विपक्ष के प्रस्ताव को भी अटैच कर दिया गया. इसको लेकर विपक्ष ने विधानसभा में नारेबाजी शुरू कर दी और कुछ समय बाद वॉकआउट भी कर दिया.
जिला परिषद कर्चमारी का वादा याद दिलाओ रैली: जिला परिषद के हजारों कर्मचारी आज वादा याद दिलाओ रैली कर विधानसभा के बाहर धरना देंगे. कर्मचारियों ने सरकार से साफ कहा है कि अगर फिर भी उनके हक को नहीं दिया गया तो आंदोलन तेज करेंगे. बता दें कि कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में जिला परिषद कर्मचारियों को ग्रामीण विकास विभाग में मर्ज करने के साथ ही उनकी मांगें मानने का वादा किया था.
वहीं, राज्य में 9 माह का वक्त कांग्रेस की सरकार बने हो चुका है, लेकिन सरकार ने इन कर्मचारियों को विभाग में मर्ज करने को लेकर कोई कदम नहीं उठाया. सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को ग्राउंड लेवल पर उतारने वाले इन कर्चमारियों को सरकार ने छठा वेतनमान और डीए भी नहीं दिया है. यही नहीं सरकार एक साल पहले दो साल का कार्यकाल पूरा कर चुके जिला परिषद कर्मचारियों को रेगुलर भी नहीं कर रही. ऊपर से सरकार ने इस वर्ग के कर्मचारियों का स्टेट कैडर बना दिया है. सरकार के इस फैसले से जिला परिद के हजारों कर्मचारी नाराज है.
हिमाचल विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने इन कर्मचारियों को ग्रामीण विकास विभाग में मर्ज करने का वादा किया था. कांग्रेस ने बाकायदा अपने घोषणा पत्र में इसका जिक्र किया था, लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि नौ माह से अधिक का वक्त सरकार बने हुए हो चुका है, सरकार इसको लेकर कोई कदम नहीं उठा रही. यही वजह है कि जिला परिषद के 4700 कर्मचारियों को अन्य कर्मचारियों की तरह कई वित्तीय लाभ भी नहीं मिल रहे.
हिमाचल सरकार ने जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों को अभी तक उनके वित्तीय लाभ नहीं दिए हैं. सरकार ने एक ओर जहां सभी विभागों और अन्य कर्मचारियों को 2016 से छठा वेतनमान दे दिया है. वहीं इन कर्मचारियों को पांचवें वेतन आयोग के आधार पर वेतन जारी किया जा रहा है. इससे इन कर्मचारियों को हर माह हजारों का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
प्रदेश में सभी कर्मचारियों को दिसंबर 2021 में संशोधित वेतनमान जारी करने का ऐलान तत्कालीन जयराम सरकार ने किया था. यही नहीं कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान जनवरी 2016 से देय है. हालांकि 2016 से 2022 तक का यह एरियर कर्मचारियों का किस्तों में मिलेगा जिसकी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 60 हजार की किस्त जारी की गई थी. जबकि तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को 50 हजार की किस्त दी गई थी. बाकी राशि भी किस्तों में दी जानी है. संशोधित वेतन मान 2022 से अब हिमाचल में सभी कर्मचारियों को दिया जा रहा है, लेकिन जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों को नया वेतनमान लटकाया गया है. बताया जा रहा कि इन कर्मचारियों की फाइल वित्त विभाग के पास लंबित पड़ी है.
नव नियुक्त कर्मचारियों का नया स्केल दे रही सरकार: जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों की मानें तो उनके साथ सरकार दोहरा मापदंड अपना रही है. एक ओर जिला परिषद कैडर में साल 2022 में नियुक्त करीब 412 पंचायत सचिवों को सरकार नया वेतनमान के साथ डीए की किस्त भी जारी कर चुकी है. जबकि इससे पहले के नियुक्त कर्मचारियों को न तो संशोधित वेतनमान और न ही डीए की किस्त जारी की जा रही है.
सरकार ने नहीं जारी नहीं की डीए की किस्त: प्रदेश के जिला परिषद कैडर कर्मचारियों को सरकार ने डीए किस्त भी नहीं दी है जबकि अन्य सरकारी कर्मचारियों को बीते अप्रैल माह में डीए की 3 फीसदी किस्त दी गई थी. मगर जिला परिषद के कर्मचारी डीए की इस किस्त से भी वंचित हैं. दरअसल इन कर्मचारियों को आखिरी बार पूर्व जयराम सरकार के समय में ही डीए मिली थी. लेकिन जनवरी 2022 के बाद इन कर्मचारियों को एक भी डीए किस्त नहीं दी गई है.
दो साल का कॉन्ट्रैक्ट पूरा करने वाले कर्मचारी नहीं किए रेगुलर: प्रदेश अनुबंध कर्मचारियों को दो साल के बाद नियमित करने का प्रावधान है. अनुबंध कर्मियों को साल में दो बार रेगुलर किया जाता है. सभी विभागों में कार्यरत 31 मार्च और 30 सितंबर दो बार दो साल पूरा करने पर कर्मचारियों को रेगुलर किया जाता रहा है. लेकिन जिला परिषद कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ने बीते सितंबर 2022 के बाद इस वर्ग के कर्मचारियों को रेगुलर नहीं किया है. अभी तक करीब 50 कर्मचारी हैं जो कि दो साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, इसके अलावा अब 30 सितंबर को दो साल का कार्यकाल कई अन्य कर्मचारी इस वर्ग के पूरा कर जाएंगे. इसको लेकर भी कर्मचारियों ने भारी रोष है.
मनरेगा कंटीजेंसी स्कीम के कर्मचारियों के लिए भी दोहरे मापदंड: जिला परिषद कैडर के तहत करीब 1200 तकनीकी सहायक नियुक्त हैं, जिनमें से 470 कर्मचारियों को मनरेगा कंटीजेंसी स्कीम में शामिल किया गया है. इन कर्मचारियों को न तो संशोधित वेतनमान दिया गया है और ही डीए. इसके विपरीत मनरेगा कंटीजेंसी स्कीम के तहत कार्यरत करीब 1100 ग्राम रोजगार सेवकों को सरकार संशोधित वेतनमान जारी कर रही है.
जिला परिषद कैडर पंचायत सचिव संगठन के राज्य अध्यक्ष अमित जसरोटिया ने कहा है कि कंटीजेंसी स्कीम के तहत कार्य कर रहे तकनीकी सहायकों को नए वेतनमान और डीए से वंचित रखा गया है जबकि इसी योजना के तहत कार्यरत ग्राम रोजगार सेवकों को नया वेतनमान और डीए किस्त दी जा रही है. इस तरह एक ही स्कीम के तहत नियुक्त कर्मचारियों में सरकार भेदभाव कर रही है.उन्होंने कहा कि सरकार दो साल का कॉन्ट्रैक्ट पूरा कर चुके जिला परिषद कैडर कर्मचारियों को भी नियमित नहीं कर रही, जबकि बाकी कर्मचारियों को दो साल बाद नियमित किया जा रहा है.
जिला परिषद कर्मचारियों को विभाग में मर्ज करे सरकार: जिला परिषद कैडर कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा है कि सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस वर्ग के कर्मचारियों को ग्रामीण विकास विभाग में मर्ज करने का वादा किया था, लेकिन इसके लिए कोई कदम नहीं उठाए गए. उन्होंने कहा कि जिला परिषद के कर्मचारी वादा याद दिलाओ रैली करें और विधानसभा के बाहर धरना देंगे. उन्होंने कहा कि अगर सरकार उनको विभाग में मर्ज करती है तो उनके सभी समस्याओं का हल हो सकेगा.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले जयराम सरकार के कार्यकाल में भी ये कर्मचारी 12 दिन की हड़ताल पर चले गए थे, लेकिन सरकार के आश्वासन के बाद ये कर्मचारी काम पर लौटे. जिला परिषद कैडर की कर्मचारियों की संख्या मौजूदा समय में करीब 4700 हैं. ये कर्मचारी सरकारी की सभी योजनाओं और कार्यक्रमों को ग्राउंड लेवल पर उतारने का काम कर रहे हैं. यही नहीं स्टाफ की कमी के चलते एक एक पंचायत सचिवों और अन्य कर्मचारियों के पास दो से तीन पंचायतों का भी काम है.
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