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Himachal Monsoon Session: विधानसभा सत्र का आज चौथा दिन, NH समेत इन गंभीर मुद्दों पर सदन में हो सकती है गहमागहमी - हिमाचल प्रदेश विधानसभा मानसून सत्र

हिमाचल विधानसभा मानसून सत्र का आज चौथा दिन है. सदन में आज प्रदेश की सड़कों, नेशनल हाईवे समेत कई गंभीर मुद्दों पर चर्चा होगी. बेसहारा पशुओं को लेकर भी आज सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ सकता है. (Himachal Monsoon Session 2023) (Himachal Vidhan Sabha)

Himachal Monsoon Session 2023
हिमाचल मानसून सत्र 2023
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 21, 2023, 10:19 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा मानसून सत्र का आज चौथा दिन है. मानसून सत्र की कार्यवाही प्रश्नकाल से शुरू होगी. आज सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष द्वारा प्रदेश में सड़कों, नेशनल हाईवे, शिक्षा विभाग सहित कई अन्य विभागों के सवाल पूछे जाएंगे. लोक निर्माण विभाग, नेशनल हाईवे से संबंधित पूछे गए सवालों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ सकते हैं. प्रश्नकाल के बाद कुछ दस्तावेज और विधायी कार्य होंगे. इसके बाद सदन में विधेयक चर्चा के लिए लाए जाएंगे.

इन मुद्दों पर होगी चर्चा: सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू होगी. सुखविंदर सरकार द्वारा विभिन्न विभागों में गत वित्तीय वर्ष अंतिम तिमाही में बजट में की गई कटौती का सवाल भी आज सदन में गूंजेगा. श्री नैना देवी जी से भाजपा के विधायक रणधीर शर्मा द्वारा यह सवाल पूछा गया है. इस मुद्दे पर सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने सामने आ सकता है. विपक्ष सरकार पर विकासात्मक कार्यों के लिए बजट में कटौती करने के आरोप लगाता रहा है. यही नहीं कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही विधायक निधि पर भी रोक लगा दी थी. ऐसे में इस मुद्दे पर सदन में गहमागहमी हो सकती है.

बेसहारा पशुओं का भी उठेगा मामला: प्रदेश में बेसहारा पशुओं काे छोड़ने का मामला सदन में उठेगा. दरअसल कांग्रेस विधायक भवानी सिंह पठानिया ने इस मसले पर सदन में चर्चा की मांग कर रखी है. विधायक भवानी पठानिया पालतू मवेशियों को छोड़ने को संगीन जुर्म बनाने और इसके लिए जुर्माने के साथ 1 से 3 साल तक की सजा का प्रावधान करने के लिए सदन से नीति बनाने की मांग करेंगे. प्रदेश में आवारा पशुओं की समस्या लगातार बढ़ रही है. हालांकि आवारा पशुओं को छोड़ने पर रोक लगाने के मकसद से पशुपालन विभाग पशुओं की टैगिंग करता है, लेकिन इसके बावजूद लोग मवेशियों को आवारा छोड़ रहे हैं, क्योंकि ऐसा करने के लिए सजा देने का प्रावधान नहीं है. ऐसे में आज सदन में इस मुद्दे पर विचार विमर्श के बाद कानून या नीति बनाने पर विचार होगा.

ये भी पढ़ें: Himachal Monsoon Session: कर्मचारी चयन आयोग में भ्रष्टाचार पर CM सुक्खू ने विपक्ष को घेरा, 'पेपर बिकते रहे पूर्व की भाजपा सरकार आंखें मूंदे रही'

पहले 3 दिन आपदा को लेकर हुई चर्चा: हिमाचल मानसून सत्र के पहले तीन दिन तक सदन में हिमाचल आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के मसले पर चर्चा हुई है. इस दौरान सदन में खूब हंगामा भी हुआ. कई बार मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर में भी नोक-झोंक हुई है. विपक्ष ने सत्ता पक्ष को घेरने का कोशिश जरूर की, मगर राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं होने और अब तक केंद्र से कोई आर्थिक पैकेज न मिलने से सत्ता पक्ष ने विपक्ष को सदन में घेरा.

विपक्ष ने पहले दिन ही किया वॉक आउट: बीजेपी विधायकों ने पहले दिन ही सदन से वॉक आउट करके अपने आक्रामक तेवर दिखाए और आपदा प्रबंधन पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष काम रोको प्रस्ताव लाया, लेकिन सरकार की ओर से हिमाचल की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का संकल्प चर्चा पहले ही कार्य सूची में डाला गया और इसलिए सदन में इस प्रस्ताव पर चर्चा की अनुमति मिली.

संकल्प प्रस्ताव पर BJP का समर्थन नहीं: हालांकि विपक्ष के नियम-67 के तहत इस संबंध में दिए गए प्रस्ताव को भी अटैच कर दिया गया. इसके बाद तीन दिन तक चली चर्चा के बाद बुधवार को इस प्रस्ताव को सदन में बहुमत से पास कर दिया गया. हालांकि विपक्ष इस प्रस्ताव पर तटस्थ रहा. मुख्यमंत्री ने बाद में विपक्ष पर आरोप लगाया कि उन्होंने इस प्रस्ताव का समर्थन न कर प्रदेश की जनता के साथ धोखा किया है.

ये भी पढे़ं: Himachal Monsoon Session: राष्ट्रीय आपदा प्रस्ताव पर समर्थन न देकर भाजपा ने प्रदेश के लोगों के साथ किया धोखा: सीएम सुक्खू

शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा मानसून सत्र का आज चौथा दिन है. मानसून सत्र की कार्यवाही प्रश्नकाल से शुरू होगी. आज सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष द्वारा प्रदेश में सड़कों, नेशनल हाईवे, शिक्षा विभाग सहित कई अन्य विभागों के सवाल पूछे जाएंगे. लोक निर्माण विभाग, नेशनल हाईवे से संबंधित पूछे गए सवालों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ सकते हैं. प्रश्नकाल के बाद कुछ दस्तावेज और विधायी कार्य होंगे. इसके बाद सदन में विधेयक चर्चा के लिए लाए जाएंगे.

इन मुद्दों पर होगी चर्चा: सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू होगी. सुखविंदर सरकार द्वारा विभिन्न विभागों में गत वित्तीय वर्ष अंतिम तिमाही में बजट में की गई कटौती का सवाल भी आज सदन में गूंजेगा. श्री नैना देवी जी से भाजपा के विधायक रणधीर शर्मा द्वारा यह सवाल पूछा गया है. इस मुद्दे पर सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने सामने आ सकता है. विपक्ष सरकार पर विकासात्मक कार्यों के लिए बजट में कटौती करने के आरोप लगाता रहा है. यही नहीं कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही विधायक निधि पर भी रोक लगा दी थी. ऐसे में इस मुद्दे पर सदन में गहमागहमी हो सकती है.

बेसहारा पशुओं का भी उठेगा मामला: प्रदेश में बेसहारा पशुओं काे छोड़ने का मामला सदन में उठेगा. दरअसल कांग्रेस विधायक भवानी सिंह पठानिया ने इस मसले पर सदन में चर्चा की मांग कर रखी है. विधायक भवानी पठानिया पालतू मवेशियों को छोड़ने को संगीन जुर्म बनाने और इसके लिए जुर्माने के साथ 1 से 3 साल तक की सजा का प्रावधान करने के लिए सदन से नीति बनाने की मांग करेंगे. प्रदेश में आवारा पशुओं की समस्या लगातार बढ़ रही है. हालांकि आवारा पशुओं को छोड़ने पर रोक लगाने के मकसद से पशुपालन विभाग पशुओं की टैगिंग करता है, लेकिन इसके बावजूद लोग मवेशियों को आवारा छोड़ रहे हैं, क्योंकि ऐसा करने के लिए सजा देने का प्रावधान नहीं है. ऐसे में आज सदन में इस मुद्दे पर विचार विमर्श के बाद कानून या नीति बनाने पर विचार होगा.

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पहले 3 दिन आपदा को लेकर हुई चर्चा: हिमाचल मानसून सत्र के पहले तीन दिन तक सदन में हिमाचल आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के मसले पर चर्चा हुई है. इस दौरान सदन में खूब हंगामा भी हुआ. कई बार मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर में भी नोक-झोंक हुई है. विपक्ष ने सत्ता पक्ष को घेरने का कोशिश जरूर की, मगर राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं होने और अब तक केंद्र से कोई आर्थिक पैकेज न मिलने से सत्ता पक्ष ने विपक्ष को सदन में घेरा.

विपक्ष ने पहले दिन ही किया वॉक आउट: बीजेपी विधायकों ने पहले दिन ही सदन से वॉक आउट करके अपने आक्रामक तेवर दिखाए और आपदा प्रबंधन पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष काम रोको प्रस्ताव लाया, लेकिन सरकार की ओर से हिमाचल की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का संकल्प चर्चा पहले ही कार्य सूची में डाला गया और इसलिए सदन में इस प्रस्ताव पर चर्चा की अनुमति मिली.

संकल्प प्रस्ताव पर BJP का समर्थन नहीं: हालांकि विपक्ष के नियम-67 के तहत इस संबंध में दिए गए प्रस्ताव को भी अटैच कर दिया गया. इसके बाद तीन दिन तक चली चर्चा के बाद बुधवार को इस प्रस्ताव को सदन में बहुमत से पास कर दिया गया. हालांकि विपक्ष इस प्रस्ताव पर तटस्थ रहा. मुख्यमंत्री ने बाद में विपक्ष पर आरोप लगाया कि उन्होंने इस प्रस्ताव का समर्थन न कर प्रदेश की जनता के साथ धोखा किया है.

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