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Shimla Disaster: शिमला में सिंकिंग जोन में बने भवनों पर मंडराया खतरा! राख के ढेर पर बसा कृष्णा नगर क्या आपदा से हो जाएगा खाक?

राजधानी शिमला के कृष्णा नगर में खतरा अभी टला नहीं है, बल्कि यहां पर सिंकिंग जोन में बने भवनों पर लैंडस्लाइड का खतरा मंडराने लगा है. कृष्णा नगर राख के ढेर पर बसा है. पूरे शहर के नालों का पानी कृष्णा नगर में आता है. लैंडस्लाइड और भूकंप की दृष्टि से यह इलाका बेहद असुरक्षित है. (Shimla Disaster) (Himachal Landslide) (Landslide in Krishna Nagar)

Krishna Nagar in sinking zone in Shimla
खतरे की जद में शिमला का कृष्णा नगर
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 27, 2023, 8:42 AM IST

Updated : Aug 27, 2023, 9:56 AM IST

शिमला के कृष्णा नगर पर मंडरा रहे खतरे के बादल

शिमला: शिमला शहर का कृष्णा नगर राख के ढेर पर खड़ा है. अंग्रेजों के जमाने में यहां पर कोयले की राख फेंकी जाती थी. समय के साथ-साथ यहां लोग बसते गए और देखते ही देखते यह शहर की एक ऐसी बस्ती बन गई, जहां सैकड़ों कच्चे-पक्के मकान बने हैं. इन मकानों में रहना अब खतरे से खाली नहीं है. हाल ही में यहां करीब 6 मकान ढह गए. हालांकि यहां पर जानी नुकसान ज्यादा नहीं हुआ. मगर जिस स्तर पर यहां भवनों को खतरा पैदा हुआ है, उतना शहर के किसी भी इलाके में नहीं हुआ है.

राख पर बसा कृष्णा नगर: कृष्णा नगर में पचास से ज्यादा घरों को खाली कराने की नौबत आ गई है और लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं. कृष्णा नगर में लोग अब हर रोज खतरे के साए में जी रहे हैं. शिमला में नियमों-कायदों को ताक पर रखकर निर्माण कार्य पूरे किए गए हैं. जो कि सरकारी तंत्र पर भी सवाल खड़े कर रहा है. शहर के अन्य इलाकों में भी इस तरह का निर्माण हुआ है. नियमों व कायदों को ताक पर रखकर बहुमंजिला इमारतें खड़ी कर दी गई है, जो की इस आपदा में अब खतरे की जद में हैं.

Krishna Nagar in sinking zone in Shimla
सिंकिंग जोन में है कृष्णा नगर

सिंकिंग जोन में है कृष्णा नगर: शिमला शहर में लैंडस्लाइड के लिहाज से सबसे संवेदनशील क्षेत्र कृष्णा नगर है. यह इलाका सिंकिंग जोन में हैं. यहां पर बरसात और बर्फबारी के दौरान मकानों के गिरने की घटनाएं पहले भी सामने आती रही हैं, लेकिन अबकी बार यहां आपदा ने कहर बरपाया है. करीब 6 मकान यहां ताश के पत्तों की तरह ढह गए हैं और पचास घरों को यहां लगातार खतरा बना हुआ है. कृष्णा नगर के ऐसे हालातों से शहर के प्लानरों और प्रशासन पर सवाल उठना लाजमी है. दरअसल इस पूरे क्षेत्र का स्ट्राटा लूज है और यह सिंकिंग जोन में है. कभी अंग्रेजों के जमाने में यहां पर कोयले की राख को फेंका जाता था, लेकिन बाद में यह आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के रहने की जगह बनती गई.

ये भी पढ़ें: Shimla Landslide: हिमाचल प्रदेश के शिमला में ताश के पत्तों की तरह ढह गई इमारतें, 1 शव बरामद, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, देखें घटना का वीडियो

लैंडस्लाइड के लिहाज से बिल्कुल असुरक्षित: हिमाचल प्रदेश में निर्माण कार्यों के लिए टीसीपी नियम लागू होने के बाद भी यहां पर बिना किसी प्लानिंग के निर्माण कार्य जारी रहा और कृष्णा नगर एक ऐसी जगह बन गई जो कि लैंडस्लाइड की दृष्टि से बेहद खतरनाक बन गई है. यहां पर अधिकतर लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. आज जब इन लोगों ने अपने घर यहां बना लिए हैं तो वे सुरक्षित नहीं है. यहां रह रहे लोगों के सामने विस्थापन का एक बड़ा खतरा पैदा हो गया है. हालांकि खतरे को देखते हुए यहां के लोगों को दूसरी जगह बसाने के लिए योजनाएं बनाई गई, लेकिन ये कागजों तक ही सीमित रह गई. इसके चलते आज यहां के कई लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं और बाकी दहशत में हैं.

Krishna Nagar in sinking zone in Shimla
लैंडस्लाइड के लिहाज से बिल्कुल असुरक्षित है कृष्णा नगर

सबसे बड़ा स्लम एरिया: राजधानी शिमला का कृष्णा नगर क्षेत्र शहर का सबसे बड़ा स्लम एरिया है. जहां शहर की स्लम आबादी की 40 फीसदी आबादी यहीं रहती है. कृष्णानगर में 1671 आवास हैं और इसकी कुल जनसंख्या करीब 7190 है. यह की बस्ती करीब 4 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है. प्लानिंग टर्म में इसको नॉन डेवलप एरिया कहा गया है. यहां बने घरों में से अधिकतर की कंस्ट्रक्शन क्वालिटी अच्छी नहीं है. यहां 50 फीसदी घर आरसीसी के बने हैं, 25 फीसदी घर ब्रिक्स और बाकी के घर लकड़ियों और मिट्टी के भी बने हुए हैं. ये घर लैंडस्लाइड और भूकंप के मध्यनजर बिल्कुल सुरक्षित नहीं है.

Krishna Nagar in sinking zone in Shimla
शिमला का सबसे बड़ा स्लम एरिया कृष्णा नगर

नालों में बनाए गए हैं भवन: कृष्णा नगर का क्षेत्र ऐसा है जहां पर जाखू, मालरोड सहित ऊपरी क्षेत्र से पानी बहकर नालों में आता है. यहां लिफ्ट के साथ एक बड़ा नाला है, जिसके आसपास बड़ी संख्या में लोग बस गए हैं. नालों में रिहायशी मकान बनाना खतरे से खाली नहीं है वो भी तब जबकि इस क्षेत्र का स्ट्राटा बेहद कमजोर है.

Krishna Nagar in sinking zone in Shimla
कृष्णा नगर में नालों में बनाए गए हैं भवन

ये भी पढे़ं: Shimla Disaster: कृष्णा नगर पर खतरा बरकरार, खतरे की जद में आए कई मकान, प्रशासन ने एहतिहात के तौर पर खाली करवाए घर

कृष्णा नगर में भवन को खतरा: शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर ने बताया कि शहर में ड्रेन, नालों और जल स्त्रोतों पर किसी भी कीमत में निर्माण कार्य की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए, लेकिन शिमला शहर में कई जगह इसका उल्टा हुआ है. शिमला शहर में कई जगह जल स्त्रोतों, नालों में ही घरों का निर्माण हुआ है. इनमें कृष्णा नगर भी एक है. उन्होंने कहा कि शहर में करीब 25 वाटर स्प्रिंग हैं और 100 से ज्यादा बावड़ियां भी थीं. इनमें से अधिकतर पर घर बना दिए गए हैं. नालों और जल स्त्रोतों पर या इसके आसपास बस्तियां बनाने से ये बहुत ज्यादा खतरनाक बन गई है.

Krishna Nagar in sinking zone in Shimla
कृष्णा नगर में भवनों को खतरा

कृष्णा नगर में घुसता है नालों का पानी: शिमला शहर में जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं है. यहां पानी बहकर खुले में जाता है. वहीं, नालों और ड्रेनेज को भी सही तरीके से नहीं बनाया गया है. नालों को बस ऊपर से कवर किया गया है और इनके नीचे की जगह से पानी घरों में घुस रहा है. बरसात के दिनों में नालों का पानी सीधे लोगों के घरों में जा पहुंचता है. यही नहीं मालरोड, लोअर बाजार के ऊपरी हिस्से का पानी कृष्णा नगर की ओर जा रहा है जिसका जमीन के अंदर रिसाव हो रहा है.

ये भी पढ़ें: शिमला में बारिश का कहर: कृष्णानगर में नाले ब्लॉक होने से लोगों के घरों में घुसा गंदा पानी, नगर निगम पर उठे सवाल

ब्यूटीफिकेशन प्रोजेक्ट के तहत शहर का बंटाधार: पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर ने बताया कि अंग्रेजों के समय में शिमला के लिए ब्रिटिश मैनुअल फॉर सिविल वर्क्स बनाया गया था. उसमें कहा गया है कि ड्रेनेज को पक्का नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन ब्यूटीफिकेशन प्रोजेक्ट के तहत इन ड्रेनेज को टाइलों से चमका दिया गया है. नालों को कवर नहीं करने की बात भी इसी मैनुअल में की गई है, मगर मौजूदा समय में उनको कवर किया गया है. कृष्णा नगर में भी यही हो रहा है. बरसात में यहां नालों का पानी लोगों के घरों तक पहुंच जाता है, जिससे कई बार लोगों को अपने घर खाली करवाने पड़ते हैं.

300 घर पर ज्यादा खतरा: पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर ने बताया कि उनके कार्यकाल में बेसिक सर्विस फॉर अर्बन पुअर प्रोग्राम के लिए कृष्णा नगर की वल्नरेबिलिटी स्टडी की गई थी. तब करीब 1200 घरों में से 300 घर बहुत ज्यादा खतरनाक पाए गए थे. इसके अलावा अन्य वाले घर रिस्क वाले थे. इन घरों में रहने वाले लोगों को सरकारी आवास बनाकर दूसरी जगह शिफ्ट किया जाना था, इस दिशा में काम भी शुरू हो गया था, लेकिन उनके बाद यह सारी प्रक्रिया यहीं पर रुक गई.

Krishna Nagar in sinking zone in Shimla
कृष्णा नगर में लूज स्ट्राटा के साथ ड्रेनेज न होने से नुकसान

लूज स्ट्राटा के साथ ड्रेनेज न होने से नुकसान: इंजीनियर सुभाष वर्मा कहते हैं कि कृष्णानगर के बसने से पहले यह एक नेगलेक्टेड और डंपिंग पोर्शन था. शहर के कंस्ट्रक्शन का मलबा इस ओर गिराया जाता था. साफ है कि यहां पर मिट्टी लूज है. इसके बाद उनके नक्शे और स्ट्रक्चरल डिजाइन की ओर ध्यान नहीं दिया गया. आज ड्रेनेज फेलियर की वजह से ऊपरी इलाके का सारा पानी यहां पहुंच रहा है जो कि घरों को नुकसान पहुंचा रहा है. रही सही कसर पुराने पेड़ों ने पूरी कर दी. ये पेड़ आज उखड़ रहे हैं तो मकानों को भी अपने साथ ले जा रहे हैं. उनका कहना है कि यहां रह रहे लोगों को बसाने के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए. सरकार को स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी की रिपोर्ट के आधार पर इनके लिए दूसरी जगह आवासों की सुविधा के लिए प्रयास करने होंगे.

ये भी पढ़ें: Himachal Disaster: हिमाचल में बरसात में भारी तबाही! अब तक 8600 करोड़ का नुकसान, 488 सड़कें बंद, बारिश की भेंट चढ़े हजारों आशियाने

शिमला के कृष्णा नगर पर मंडरा रहे खतरे के बादल

शिमला: शिमला शहर का कृष्णा नगर राख के ढेर पर खड़ा है. अंग्रेजों के जमाने में यहां पर कोयले की राख फेंकी जाती थी. समय के साथ-साथ यहां लोग बसते गए और देखते ही देखते यह शहर की एक ऐसी बस्ती बन गई, जहां सैकड़ों कच्चे-पक्के मकान बने हैं. इन मकानों में रहना अब खतरे से खाली नहीं है. हाल ही में यहां करीब 6 मकान ढह गए. हालांकि यहां पर जानी नुकसान ज्यादा नहीं हुआ. मगर जिस स्तर पर यहां भवनों को खतरा पैदा हुआ है, उतना शहर के किसी भी इलाके में नहीं हुआ है.

राख पर बसा कृष्णा नगर: कृष्णा नगर में पचास से ज्यादा घरों को खाली कराने की नौबत आ गई है और लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं. कृष्णा नगर में लोग अब हर रोज खतरे के साए में जी रहे हैं. शिमला में नियमों-कायदों को ताक पर रखकर निर्माण कार्य पूरे किए गए हैं. जो कि सरकारी तंत्र पर भी सवाल खड़े कर रहा है. शहर के अन्य इलाकों में भी इस तरह का निर्माण हुआ है. नियमों व कायदों को ताक पर रखकर बहुमंजिला इमारतें खड़ी कर दी गई है, जो की इस आपदा में अब खतरे की जद में हैं.

Krishna Nagar in sinking zone in Shimla
सिंकिंग जोन में है कृष्णा नगर

सिंकिंग जोन में है कृष्णा नगर: शिमला शहर में लैंडस्लाइड के लिहाज से सबसे संवेदनशील क्षेत्र कृष्णा नगर है. यह इलाका सिंकिंग जोन में हैं. यहां पर बरसात और बर्फबारी के दौरान मकानों के गिरने की घटनाएं पहले भी सामने आती रही हैं, लेकिन अबकी बार यहां आपदा ने कहर बरपाया है. करीब 6 मकान यहां ताश के पत्तों की तरह ढह गए हैं और पचास घरों को यहां लगातार खतरा बना हुआ है. कृष्णा नगर के ऐसे हालातों से शहर के प्लानरों और प्रशासन पर सवाल उठना लाजमी है. दरअसल इस पूरे क्षेत्र का स्ट्राटा लूज है और यह सिंकिंग जोन में है. कभी अंग्रेजों के जमाने में यहां पर कोयले की राख को फेंका जाता था, लेकिन बाद में यह आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के रहने की जगह बनती गई.

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लैंडस्लाइड के लिहाज से बिल्कुल असुरक्षित: हिमाचल प्रदेश में निर्माण कार्यों के लिए टीसीपी नियम लागू होने के बाद भी यहां पर बिना किसी प्लानिंग के निर्माण कार्य जारी रहा और कृष्णा नगर एक ऐसी जगह बन गई जो कि लैंडस्लाइड की दृष्टि से बेहद खतरनाक बन गई है. यहां पर अधिकतर लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. आज जब इन लोगों ने अपने घर यहां बना लिए हैं तो वे सुरक्षित नहीं है. यहां रह रहे लोगों के सामने विस्थापन का एक बड़ा खतरा पैदा हो गया है. हालांकि खतरे को देखते हुए यहां के लोगों को दूसरी जगह बसाने के लिए योजनाएं बनाई गई, लेकिन ये कागजों तक ही सीमित रह गई. इसके चलते आज यहां के कई लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं और बाकी दहशत में हैं.

Krishna Nagar in sinking zone in Shimla
लैंडस्लाइड के लिहाज से बिल्कुल असुरक्षित है कृष्णा नगर

सबसे बड़ा स्लम एरिया: राजधानी शिमला का कृष्णा नगर क्षेत्र शहर का सबसे बड़ा स्लम एरिया है. जहां शहर की स्लम आबादी की 40 फीसदी आबादी यहीं रहती है. कृष्णानगर में 1671 आवास हैं और इसकी कुल जनसंख्या करीब 7190 है. यह की बस्ती करीब 4 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है. प्लानिंग टर्म में इसको नॉन डेवलप एरिया कहा गया है. यहां बने घरों में से अधिकतर की कंस्ट्रक्शन क्वालिटी अच्छी नहीं है. यहां 50 फीसदी घर आरसीसी के बने हैं, 25 फीसदी घर ब्रिक्स और बाकी के घर लकड़ियों और मिट्टी के भी बने हुए हैं. ये घर लैंडस्लाइड और भूकंप के मध्यनजर बिल्कुल सुरक्षित नहीं है.

Krishna Nagar in sinking zone in Shimla
शिमला का सबसे बड़ा स्लम एरिया कृष्णा नगर

नालों में बनाए गए हैं भवन: कृष्णा नगर का क्षेत्र ऐसा है जहां पर जाखू, मालरोड सहित ऊपरी क्षेत्र से पानी बहकर नालों में आता है. यहां लिफ्ट के साथ एक बड़ा नाला है, जिसके आसपास बड़ी संख्या में लोग बस गए हैं. नालों में रिहायशी मकान बनाना खतरे से खाली नहीं है वो भी तब जबकि इस क्षेत्र का स्ट्राटा बेहद कमजोर है.

Krishna Nagar in sinking zone in Shimla
कृष्णा नगर में नालों में बनाए गए हैं भवन

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कृष्णा नगर में भवन को खतरा: शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर ने बताया कि शहर में ड्रेन, नालों और जल स्त्रोतों पर किसी भी कीमत में निर्माण कार्य की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए, लेकिन शिमला शहर में कई जगह इसका उल्टा हुआ है. शिमला शहर में कई जगह जल स्त्रोतों, नालों में ही घरों का निर्माण हुआ है. इनमें कृष्णा नगर भी एक है. उन्होंने कहा कि शहर में करीब 25 वाटर स्प्रिंग हैं और 100 से ज्यादा बावड़ियां भी थीं. इनमें से अधिकतर पर घर बना दिए गए हैं. नालों और जल स्त्रोतों पर या इसके आसपास बस्तियां बनाने से ये बहुत ज्यादा खतरनाक बन गई है.

Krishna Nagar in sinking zone in Shimla
कृष्णा नगर में भवनों को खतरा

कृष्णा नगर में घुसता है नालों का पानी: शिमला शहर में जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं है. यहां पानी बहकर खुले में जाता है. वहीं, नालों और ड्रेनेज को भी सही तरीके से नहीं बनाया गया है. नालों को बस ऊपर से कवर किया गया है और इनके नीचे की जगह से पानी घरों में घुस रहा है. बरसात के दिनों में नालों का पानी सीधे लोगों के घरों में जा पहुंचता है. यही नहीं मालरोड, लोअर बाजार के ऊपरी हिस्से का पानी कृष्णा नगर की ओर जा रहा है जिसका जमीन के अंदर रिसाव हो रहा है.

ये भी पढ़ें: शिमला में बारिश का कहर: कृष्णानगर में नाले ब्लॉक होने से लोगों के घरों में घुसा गंदा पानी, नगर निगम पर उठे सवाल

ब्यूटीफिकेशन प्रोजेक्ट के तहत शहर का बंटाधार: पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर ने बताया कि अंग्रेजों के समय में शिमला के लिए ब्रिटिश मैनुअल फॉर सिविल वर्क्स बनाया गया था. उसमें कहा गया है कि ड्रेनेज को पक्का नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन ब्यूटीफिकेशन प्रोजेक्ट के तहत इन ड्रेनेज को टाइलों से चमका दिया गया है. नालों को कवर नहीं करने की बात भी इसी मैनुअल में की गई है, मगर मौजूदा समय में उनको कवर किया गया है. कृष्णा नगर में भी यही हो रहा है. बरसात में यहां नालों का पानी लोगों के घरों तक पहुंच जाता है, जिससे कई बार लोगों को अपने घर खाली करवाने पड़ते हैं.

300 घर पर ज्यादा खतरा: पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर ने बताया कि उनके कार्यकाल में बेसिक सर्विस फॉर अर्बन पुअर प्रोग्राम के लिए कृष्णा नगर की वल्नरेबिलिटी स्टडी की गई थी. तब करीब 1200 घरों में से 300 घर बहुत ज्यादा खतरनाक पाए गए थे. इसके अलावा अन्य वाले घर रिस्क वाले थे. इन घरों में रहने वाले लोगों को सरकारी आवास बनाकर दूसरी जगह शिफ्ट किया जाना था, इस दिशा में काम भी शुरू हो गया था, लेकिन उनके बाद यह सारी प्रक्रिया यहीं पर रुक गई.

Krishna Nagar in sinking zone in Shimla
कृष्णा नगर में लूज स्ट्राटा के साथ ड्रेनेज न होने से नुकसान

लूज स्ट्राटा के साथ ड्रेनेज न होने से नुकसान: इंजीनियर सुभाष वर्मा कहते हैं कि कृष्णानगर के बसने से पहले यह एक नेगलेक्टेड और डंपिंग पोर्शन था. शहर के कंस्ट्रक्शन का मलबा इस ओर गिराया जाता था. साफ है कि यहां पर मिट्टी लूज है. इसके बाद उनके नक्शे और स्ट्रक्चरल डिजाइन की ओर ध्यान नहीं दिया गया. आज ड्रेनेज फेलियर की वजह से ऊपरी इलाके का सारा पानी यहां पहुंच रहा है जो कि घरों को नुकसान पहुंचा रहा है. रही सही कसर पुराने पेड़ों ने पूरी कर दी. ये पेड़ आज उखड़ रहे हैं तो मकानों को भी अपने साथ ले जा रहे हैं. उनका कहना है कि यहां रह रहे लोगों को बसाने के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए. सरकार को स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी की रिपोर्ट के आधार पर इनके लिए दूसरी जगह आवासों की सुविधा के लिए प्रयास करने होंगे.

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Last Updated : Aug 27, 2023, 9:56 AM IST
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