शिमला: मंडी के नाचन इलाके के सिविल अस्पताल में बिस्तरों की संख्या कम करने पर हाई कोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है. अदालत ने इस मामले में मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मुख्य सचिव को 20 मार्च तक याचिका का जवाब दाखिल करने के आदेश जारी किए हैं. नाचन में सिविल अस्पताल से आसपास के सैंकड़ों मरीजों को लाभ मिलता है. मंडी जिले के नाचन विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक विनोद कुमार ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी.
विनोद कुमार ने याचिका में आरोप लगाया है कि उनके विधानसभा क्षेत्र के सिविल अस्पताल में बिस्तरों की संख्या सौ से घटाकर पचास कर दी गई है. ये फैसला किसी भी रूप में जनहित में नहीं कहा जा सकता. याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रदेश सरकार को जनता के हितों की रक्षा करते हुए निर्णय लेना चाहिए, लेकिन नई सरकार संस्थानों को द्वेष की भावना से बंद कर रही है.
पूर्व की जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने 30 सितंबर 2022 को नाचन अस्पताल के बिस्तरों की संख्या यानी बेड स्ट्रेंथ 50 से बढ़ाकर 100 की थी. इलाके के आसपास के करीब एक लाख लोगों के स्वास्थ्य हितों की रक्षा के लिए इस अस्पताल में डॉक्टर्स की संख्या भी बढ़ा दी गई थी. यही नहीं, पूर्व सरकार ने 30 पदों को भी मंजूर किया था. याचिका के माध्यम से अदालत के समक्ष दलील दी गई कि कोविड काल में हाई कोर्ट ने अस्पतालों में चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने के आदेश दिए थे.
आरोप लगाया गया है कि सरकार को जहां अस्पताल में डॉक्टर के पदों को भरने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए, उसकी बजाय नाचन अस्पताल में बिस्तरों की संख्या ही घटा दी गई. याचिका के माध्यम से अदालत को बताया गया कि इस अस्पताल में आसपास के लगभग एक लाख लोग उपचार के लिए आते हैं. नाचन के बाद यदि स्वास्थ्य सुविधा चाहिए तो दूसरा अस्पताल 24 किलोमीटर दूर नेरचौक में है. प्रार्थी ने नाचन अस्पताल में बिस्तरों की संख्या कम करने के फैसले को रद्द करने की गुहार लगाई है. हाई कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के बाद मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है. अब याचिका पर सुनवाई 20 मार्च को होगी.