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एसएचओ धर्मशाला ने एफआईआर दर्ज करने से किया इंकार, हाई कोर्ट ने 12 जनवरी को अदालत में किया तलब - HP High court news

एक मामले में एफआईआर दर्ज करने से किया इंकार करने के लिए हिमाचल हाई कोर्ट (Himachal High court) ने एसएचओ धर्मशाला को अदालत में किया तलब है. उनसे 12 जनवरी को अदालत में पेश होने को कहा गया है. पढ़ें पूरी खबर...

Himachal High court
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Published : Jan 10, 2023, 9:42 PM IST

शिमला: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) की एक शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने से इनकार करना धर्मशाला के एसएचओ को भारी पड़ा है. हाई कोर्ट ने एसएचओ धर्मशाला को गुरुवार 12 जनवरी को अदालत में तलब किया है. हिमाचल हाई कोर्ट (Himachal High court) के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने एसएचओ को अदालत में पेश होने के निर्देश दिए.

हाई कोर्ट की खंडपीठ ने एनआईओएस के फर्जी प्रमाणपत्र से जुड़े मामले में इंस्टीट्यूट के निदेशक को सप्लीमेंट्री शपथपत्र दायर करने के आदेश दिए थे. संस्थान ने इसके लिए अतिरिक्त समय मांगा और कहा कि एसएचओ धर्मशाला ने मामले में प्राथमिकी दर्ज करने से इन्कार कर दिया था. इंस्टीट्यूट के रीजनल डायरेक्टर धर्मशाला की ओर से एसएचओ धर्मशाला पर गंभीर आरोप लगाते हुए कोर्ट को बताया गया कि एसएचओ धर्मशाला ने उन्हें थाने में सारे दिन बिठाए रखा परंतु फिर भी प्राथमिकी यानी एफआईआर दर्ज नहीं की. इसलिए उन्हें ऑनलाइन शिकायत करनी पड़ी.

पिछली सुनवाई को इस मामले में हाई कोर्ट ने इंस्टीट्यूट के निदेशक (मूल्यांकन) को तलब किया था. कोर्ट में उपस्थित निदेशक ने विवादित सर्टिफिकेट को फर्जी बताया था. इसके बाद अदालत ने एनआईओएस के निदेशक से सुनवाई के दौरान पूछा था कि जब इंस्टीट्यूट के फर्जी सर्टिफिकेट का मामला उनके संज्ञान में आता है तो वे दोषी के खिलाफ क्या एक्शन लेते हैं? (SHO Dharamshala summoned in HP High court).

अदालत ने पूछा था कि क्या इंस्टीट्यूट की ओर से कोई आपराधिक मामला भी दर्ज किया जाता है. कोर्ट ने यह जानकारी अनुपूरक शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश दिए हैं. इंस्टीट्यूट की ओर से कोर्ट को बताया गया की प्रदेश में उनके 36 आउटलेट हैं जहां पर्सनल कान्टेक्ट प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं. इस मामले में एमिक्स क्यूरी यानी कोर्ट मित्र ने अदालत को बताया कि प्रदेश में जाली शैक्षणिक प्रमाणपत्रों का अवैध कारोबार चल रहा है.

नौकरी के साथ साथ प्रमोशन पाने के लिए विभागों में दिए प्रमाणपत्रों की गहराई से जांच होनी चाहिए. विशेषतौर से बाहरी राज्यों के शैक्षणिक संस्थानों के प्रमाणपत्रों की जांच होना जरूरी है जो कर्मचारियों द्वारा नौकरी पाने अथवा पदोन्नति के लिए पेश किए जाते हैं. ये फर्जी सर्टिफिकेट अधिकतर दूरवर्ती शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थानों से जुड़े होते हैं. फिलहाल, मामले पर सुनवाई परसों यानी 12 जनवरी को होगी.(Himachal High court summons SHO Dharamshala).

ये भी पढ़ें: उद्योगपति से इंश्योरेंस क्लेम के बदले 5 लाख रिश्वत लेने के आरोपी की जमानत याचिका पर CBI को नोटिस जारी

शिमला: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) की एक शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने से इनकार करना धर्मशाला के एसएचओ को भारी पड़ा है. हाई कोर्ट ने एसएचओ धर्मशाला को गुरुवार 12 जनवरी को अदालत में तलब किया है. हिमाचल हाई कोर्ट (Himachal High court) के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने एसएचओ को अदालत में पेश होने के निर्देश दिए.

हाई कोर्ट की खंडपीठ ने एनआईओएस के फर्जी प्रमाणपत्र से जुड़े मामले में इंस्टीट्यूट के निदेशक को सप्लीमेंट्री शपथपत्र दायर करने के आदेश दिए थे. संस्थान ने इसके लिए अतिरिक्त समय मांगा और कहा कि एसएचओ धर्मशाला ने मामले में प्राथमिकी दर्ज करने से इन्कार कर दिया था. इंस्टीट्यूट के रीजनल डायरेक्टर धर्मशाला की ओर से एसएचओ धर्मशाला पर गंभीर आरोप लगाते हुए कोर्ट को बताया गया कि एसएचओ धर्मशाला ने उन्हें थाने में सारे दिन बिठाए रखा परंतु फिर भी प्राथमिकी यानी एफआईआर दर्ज नहीं की. इसलिए उन्हें ऑनलाइन शिकायत करनी पड़ी.

पिछली सुनवाई को इस मामले में हाई कोर्ट ने इंस्टीट्यूट के निदेशक (मूल्यांकन) को तलब किया था. कोर्ट में उपस्थित निदेशक ने विवादित सर्टिफिकेट को फर्जी बताया था. इसके बाद अदालत ने एनआईओएस के निदेशक से सुनवाई के दौरान पूछा था कि जब इंस्टीट्यूट के फर्जी सर्टिफिकेट का मामला उनके संज्ञान में आता है तो वे दोषी के खिलाफ क्या एक्शन लेते हैं? (SHO Dharamshala summoned in HP High court).

अदालत ने पूछा था कि क्या इंस्टीट्यूट की ओर से कोई आपराधिक मामला भी दर्ज किया जाता है. कोर्ट ने यह जानकारी अनुपूरक शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश दिए हैं. इंस्टीट्यूट की ओर से कोर्ट को बताया गया की प्रदेश में उनके 36 आउटलेट हैं जहां पर्सनल कान्टेक्ट प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं. इस मामले में एमिक्स क्यूरी यानी कोर्ट मित्र ने अदालत को बताया कि प्रदेश में जाली शैक्षणिक प्रमाणपत्रों का अवैध कारोबार चल रहा है.

नौकरी के साथ साथ प्रमोशन पाने के लिए विभागों में दिए प्रमाणपत्रों की गहराई से जांच होनी चाहिए. विशेषतौर से बाहरी राज्यों के शैक्षणिक संस्थानों के प्रमाणपत्रों की जांच होना जरूरी है जो कर्मचारियों द्वारा नौकरी पाने अथवा पदोन्नति के लिए पेश किए जाते हैं. ये फर्जी सर्टिफिकेट अधिकतर दूरवर्ती शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थानों से जुड़े होते हैं. फिलहाल, मामले पर सुनवाई परसों यानी 12 जनवरी को होगी.(Himachal High court summons SHO Dharamshala).

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