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RSS का सदस्य होने के आरोप पर किए तबादले पर हाइकोर्ट ने लगाई रोक

Himachal High Court stays on transfer order of RSS member: सीनियर मैनेजर ने अपने तबादले को हाइकोर्ट में चुनौती दी थी. जिसमें कहा गया था कि उसका तबादला सिर्फ इसलिये कर दिया गया क्योंकि वह आरएसएस का सदस्य है. इस तबादले पर कोर्ट ने रोक लगा दी है.

Himachal High Court
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 12, 2024, 6:48 PM IST

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने आरएसएस का सदस्य होने के आरोप पर किए गए तबादला आदेशों पर रोक लगा दी है. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान पाया कि प्रार्थी सुरेश कुमार जसवाल का तबादला केवल इसलिए किया गया कि वह आरएसएस का सदस्य है. कोर्ट ने इसे प्रथम दृष्टया मनमाना, गैरकानूनी और संविधान द्वारा दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन बताया है.

मामले के अनुसार एचपी स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर ने बैंक के बिलासपुर जिला कार्यालय में तैनात सीनियर मैनेजर सुरेश कुमार जसवाल का तबादला आदेश जारी किए थे. इन आदेशों को प्रार्थी ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने प्रार्थी की याचिका को गुणवता के आधार पर खारिज कर दिया था. एकल पीठ का यह भी कहना था कि प्रार्थी का तबादला आदेश बैंक के सेवा नियमों के तहत जारी किए गए हैं और बैंक के सेवा नियमों को कोई कानूनी बल प्राप्त नहीं है.

एकल पीठ का कहना था कि मैनेजिंग डायरेक्टर एचपी स्टेट को ऑपरेटिव अधिनियम अथवा इसके तहत बनाए नियमों का उल्लंघन नहीं किया है इसलिए याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. इन आदेशों को प्रार्थी ने अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी है. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने प्रथम दृष्टया बैंक को संविधान के तहत राज्य की परिभाषा में पाते हुए याचिका को सुनवाई योग्य पाया और प्रार्थी के तबादला आदेशों पर रोक लगा दी.

हार्ड एरिया में दोबारा ट्रांसफर के आदेश पर रोक- एक अन्य मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारी को दूसरी बार हार्ड एरिया में स्थानांतरित करने के आदेशों पर रोक लगा दी. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने इस तबादले को राज्य सरकार की तबादला नीति के विपरीत पाया. हालांकि हाईकोर्ट की ही सिंगल पीठ ने कहा था कि प्रार्थी के पक्ष में तबादला नीति के तहत कोई कानूनी अधिकार नहीं बनते.

सिंगल पीठ ने प्रार्थी भानु प्रताप की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि हार्ड एरिया को फिर से ट्रांसफर करने के आदेशों को चुनौती केवल तबादला नीति के आधार पर ही दी गई है जबकि प्रार्थी के पक्ष में तबादला नीति से कोई कानूनी अधिकार उत्पन्न नहीं होते. इन आदेशों को प्रार्थी ने खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी है. मामले की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने पाया कि प्रार्थी ने हार्ड एरिया में 2011 से सात वर्षों तक हार्ड एरिया में अपनी सेवाएं दी. इसके पश्चात 11 अक्तूबर को उसे फिर से हार्ड एरिया को भेज दिया गया जबकि सरकार की अपनी तबादला नीति के तहत ऐसा नहीं किया जा सकता. इसलिए हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इन तबादला आदेशों पर फिलहाल रोक लगा दी है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल के DGP बने रहेंगे संजय कुंडू, सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को किया रद्द, SIT जांच रहेगी जारी

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने आरएसएस का सदस्य होने के आरोप पर किए गए तबादला आदेशों पर रोक लगा दी है. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान पाया कि प्रार्थी सुरेश कुमार जसवाल का तबादला केवल इसलिए किया गया कि वह आरएसएस का सदस्य है. कोर्ट ने इसे प्रथम दृष्टया मनमाना, गैरकानूनी और संविधान द्वारा दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन बताया है.

मामले के अनुसार एचपी स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर ने बैंक के बिलासपुर जिला कार्यालय में तैनात सीनियर मैनेजर सुरेश कुमार जसवाल का तबादला आदेश जारी किए थे. इन आदेशों को प्रार्थी ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने प्रार्थी की याचिका को गुणवता के आधार पर खारिज कर दिया था. एकल पीठ का यह भी कहना था कि प्रार्थी का तबादला आदेश बैंक के सेवा नियमों के तहत जारी किए गए हैं और बैंक के सेवा नियमों को कोई कानूनी बल प्राप्त नहीं है.

एकल पीठ का कहना था कि मैनेजिंग डायरेक्टर एचपी स्टेट को ऑपरेटिव अधिनियम अथवा इसके तहत बनाए नियमों का उल्लंघन नहीं किया है इसलिए याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. इन आदेशों को प्रार्थी ने अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी है. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने प्रथम दृष्टया बैंक को संविधान के तहत राज्य की परिभाषा में पाते हुए याचिका को सुनवाई योग्य पाया और प्रार्थी के तबादला आदेशों पर रोक लगा दी.

हार्ड एरिया में दोबारा ट्रांसफर के आदेश पर रोक- एक अन्य मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारी को दूसरी बार हार्ड एरिया में स्थानांतरित करने के आदेशों पर रोक लगा दी. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने इस तबादले को राज्य सरकार की तबादला नीति के विपरीत पाया. हालांकि हाईकोर्ट की ही सिंगल पीठ ने कहा था कि प्रार्थी के पक्ष में तबादला नीति के तहत कोई कानूनी अधिकार नहीं बनते.

सिंगल पीठ ने प्रार्थी भानु प्रताप की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि हार्ड एरिया को फिर से ट्रांसफर करने के आदेशों को चुनौती केवल तबादला नीति के आधार पर ही दी गई है जबकि प्रार्थी के पक्ष में तबादला नीति से कोई कानूनी अधिकार उत्पन्न नहीं होते. इन आदेशों को प्रार्थी ने खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी है. मामले की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने पाया कि प्रार्थी ने हार्ड एरिया में 2011 से सात वर्षों तक हार्ड एरिया में अपनी सेवाएं दी. इसके पश्चात 11 अक्तूबर को उसे फिर से हार्ड एरिया को भेज दिया गया जबकि सरकार की अपनी तबादला नीति के तहत ऐसा नहीं किया जा सकता. इसलिए हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इन तबादला आदेशों पर फिलहाल रोक लगा दी है.

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