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सात साल की बच्ची से दुष्कर्म व हत्या के दोषी को फांसी की सजा पर हाई कोर्ट का फैसला सुरक्षित, बद्दी में हुई थी दरिंदगी

बद्दी में सात साल की बच्ची से दुष्कर्म और फिर हत्या के दोषी की फांसी की सजा पर पुष्टिकरण के मामले में हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. उत्तर प्रदेश के आकाश ने बच्ची के अपहरण के बाद उससे दुष्कर्म किया और फिर हत्या कर दी (Baddi seven year old girl rape case) थी. निचली अदालत ने आकाश को फांसी की सजा सुनाई थी. उसने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी. पढ़ें पूरी खबर...

Himachal High court
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Published : Dec 5, 2022, 10:05 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक नगर बद्दी में सात साल की बच्ची से दुष्कर्म और फिर हत्या के दोषी की फांसी की सजा पर पुष्टिकरण के मामले में हिमाचल हाई कोर्ट (Himachal High Court ) ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. उत्तर प्रदेश के आकाश ने बच्ची के अपहरण के बाद उससे दुष्कर्म किया और फिर हत्या कर दी थी. निचली अदालत ने आकाश को फांसी की सजा सुनाई थी. उसने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी. हाई कोर्ट में मौत की सजा के पुष्टिकरण पर भी सुनवाई हो रही है.

इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना व न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ कर रही है. अदालत ने दोनों पक्षों की बहस व दलीलें सुनी. दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. दोषी आकाश ने फास्ट ट्रैक सोलन के फैसले को अपील के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी है. उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में 7 वर्षीय मासूम बच्ची का अपहरण किया गया था. बाद में बच्ची से दुष्कर्म किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई. फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दोषी को फांसी की सजा सुनाई है.

मामला पांच साल पहले 2017 का है. उत्तर प्रदेश के रहने वाले आकाश ने अपहरण के बाद बच्ची के साथ दुराचार किया था. इतना ही नहीं, आकाश ने बच्ची का गला घोंट कर बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी थी. मामले की जांच में पता चला था कि दरिंदगी की हदें पार करते हुए बच्ची के प्राइवेट पार्ट में लकड़ी का टुकड़ा भी डाला गया था. मासूम के साथ इतनी दरिंदगी करने वाले इस दोषी को जिला सोलन की अदालत ने मौत की सजा सुनाई.

फास्ट ट्रैक कोर्ट में यह मामला चल रहा था. इस जघन्य अपराध को सोलन में अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने रेयर ऑफ रेयरेस्ट नेचर का करार दिया था. वारदात में दोषी पाए गए उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के रहने वाले आकाश को सजा-ए-मौत के आदेश जारी हुए हैं. अदालत में दोषी को आईपीसी की धारा-302, 376 व पॉक्सो एक्ट की धारा-10 के तहत सजा सुनाई है. फिलहाल, अब फांसी की सजा को लेकर पुष्टिकरण पर हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

ये भी पढे़ं: बद्दी में नकली दवाओं का मामला, हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव व दवा नियंत्रक से तलब किया शपथपत्र

शिमला: हिमाचल प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक नगर बद्दी में सात साल की बच्ची से दुष्कर्म और फिर हत्या के दोषी की फांसी की सजा पर पुष्टिकरण के मामले में हिमाचल हाई कोर्ट (Himachal High Court ) ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. उत्तर प्रदेश के आकाश ने बच्ची के अपहरण के बाद उससे दुष्कर्म किया और फिर हत्या कर दी थी. निचली अदालत ने आकाश को फांसी की सजा सुनाई थी. उसने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी. हाई कोर्ट में मौत की सजा के पुष्टिकरण पर भी सुनवाई हो रही है.

इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना व न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ कर रही है. अदालत ने दोनों पक्षों की बहस व दलीलें सुनी. दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. दोषी आकाश ने फास्ट ट्रैक सोलन के फैसले को अपील के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी है. उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में 7 वर्षीय मासूम बच्ची का अपहरण किया गया था. बाद में बच्ची से दुष्कर्म किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई. फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दोषी को फांसी की सजा सुनाई है.

मामला पांच साल पहले 2017 का है. उत्तर प्रदेश के रहने वाले आकाश ने अपहरण के बाद बच्ची के साथ दुराचार किया था. इतना ही नहीं, आकाश ने बच्ची का गला घोंट कर बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी थी. मामले की जांच में पता चला था कि दरिंदगी की हदें पार करते हुए बच्ची के प्राइवेट पार्ट में लकड़ी का टुकड़ा भी डाला गया था. मासूम के साथ इतनी दरिंदगी करने वाले इस दोषी को जिला सोलन की अदालत ने मौत की सजा सुनाई.

फास्ट ट्रैक कोर्ट में यह मामला चल रहा था. इस जघन्य अपराध को सोलन में अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने रेयर ऑफ रेयरेस्ट नेचर का करार दिया था. वारदात में दोषी पाए गए उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के रहने वाले आकाश को सजा-ए-मौत के आदेश जारी हुए हैं. अदालत में दोषी को आईपीसी की धारा-302, 376 व पॉक्सो एक्ट की धारा-10 के तहत सजा सुनाई है. फिलहाल, अब फांसी की सजा को लेकर पुष्टिकरण पर हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

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