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हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने से जुड़ा मामला, तीन दिन की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने रिजर्व किया फैसला - हाटी समुदाय जनजातीय दर्जा मामला

Hati Community Tribal Status Case: हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने से जुड़े मामले में तीन दिन की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसला रिजर्व किया है. मामले में पक्ष और विपक्ष की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है. पढ़िए पूरी खबर...

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 20, 2023, 8:35 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सिरमौर जिला के ट्रांसगिरि इलाके से संबंधित हाटी समुदाय को ट्राइबल स्टेट्स दिए जाने से जुड़े मामले में हाईकोर्ट ने फैसला रिजर्व कर लिया है. इस संदर्भ में पक्ष और विपक्ष में दाखिल की गई याचिकाओं पर तीन दिन की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली खंडपीठ ने अपना निर्णय सुरक्षित रखा है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ कर रही है.

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने संबंधी अधिसूचना जारी की है. इस फैसला का कुछ लोगों व संगठनों ने विरोध किया है. कुछ याचिकाएं हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा दिए जाने के पक्ष में हैं तो कुछ में इसका विरोध किया गया है. वहीं, गिरिपार इलाके के युवाओं, छात्रों और नौकरी के इच्छुक अभ्यर्थियों ने जनजाति से जुड़े प्रमाणपत्रों की मांग भी की है, ताकि उन्हें आरक्षण का लाभ मिल सके.

हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाओं में गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति और गुर्जर समाज कल्याण परिषद जिला सिरमौर ने आरोप लगाया है कि बिना जनसंख्या सर्वेक्षण के ही गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय घोषित कर दिया गया. परिषद का कहना है कि वे पहले से ही अनुसूचित जनजाति व अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं.

उनका आरोप है कि हिमाचल में हाटी नाम से कोई जनजाति नहीं है और आरक्षण का अधिकार ऊंची जाति के लोगों को भी दे दिया गया. ये कानूनी रूप से गलत है. किसी भी भौगोलिक क्षेत्र को किसी समुदाय के नाम पर तब तक अनुसूचित जनजाति घोषित नहीं किया जा सकता, जब तक वह अनुसूचित जनजाति के रूप में सजातीय होने के मानदंड को पूरा नहीं करता हो.

देश में आरक्षण नीति के अनुसार अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को पहले से ही मौजूदा कानून में क्रमश: 15 और 27 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है. इससे उन्हें उच्च और आर्थिक रूप से संपन्न लोगों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी. साथ ही पंचायती राज और शहरी निकाय संस्थानों में अनुसूचित जाति समुदायों के स्थान पर अब एसटी समुदाय को आरक्षण दिया जाएगा.

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने सितंबर 2022 में हाटी समुदाय को आदिवासी दर्जा देने की घोषणा की थी. केंद्र के फैसले का कुछ समुदाय विरोध कर रहे थे और याचिका के माध्यम से इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी है. अब हाईकोर्ट ने तीन दिन की सुनवाई के बाद फैसला रिजर्व कर लिया है.

ये भी पढ़ें: भाजपा ने वापस ली डिप्टी सीएम की नियुक्ति को खारिज करने की मांग, सीपीएस मामले में जारी रहेगी सुनवाई

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सिरमौर जिला के ट्रांसगिरि इलाके से संबंधित हाटी समुदाय को ट्राइबल स्टेट्स दिए जाने से जुड़े मामले में हाईकोर्ट ने फैसला रिजर्व कर लिया है. इस संदर्भ में पक्ष और विपक्ष में दाखिल की गई याचिकाओं पर तीन दिन की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली खंडपीठ ने अपना निर्णय सुरक्षित रखा है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ कर रही है.

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने संबंधी अधिसूचना जारी की है. इस फैसला का कुछ लोगों व संगठनों ने विरोध किया है. कुछ याचिकाएं हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा दिए जाने के पक्ष में हैं तो कुछ में इसका विरोध किया गया है. वहीं, गिरिपार इलाके के युवाओं, छात्रों और नौकरी के इच्छुक अभ्यर्थियों ने जनजाति से जुड़े प्रमाणपत्रों की मांग भी की है, ताकि उन्हें आरक्षण का लाभ मिल सके.

हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाओं में गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति और गुर्जर समाज कल्याण परिषद जिला सिरमौर ने आरोप लगाया है कि बिना जनसंख्या सर्वेक्षण के ही गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय घोषित कर दिया गया. परिषद का कहना है कि वे पहले से ही अनुसूचित जनजाति व अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं.

उनका आरोप है कि हिमाचल में हाटी नाम से कोई जनजाति नहीं है और आरक्षण का अधिकार ऊंची जाति के लोगों को भी दे दिया गया. ये कानूनी रूप से गलत है. किसी भी भौगोलिक क्षेत्र को किसी समुदाय के नाम पर तब तक अनुसूचित जनजाति घोषित नहीं किया जा सकता, जब तक वह अनुसूचित जनजाति के रूप में सजातीय होने के मानदंड को पूरा नहीं करता हो.

देश में आरक्षण नीति के अनुसार अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को पहले से ही मौजूदा कानून में क्रमश: 15 और 27 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है. इससे उन्हें उच्च और आर्थिक रूप से संपन्न लोगों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी. साथ ही पंचायती राज और शहरी निकाय संस्थानों में अनुसूचित जाति समुदायों के स्थान पर अब एसटी समुदाय को आरक्षण दिया जाएगा.

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने सितंबर 2022 में हाटी समुदाय को आदिवासी दर्जा देने की घोषणा की थी. केंद्र के फैसले का कुछ समुदाय विरोध कर रहे थे और याचिका के माध्यम से इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी है. अब हाईकोर्ट ने तीन दिन की सुनवाई के बाद फैसला रिजर्व कर लिया है.

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