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Himachal High Court: पंचायत प्रधान ने सरकारी जमीन पर किया था कब्जा, हाईकोर्ट का राहत से इनकार, खारिज की याचिका

सरकारी जमीन पर कब्जा मामले में घिरी नंधान पंचायत की प्रधान मंजना कुमारी को हिमाचल हाईकोर्ट से झटका लगा है. जमीन कब्जा मामले में नंधान पंचायत प्रधान का निर्वाचन रद्द किया गया था. जिसके खिलाफ दायर याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. (Himachal High Court) (Himachal High Court rejected petition)

Himachal High Court
हिमाचल हाईकोर्ट
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Published : Jul 14, 2023, 7:01 AM IST

शिमला: हमीरपुर जिला में नंधान पंचायत की प्रधान को हिमाचल हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है. सरकारी जमीन पर कब्जा करने के आरोप में घिरी पंचायत प्रधान की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. पंचायत प्रधान द्वारा जमीन पर कब्जा करने का मामला सामने आने के बाद उसके निर्वाचन को रद्द किया गया था. निर्वाचन रद्द करने के फैसले को पंचायत प्रधान ने याचिका को माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन अदालत से भी उसे कोई राहत नहीं मिली.

हाईकोर्ट ने भी महिला प्रधान के चुनाव को रद्द करने के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है. हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने हमीरपुर की नंधान पंचायत की प्रधान मंजना कुमारी की याचिका को खारिज कर दिया. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि प्रधान पद के लिए 21 जनवरी 2021 को चुनाव हुए थे. मतदान के दिन ही इसका परिणाम घोषित किया गया था. प्रार्थी मंजना कुमारी को ग्राम पंचायत नंधान में प्रधान पद के लिए विजयी घोषित किया गया था. बाद में मंजना कुमारी के निर्वाचन को पंचायती राज अधिनियम की धारा 162 और 163 के तहत चुनौती दी गई.

मंजना पर आरोप लगाया गया था कि उसने सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा किया हुआ है. ऐसे में अधिनियम के प्रावधानों के तहत वह चुनाव लड़ने के लिए सक्षम उम्मीदवार नहीं थी और उसने झूठा शपथपत्र दायर किया है. फिर भोरंज के एसडीएम ने 30 नवंबर 2022 को चुनाव याचिका खारिज करते हुए पाया था कि प्रार्थी पंचायती राज अधिनियम के आधार पर चुनाव लड़ने के योग्य नहीं थी. इस निर्णय को याचिकाकर्ता मंजना कुमारी ने अपील के माध्यम से चुनौती दी थी. वहां भी अपीलीय अधिकारी ने मंजना के आवदेन को खारिज करते हुए पाया था कि प्रार्थी के खिलाफ सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा किए जाने पर कार्रवाई हो चुकी है. ऐसे में वह पंचायती राज अधिनियम के तहत वह चुनाव लड़ने के लिए सक्षम नहीं थी.

अपीलीय अधिकारी के इस निर्णय को मंजना कुमारी ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने भी मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने पर पाया कि उसकी चुनाव याचिका को पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप ही खारिज किया गया है. इस तरह मंजना कुमारी को हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली और न्यायमूर्ति राव की अगुवाई वाली खंडपीठ ने उसकी याचिका खारिज कर दी.

ये भी पढ़ें: Himachal High court: डॉक्टर्स की सहमति के बिना मेडिकल कॉलेजों में डेपुटेशन पर रोक, हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

शिमला: हमीरपुर जिला में नंधान पंचायत की प्रधान को हिमाचल हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है. सरकारी जमीन पर कब्जा करने के आरोप में घिरी पंचायत प्रधान की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. पंचायत प्रधान द्वारा जमीन पर कब्जा करने का मामला सामने आने के बाद उसके निर्वाचन को रद्द किया गया था. निर्वाचन रद्द करने के फैसले को पंचायत प्रधान ने याचिका को माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन अदालत से भी उसे कोई राहत नहीं मिली.

हाईकोर्ट ने भी महिला प्रधान के चुनाव को रद्द करने के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है. हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने हमीरपुर की नंधान पंचायत की प्रधान मंजना कुमारी की याचिका को खारिज कर दिया. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि प्रधान पद के लिए 21 जनवरी 2021 को चुनाव हुए थे. मतदान के दिन ही इसका परिणाम घोषित किया गया था. प्रार्थी मंजना कुमारी को ग्राम पंचायत नंधान में प्रधान पद के लिए विजयी घोषित किया गया था. बाद में मंजना कुमारी के निर्वाचन को पंचायती राज अधिनियम की धारा 162 और 163 के तहत चुनौती दी गई.

मंजना पर आरोप लगाया गया था कि उसने सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा किया हुआ है. ऐसे में अधिनियम के प्रावधानों के तहत वह चुनाव लड़ने के लिए सक्षम उम्मीदवार नहीं थी और उसने झूठा शपथपत्र दायर किया है. फिर भोरंज के एसडीएम ने 30 नवंबर 2022 को चुनाव याचिका खारिज करते हुए पाया था कि प्रार्थी पंचायती राज अधिनियम के आधार पर चुनाव लड़ने के योग्य नहीं थी. इस निर्णय को याचिकाकर्ता मंजना कुमारी ने अपील के माध्यम से चुनौती दी थी. वहां भी अपीलीय अधिकारी ने मंजना के आवदेन को खारिज करते हुए पाया था कि प्रार्थी के खिलाफ सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा किए जाने पर कार्रवाई हो चुकी है. ऐसे में वह पंचायती राज अधिनियम के तहत वह चुनाव लड़ने के लिए सक्षम नहीं थी.

अपीलीय अधिकारी के इस निर्णय को मंजना कुमारी ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने भी मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने पर पाया कि उसकी चुनाव याचिका को पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप ही खारिज किया गया है. इस तरह मंजना कुमारी को हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली और न्यायमूर्ति राव की अगुवाई वाली खंडपीठ ने उसकी याचिका खारिज कर दी.

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