शिमला: हिमाचल प्रदेश लोकसेवा आयोग ने एचजेएस यानी हिमाचल ज्यूडिशियल सविर्सिज के लिए समय पर चरित्र प्रमाण पत्र न देने पर 1700 आवेदन रद्द कर दिए थे. आवेदन रद्द होने के बाद आवेदनकर्ता हाईकोर्ट पहुंचे थे, लेकिन अदालत ने भी उनकी याचिकाएं खारिज कर दीं. उल्लेखनीय है कि सिविल जज के लिए नौ जुलाई को होने वाली छंटनी परीक्षा के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे, लेकिन आवेदन करने वाले कई अभ्यर्थियों ने जरूरी दस्तावेज नहीं लगाए थे. इस पर लोक सेवा आयोग ने 1700 आवेदन रद्द कर दिए थे. आवेदनकर्ताओं को हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली.
वहीं, लोकसेवा आयोग ने दलील दी थी कि रिजेक्ट किए गए उम्मीदवारों ने नियमों के अनुरूप दस्तावेज अपलोड नहीं किए थे. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की. अदालत में नेहा शर्मा और अन्य ने याचिकाएं दाखिल की थीं.
अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि सरकारी प्राधिकरण से जारी किए जाने वाले प्रमाणपत्र जैसे जाति, उपजाति, अनुसूचित जाति, चरित्र, स्थायी निवासी आदि प्रमाण पत्रों को आवेदन करने की अंतिम तिथि से पहले कई बार हासिल नहीं किया जा सकता है. इसलिए ऐसे प्रमाण पत्रों को आवेदन करने की अंतिम तिथि के बाद भी जमा करवाया जा सकता है, लेकिन याचिकाकर्ताओं को जो चरित्र प्रमाण पत्र अपलोड करने थे, वे किसी सरकारी प्राधिकरण से जारी नहीं किए जाने थे. उम्मीदवारों को दो राजपत्रित अधिकारियों से चरित्र प्रमाण पत्र अपलोड करने थे, जोकि आसानी से हासिल किए जा सकते थे.
आयोग के अनुसार सिविल जज परीक्षा के लिए 22 अप्रैल 2023 को अधिसूचना जारी की गई थी. उम्मीदवारों को निर्धारित नियमों के अनुरूप दस्तावेज अपलोड करने के निर्देश दिए गए थे. इसके बाद 28 अप्रैल, 10 मई और 12 मई 2023 को आयोग ने उम्मीदवारों से नियमों के अनुरूप दस्तावेज अपलोड करने के दोबारा निर्देश दिए थे. कोर्ट को बताया गया कि इसके बावजूद भी याचिकाकर्ताओं ने अपने प्रमाणपत्र अपलोड नहीं किए.
आयोग ने दलील दी कि सिविल जज के लिए 9 जुलाई को छंटनी परीक्षा निर्धारित की गई है. सभी उम्मीदवारों के लिए रोल नंबर और परीक्षा केंद्र आवंटित किए जा चुके है. परीक्षा के लिए प्रश्नपत्र भी उसी हिसाब से छपवाए गए हैं. यदि याचिकाकर्ताओं को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाती है तो, यह आयोग के लिए असुविधा का कारण बनेगा. हाईकोर्ट ने आयोग की दलीलों से सहमति जताते हुए सभी याचिकाएं खारिज कर दीं.
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