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Himachal High Court: राजमार्गों में भूस्खलन रोकने के लिए BRO और EIL देगा सुझाव, मामले में 13 अक्टूबर को अगली सुनवाई - himachal landslides on highways

श्यामकांत धर्माधिकारी की याचिका पर हिमाचल हाईकोर्ट ने सुनवाई की. हाईकोर्ट ने प्रदेश के राजमार्गों में हो रहे भूस्खलन रोकने के लिए BRO और इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड सुझाव देने को कहा. मामले में अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी. (Himachal High Court) (himachal landslides on highways) (Border Road Organization) (Engineers India Limited)

Himachal High Court
हाईकोर्ट ने BRO और EIL से मांगा जवाब
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 26, 2023, 7:37 AM IST

Updated : Sep 26, 2023, 10:15 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि प्रदेश के राजमार्गों में लैंडस्लाइड रोकने के लिए बॉर्डर रोड संगठन (BRO) और इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (EIL) अपने सुझाव देंगे. केंद्र सरकार ने इन्हें हाई पावर कमेटी में शामिल किया है. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने कमेटी से जल्दी सुझाव देने की आशा जताई है. मामले की सुनवाई 13 अक्टूबर को तय की गई है. वही, भविष्य में इस तरह की आपदा से निपटने के लिए अदालत ने कोर्ट मित्र से सुझाव आमंत्रित किए है.

कोर्ट ने कहा आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के बारे में भी सुझाव दिए जाए. इस अधिनियम में मलबे को हटाने संबंधी आदेश पारित करने के लिए उपायुक्त को सक्षम बनाया गया है. अदालत ने इसके अलावा पर्यावरण मंत्रालय को आदेश दिए हैं कि वह मलबे की डंपिंग के लिए तुरंत प्रभाव से मंजूरी दे, ताकि हाईवे में पड़े मलबे की डंपिंग की जा सके.

बता दें कि इंजीनियरिंग के क्षेत्र में 45 वर्ष के अनुभव वाले एक इंजीनियर की शिकायत पर अदालत ने कड़ा संज्ञान लिया. श्यामकांत धर्माधिकारी ने अपने पत्र में आरोप लगाया कि पहाड़ों के कटान से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. हिमाचल प्रदेश में त्रुटिपूर्ण इंजीनियरिंग से भूमिगत सुरंगें, सड़कें और पुले बनाई जा रही, जिससे पहाड़ों का अनियोजित उत्खनन किया जा रहा है. सड़कों में ढलान और अवैज्ञानिक तरीके से पुल और सुरंगों का निर्माण किया जाना नुकसान का कारण बनता है.

अदालत को बताया गया कि इंजीनियरिंग के बिना राष्ट्र निर्माण की अपेक्षा नहीं की जा सकती है. आज के जमाने में इंजीनियरिंग और वास्तु कला की सख्त जरूरत है, लेकिन यदि इंजीनियरिंग और वास्तु कला में जरा सी भी त्रुटि पाई जाती है तो हजारों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. तकनीकी कमी और पुराने उपयोग के कारण सड़क की रिटेनिंग दीवारें कमजोर हो रही हैं. जल निकासी के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है.

चिंता का विषय है कि 3 मीटर सड़क की दोनों ओर जमीन अतिरिक्त रूप से अधिग्रहीत की गई है. जबकि शहरों और गांवों में सर्विस लेन नहीं है. जिससे आए दिन दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है. वहीं, वनों की अंधाधुन कटाई के कारण मिट्टी का कटाव हुआ है, जो लगातार भूस्खलन का कारण बन रहे हैं.

ये भी पढ़ें: Himachal High Court: अदालती आदेशों की अनुपालना न करने पर हाईकोर्ट ने लिया कड़ा संज्ञान, वन विभाग के दोषी अधिकारी की जानकारी तलब की

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि प्रदेश के राजमार्गों में लैंडस्लाइड रोकने के लिए बॉर्डर रोड संगठन (BRO) और इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (EIL) अपने सुझाव देंगे. केंद्र सरकार ने इन्हें हाई पावर कमेटी में शामिल किया है. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने कमेटी से जल्दी सुझाव देने की आशा जताई है. मामले की सुनवाई 13 अक्टूबर को तय की गई है. वही, भविष्य में इस तरह की आपदा से निपटने के लिए अदालत ने कोर्ट मित्र से सुझाव आमंत्रित किए है.

कोर्ट ने कहा आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के बारे में भी सुझाव दिए जाए. इस अधिनियम में मलबे को हटाने संबंधी आदेश पारित करने के लिए उपायुक्त को सक्षम बनाया गया है. अदालत ने इसके अलावा पर्यावरण मंत्रालय को आदेश दिए हैं कि वह मलबे की डंपिंग के लिए तुरंत प्रभाव से मंजूरी दे, ताकि हाईवे में पड़े मलबे की डंपिंग की जा सके.

बता दें कि इंजीनियरिंग के क्षेत्र में 45 वर्ष के अनुभव वाले एक इंजीनियर की शिकायत पर अदालत ने कड़ा संज्ञान लिया. श्यामकांत धर्माधिकारी ने अपने पत्र में आरोप लगाया कि पहाड़ों के कटान से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. हिमाचल प्रदेश में त्रुटिपूर्ण इंजीनियरिंग से भूमिगत सुरंगें, सड़कें और पुले बनाई जा रही, जिससे पहाड़ों का अनियोजित उत्खनन किया जा रहा है. सड़कों में ढलान और अवैज्ञानिक तरीके से पुल और सुरंगों का निर्माण किया जाना नुकसान का कारण बनता है.

अदालत को बताया गया कि इंजीनियरिंग के बिना राष्ट्र निर्माण की अपेक्षा नहीं की जा सकती है. आज के जमाने में इंजीनियरिंग और वास्तु कला की सख्त जरूरत है, लेकिन यदि इंजीनियरिंग और वास्तु कला में जरा सी भी त्रुटि पाई जाती है तो हजारों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. तकनीकी कमी और पुराने उपयोग के कारण सड़क की रिटेनिंग दीवारें कमजोर हो रही हैं. जल निकासी के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है.

चिंता का विषय है कि 3 मीटर सड़क की दोनों ओर जमीन अतिरिक्त रूप से अधिग्रहीत की गई है. जबकि शहरों और गांवों में सर्विस लेन नहीं है. जिससे आए दिन दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है. वहीं, वनों की अंधाधुन कटाई के कारण मिट्टी का कटाव हुआ है, जो लगातार भूस्खलन का कारण बन रहे हैं.

ये भी पढ़ें: Himachal High Court: अदालती आदेशों की अनुपालना न करने पर हाईकोर्ट ने लिया कड़ा संज्ञान, वन विभाग के दोषी अधिकारी की जानकारी तलब की

Last Updated : Sep 26, 2023, 10:15 AM IST
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