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Himachal High court: NIOS के फर्जी प्रमाण पत्रों की धीमी जांच पर हाईकोर्ट नाराज, एसआईटी के गठन का संकेत

NIOS के फर्जी प्रमाण पत्रों की धीमी जांच पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई है. मामले में कोर्ट ने कहा अगर जांच गंभीरता से नहीं की जाएगी तो अदालत को मजबूरन एसआईटी गठित कर जांच करवानी पड़ेगी. मामले में कोर्ट ने जिला मंडी के पुलिस स्टेशन औट में दर्ज एफआईआर की जांच रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद आदेश पारित किए है. पढ़िए पूरी खबर...(Himachal High court) (NIOS fake certificates case)

Himachal High court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
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Published : Jul 8, 2023, 7:10 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (NIOS) के फर्जी प्रमाणपत्रों को लेकर की जा रही धीमी जांच पर एक बार फिर अपनी नाराजगी प्रकट की है. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मामले की गंभीरता से जांच करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि गंभीरता से जांच नहीं की जाएगी तो अदालत को मजबूरन एसआईटी का गठन कर जांच करवानी पड़ेगी. कोर्ट ने इस मामले में पुलिस स्टेशन औट जिला मंडी में दर्ज एफआईआर की जांच रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद उपरोक्त आदेश पारित किए है. हाईकोर्ट ने जांच की धीमी रफ्तार पर सख्त एतराज किया है.

मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि इस मामले में संदिग्ध मुख्य आरोपी सुनील कुमार को अदालत के आदेश के बाद गिरफ्तार किया गया और उसे अग्रिम जमानत लेनी पड़ी. कोर्ट ने कहा कि इसके बाद अभी भी जांच में कोई गंभीरता नहीं दिखाई दे रही है. अदालत ने जांच अधिकारी को 2 सप्ताह के भीतर आगामी कार्रवाई में गंभीरता लाने के आदेश दिए हैं. साथ ही अदालत ने मामले की जांच से संबंधित अगली प्रोग्रेस रिपोर्ट 20 जुलाई को कोर्ट के समक्ष पेश करने के आदेश दिए हैं.

गौरतलब है कि फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी पाने की शिकायत से जुड़े मामले में एनआईओएस के निदेशक ने विवादित सर्टिफिकेट को फ्रॉड बताया था. इसके बाद कोर्ट ने एनआईओएस के निदेशक से सुनवाई के दौरान पूछा था कि जब इंस्टीट्यूट के फर्जी सर्टिफिकेट का मामला उनके संज्ञान में आता है तो, वे दोषी के खिलाफ क्या एक्शन लेते हैं? अदालत ने पूछा था कि क्या इंस्टीट्यूट की ओर से कोई आपराधिक मामला भी दर्ज किया जाता है.

इंस्टीट्यूट की ओर से कोर्ट को बताया गया की प्रदेश में उनके 36 आउटलेट हैं, जहां पर्सनल कॉन्टैक्ट प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं. उक्त जानकारियों के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में दर्ज की गई एफआईआर के बाद मामले की धीमी जांच पर नाराजगी जताई है. अब 20 जुलाई को मामले की प्रोग्रेस रिपोर्ट अदालत में पेश करनी होगी.

नशा तस्करी मामले में जमानत याचिका खारिज: वहीं, एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने नशीले पदार्थों तस्करी के आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा ने ऊना के कलरूही निवासी संजू शर्मा और गांव शलीन तहसील मनाली के रहने वाले चमन लाल की जमानत याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि उनसे बरामद मादक पदार्थ तय व्यापारिक मात्रा से कहीं अधिक हैं. मामले के अनुसार आरोपी संजू शर्मा से स्पाज ट्रांकन प्लस कैप्सूल के 81 पत्ते बरामद किए थे। हर एक पत्ते में 24 कैप्सूल थे.

आरोपी इस दवाई को अपने पास रखने के कोई लाइसेंस नहीं दिखा पाया, इसलिए इसके खिलाफ पुलिस स्टेशन अंब में एनडीपीएस एक्ट की धारा 8सी और 22 के तहत मामला दर्ज किया गया. दूसरे आरोपी चमन लाल से 2 किलो 372 ग्राम चरस बरामद की गई. इस पर मनाली पुलिस स्टेशन में एनडीपीएस एक्ट की धारा 20 के तहत मामला दर्ज किया गया था. कोर्ट ने दोनों मामलों में जमानत याचिकाएं खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट को 31 मार्च 2024 तक मामलों का निपटारा करने के आदेश भी दिए.
ये भी पढ़ें: Himachal High Court: बकाया राशि पर ब्याज का भुगतान न करना एचआरटीसी अफसरों को पड़ा महंगा, हाईकोर्ट ने दिए जांच के आदेश

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (NIOS) के फर्जी प्रमाणपत्रों को लेकर की जा रही धीमी जांच पर एक बार फिर अपनी नाराजगी प्रकट की है. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मामले की गंभीरता से जांच करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि गंभीरता से जांच नहीं की जाएगी तो अदालत को मजबूरन एसआईटी का गठन कर जांच करवानी पड़ेगी. कोर्ट ने इस मामले में पुलिस स्टेशन औट जिला मंडी में दर्ज एफआईआर की जांच रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद उपरोक्त आदेश पारित किए है. हाईकोर्ट ने जांच की धीमी रफ्तार पर सख्त एतराज किया है.

मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि इस मामले में संदिग्ध मुख्य आरोपी सुनील कुमार को अदालत के आदेश के बाद गिरफ्तार किया गया और उसे अग्रिम जमानत लेनी पड़ी. कोर्ट ने कहा कि इसके बाद अभी भी जांच में कोई गंभीरता नहीं दिखाई दे रही है. अदालत ने जांच अधिकारी को 2 सप्ताह के भीतर आगामी कार्रवाई में गंभीरता लाने के आदेश दिए हैं. साथ ही अदालत ने मामले की जांच से संबंधित अगली प्रोग्रेस रिपोर्ट 20 जुलाई को कोर्ट के समक्ष पेश करने के आदेश दिए हैं.

गौरतलब है कि फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी पाने की शिकायत से जुड़े मामले में एनआईओएस के निदेशक ने विवादित सर्टिफिकेट को फ्रॉड बताया था. इसके बाद कोर्ट ने एनआईओएस के निदेशक से सुनवाई के दौरान पूछा था कि जब इंस्टीट्यूट के फर्जी सर्टिफिकेट का मामला उनके संज्ञान में आता है तो, वे दोषी के खिलाफ क्या एक्शन लेते हैं? अदालत ने पूछा था कि क्या इंस्टीट्यूट की ओर से कोई आपराधिक मामला भी दर्ज किया जाता है.

इंस्टीट्यूट की ओर से कोर्ट को बताया गया की प्रदेश में उनके 36 आउटलेट हैं, जहां पर्सनल कॉन्टैक्ट प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं. उक्त जानकारियों के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में दर्ज की गई एफआईआर के बाद मामले की धीमी जांच पर नाराजगी जताई है. अब 20 जुलाई को मामले की प्रोग्रेस रिपोर्ट अदालत में पेश करनी होगी.

नशा तस्करी मामले में जमानत याचिका खारिज: वहीं, एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने नशीले पदार्थों तस्करी के आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा ने ऊना के कलरूही निवासी संजू शर्मा और गांव शलीन तहसील मनाली के रहने वाले चमन लाल की जमानत याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि उनसे बरामद मादक पदार्थ तय व्यापारिक मात्रा से कहीं अधिक हैं. मामले के अनुसार आरोपी संजू शर्मा से स्पाज ट्रांकन प्लस कैप्सूल के 81 पत्ते बरामद किए थे। हर एक पत्ते में 24 कैप्सूल थे.

आरोपी इस दवाई को अपने पास रखने के कोई लाइसेंस नहीं दिखा पाया, इसलिए इसके खिलाफ पुलिस स्टेशन अंब में एनडीपीएस एक्ट की धारा 8सी और 22 के तहत मामला दर्ज किया गया. दूसरे आरोपी चमन लाल से 2 किलो 372 ग्राम चरस बरामद की गई. इस पर मनाली पुलिस स्टेशन में एनडीपीएस एक्ट की धारा 20 के तहत मामला दर्ज किया गया था. कोर्ट ने दोनों मामलों में जमानत याचिकाएं खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट को 31 मार्च 2024 तक मामलों का निपटारा करने के आदेश भी दिए.
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