शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक मंडी में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के पदों को भरने पर रोक लगा दी है. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से इस संदर्भ में जवाब भी तलब किया है. 16 अगस्त को इस मामले पर सुनवाई की जाएगी.
HC में नेरचौक मेडिकल कॉलेज में भर्ती पर दी चुनौती: मामले के अनुसार डॉ. शालिनी शर्मा ने कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नेरचौक मेडिकल कॉलेज में भरे जा रहे इन पदों को याचिका के जरिए हिमाचल हाईकोर्ट में चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रथम दृष्टि में पाया कि कॉलेज प्रशासन की ओर से यह भर्ती प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विपरीत है. अदालत को बताया गया कि लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज मंडी ने 9 जून 2023 को प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के पद भरने बारे विज्ञापन जारी किया है. इसके अनुसार इन पदों को कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर वाक इन इंटरव्यू के माध्यम से भरने का फैसला लिया गया है. इस पर आरोप लगाया गया कि भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के अनुसार इन पदों को कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नहीं भरा जा सकता है.
नेरचौक मेडिकल कॉलेज में भर्ती पर रोक: 2 दिसंबर 1999 के भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत इन पदों को सौ फीसदी पदोन्नती से भरे जाने का प्रावधान है. अगर प्रमोशन के आधार पर पद भरने के लिए कोई कैंडिडेट नहीं है तो सीधी भर्ती के जरिए भी इसे भरा जा सकता है. प्रार्थी ने आरोप लगाया है कि कॉलेज में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के पदों को भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत नहीं भरा जा रहा है. अदालत को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि राज्य के अधीन विभिन्न सेवाओं या राज्य के अधीन पदों को भर्ती नियमों के तहत भरा जाए. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टि में कॉलेज में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के पदों की भर्ती प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विपरीत है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने भर्ती पर रोक लगा दी और आगामी सुनवाई 16 अगस्त को तय कर दी है.
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