शिमला: हिमाचल प्रदेश में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा से भारी नुकसान हुआ है. इस दौरान कई क्षेत्रों से पूरी तरह संपर्क टूट गया. ऐसी स्थिती में इन क्षेत्रों की मौजूदा हालात जानना और इन क्षेत्रों तक मदद पहुंचाना बहुत मुश्किल हो जाता है. इस आपदा के दौरान भी संचार की समस्या का सामना करना पड़ा. जिसके बाद अब प्रदेश सरकार प्राकृतिक आपदा जैसी आपातकालीन स्थिति में बेहतर वैकल्पिक साधन विकसित करने पर जोर दे रही है.
हैम रेडियो को बढ़ावा: आपदा की स्थिति में अक्सर फोन और इंटरनेट जैसी संचार सेवाएं ठप हो जाती हैं. इस स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार ने वैकल्पिक संचार के लिए एक प्रभावी उपकरण के रूप में एमेच्योर रेडियो (हैम) को बढ़ावा देने को स्वीकृति प्रदान की है. इस पहल के तहत हिमाचल के सभी उपमंडलों में कम से कम एक हैम रेडियो स्वयंसेवक बनाया जाएगा. ये स्वयंसेवक किसी भी आपातकाल स्थिति में स्टेट लेवल पर स्थापित आपातकालीन संचालन केंद्र और सभी जिला आपातकालीन संचालन केंद्रों से जुड़कर वैकल्पिक संचार चैनल स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
स्वयंसेवकों का पंजीकरण जरूरी: इसका प्रभावशाली तौर पर काम सुनिश्चित करने के लिए, स्वयंसेवकों को पंजीकृत किया जाएगा और स्थापित मानदंडों के अनुसार एमेच्योर रेडियो के संचालन के लिए लाइसेंस भी दिए जाएंगे. इसके लिए प्रदेश सरकार स्वयंसेवकों को जरूरी इक्विपमेंट खरीदने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगी. आवश्यक उपकरणों की 80% लागत का वहन सरकार द्वारा किया जाएगा और शेष 20% लागत स्वयंसेवकों को वहन करनी होगी. इसके अलावा प्रदेश सरकार शैक्षणिक संस्थानों में नए हैम रेडियो क्लब स्थापित करने, मौजूदा हैम रेडियो क्लबों को मजबूत करने और स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण प्रदान करने में भी मदद करेगी. प्रशिक्षित एमेच्योर रेडियो ऑपरेटरों के कौशल का उपयोग आवश्यकता और आपात स्थिति के समय सार्वजनिक सेवा के लिए किया जा सकता है.
संपर्क टूट जाने पर काम आया है हैम रेडियो: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि आपातकालीन संचार में एमेच्योर रेडियो का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि जब टेलीफोन, मोबाइल फोन सहित अन्य पारंपरिक संचार सेवाएं बाधित हो जाती हैं, तो यह रेडियो स्टेशन इनफार्मेशन कम्युनिकेशन में उपयोगी हो सकते है. लंबी दूरी तय कर सकने की इनकी क्षमता के कारण यह आपातकालीन स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं जिससे अमूल्य जीवन बचाया जा सकता है. संचार प्रणाली ठप होने की स्थिति में इसके जरिए जरूरी सूचनाएं प्रेषित की जा सकती हैं. जिससे आपदा के कारण होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है.
बारिश और सर्दी में आपदा की मार: आपदा के दौरान प्रभावित व्यक्ति, आपातकालीन प्रबंधन से जुड़े लोगों और आपदा प्रभावितों के बीच आपसी संपर्क बहुत जरूरी होता है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि बारिश और सर्दी के मौसम के दौरान लाहौल-स्पीति, चंबा और किन्नौर जैसे जनजातीय जिलों सहित कई क्षेत्रों में संचार प्रणाली अक्सर ठप पड़ जाती है. ऐसी परिस्थितियों में, संचार के वैकल्पिक साधन के रूप में हैम रेडियो की भूमिका और भी बढ़ जाती है. इसलिए, राज्य सरकार ने भविष्य की चुनौतियों के दृष्टिगत आपातकालीन संचार के एक प्रमुख उपकरण के रूप में हैम रेडियो को बढ़ावा देने का निर्णायक कदम उठाया है.