रामपुर: हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रामपुर शहर में अंतर्राष्ट्रीय लवी मेले (International Lavi Fair In Rampur) का शुक्रवार से आगाज हो गया है. राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने मेले का विधिवत शुभारंभ किया. सबसे पहले मेला कमेटी ने राज्यपाल का फूल मालाओं से स्वागत किया. जिसके बाद राज्यपाल ने दीप प्रज्वलित कर मेले का शुभारंभ किया. अपने संबोधन में राज्यपाल (Himachal Governor Rajendra Vishwanath Arlekar) ने कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि ये मेला हिमाचल और यहां की संस्कृति का झलक लोगों के सामने पेश करता है.
उन्होंने कहा कि मेले में व्यापारिक आदान प्रदान तो होता रहता है. लेकिन यहां विभिन्न प्रकार की संस्कृति की प्रस्तुति हो रही है. यह मेला विशेष स्वरूप रखता है, जिसमें अपने विचारों का आदान-प्रदान, विविध संस्कृति और अपने कर्मों का भी आदान प्रदान हो रहा है. उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय मे यह मेला और भी बेहतर अंदाज से मनाया जाएगा. उन्होंने 12 नवंबर को होने वाले लोकतंत्र के महापर्व में बढ़-चढ़ कर भाग लेने का आह्वान भी किया और अपनी पसंद के अनुसार मतदान करने की अपील की.
14 नवंबर तक रोजाना होगी सांस्कृतिक संध्या: लवी मेले में 11 नवंबर से 14 नवंबर तक रोजाना सांस्कृतिक संध्या होगी, जिनकी तैयारियां पाटबंगला मैदान में चल रही हैं. पहली सांस्कृतिक संध्या में आज अंकुश भारद्वाज अपनी आवाज का जादू दिखाएंगे. इसके अलावा मेले में विभिन्न विभागों द्वारा प्रदर्शनी भी लगाई गई हैं. चुनाव की तैयारियों के बीच स्थानीय प्रशासन ने मेले व रात में होने वाले कल्चरल प्रोग्रामों की तैयारियां पूरी की हैं, जिसके लिए वे प्रशंसा के पात्र हैं.
सांस्कृतिक संध्या में प्रस्तुति देंगे ये कलाकार
- लवी मेला की पहली सांस्कृतिक संध्या में पहाड़ी लोक गायक रघुवीर सिंह ठाकुर और रमेश ठाकुर, इंडियन आइडल फेम अनुज शर्मा परफॉर्म करेंगे.
- 12 नवंबर को हिमाचली लोक गायक विक्की चौहान, इंडियन आइडल फेम कुमार साहिल और पार्श्व गायक सोनिया शर्मा परफॉर्म करेंगी.
- 13 नवंबर को पहाड़ी लोक गायक डिम्पल ठाकुर, राजीव शर्मा और तातरा बॉयज कुलदीप शर्मा की प्रस्तुतियां होंगी.
- 14 नवंबर को हिमाचली लोक गायक इन्द्रजीत, हुनरबाज फेम हरमनी ऑफ पाइन्स, पुलिस ऑरकेस्ट्रा, पार्श्व गायक मोहम्मद इरफान अपनी सुरीली आवाज का जादू बिखरेंगे.
ये है लवी मेले का इतिहास: लवी मेला हिमाचल के शिमला स्थित रामपुर बुशहर में प्रतिवर्ष 11 से 14 नवंबर को मनाया जाता है. यूं तो यह मेला लगभग पिछली 3 शताब्दियों से मनाया जा रहा है. किंतु इसे व्यापारिक मेले का आधिकारिक स्वरूप तब मिला, जब सन 1911 में बुशहर रियासत के राजा केहरी सिंह ने तिब्बत सरकार से व्यापारिक संधि की. इस उपलक्ष्य पर तिब्बत और बुशहर रियासत के व्यापारिक रिश्तों की स्मृति में घोड़े और तलवारें आदान प्रदान की जाती थीं. पहले तिब्बत और अफगानिस्तान से भी व्यापारी यहां अपना सामान बेचने आते थे, किंतु तिब्बत चीन के अधीन होने के बाद यह सब बंद हो गया. 'लवी' शब्द की व्युत्पत्ति के संबंध में विद्वानों में एक मत नहीं है. कुछ इसे ऊन के उस पारंपरिक परिथन के नाम से उत्पन्न बताते हैं, जिसे लोईया कहा जाता है.(History of Lavi Fair).
चामूर्थी नर के घोड़े मेले की विशेषता: चामूर्थी नर के घोड़े इस मेले की विशेषता हैं. जिन्हें खरीदने दूर-दराज से आते हैं. इसके अतिरिक्त ग्रामीण लघु उद्योगों द्वारा निर्मित कृषि औजार जैसे कस्सी, कुवाली क्राट, दशति आदि वस्तुएं भी विक्रय के लिए मेले में आती हैं. सन 1985 में इस मेले को अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक मेले का दर्जा दिया गया. लवी मेला समिति लवी मेला मैदान और मुख्य मार्ग के किनारे व्यापारियों की सुविधा के लिए अस्थाई दुकानों का प्रबंध करती है. इस मेले में 4 दिनों में मुख्य स्थल पर विभिन्न विशालों द्वारा प्रदर्शनियां लगाई जाती हैं, जो अत्यधिक ज्ञान वर्धक होती हैं.
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