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ग्रामीण इलाकों में सेवाएं देने वाले एमबीबीएस डॉक्टर्स को पीजी कोर्स में प्रवेश के लिए मिलेंगे प्रोत्साहन अंक, हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार की नई नीति

हिमाचल सरकार ने पीजी कोर्स में प्रवेश के लिए नई नीति में एक बड़ा प्रावधान किया है. जिसके तहत ग्रामीण इलाकों में सेवाएं देने वाले एमबीबीएस डॉक्टर्स को पीजी कोर्स में प्रवेश के लिए प्रोत्साहन अंक मिलेंगे. ये जानकारी राज्य सरकार ने हिमाचल हाईकोर्ट को दी है. (Himachal Government new provision for MBBS doctors) (Himachal MBBS doctors get incentive marks).

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 26, 2023, 9:23 PM IST

शिमला: विशेषज्ञ यानी पीजी डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहे हिमाचल में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत सरकार ने हाईकोर्ट को नई नीति की जानकारी दी है. अदालती आदेश के बाद अब सरकार ने पीजी कोर्स में प्रवेश के लिए नई नीति में एक बड़ा प्रावधान किया है. हाईकोर्ट को इस प्रावधान की जानकारी देते हुए राज्य सरकार ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में सेवाएं देने वाले एमबीबीएस डॉक्टर्स जब पीजी कोर्स के लिए प्रवेश परीक्षा देंगे तो, उन्हें प्रोत्साहन अंक दिए जाएंगे.

ये प्रोत्साहन अंक ग्रामीण इलाकों में सेवाएं देने के ऑप्शन को चुनने की एवज में दिए जाएंगे. यानी जो एमबीबीएस डॉक्टर्स दूरदराज के क्षेत्रों में सेवाएं देगा, उसे पीजी कोर्स में प्रवेश के लिए प्रोत्साहन अंक मिलेंगे. मामले की सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप शर्मा के समक्ष राज्य सरकार ने बताया कि कैबिनेट से नई नीति को मंजूरी मिल चुकी है. इस पर न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने मामले की सुनवाई 5 सितंबर को निर्धारित कर दी है.

मामले के अनुसार याचिकाकर्ता डॉक्टर अभिनव अवस्थी ने अदालत को बताया कि एमबीबीएस डॉक्टर्स को प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में सेवाएं देने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है. इन्हीं में से एक के तहत उन्हें राज्य में पीजी की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करना भी है. यह प्रथा अरसे से चली आ रही है. वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य पीजी नीति में 2017 में संशोधन किया गया था. इसके तहत सेवारत उम्मीदवारों के लिए प्रोत्साहन प्रणाली शुरू की गई और सेवाकालीन कोटा हटा दिया गया. इस नीति को बाद में वर्ष 2019 में आंशिक रूप से संशोधित किया गया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात चिकित्सकों को कुछ लाभ मिला.

हालांकि, वर्ष 2017 की नीति में इसे नामंजूर कर दिया गया था. तमिलनाडु मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2016 के फैसले के खिलाफ फैसला सुनाया था. राज्य सरकार ने इस फैसले के आधार पर 2017 की अपनी पीजी नीति बनाई थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लागू करने के लिए विभिन्न राज्यों ने अपनी पीजी नीति को फिर से संशोधित किया. हालांकि हिमाचल प्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद उसी नीति को जारी रखा था. इस नीति के तहत चिकित्सकों को प्रोत्साहन अंक देने के लिए हिमाचल प्रदेश को छह भागों में बांटा गया था.

याचिकाकर्ता ने इस नीति के खिलाफ 2021 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. कोर्ट ने राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार पीजी नीति में सुधार करने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेशों के बाद अब सरकार ने हिमाचल के दूर-दराज, कठिन और ग्रामीण क्षेत्रों का चयन किया है, जिसके आधार पर पीजी कोर्स में प्रवेश के लिए प्रोत्साहन अंक दिए जाएंगे. अब आगे मामले की सुनवाई 5 सितंबर को होगी.

ये भी पढ़ें: Himachal High Court: अनुबंध सेवा को पेंशन के लिए गिने जाने के मामले में हाईकोर्ट का सुझाव, सरकार किसी की भी हो, आदर्श नियोक्ता की तरह करे व्यवहार

शिमला: विशेषज्ञ यानी पीजी डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहे हिमाचल में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत सरकार ने हाईकोर्ट को नई नीति की जानकारी दी है. अदालती आदेश के बाद अब सरकार ने पीजी कोर्स में प्रवेश के लिए नई नीति में एक बड़ा प्रावधान किया है. हाईकोर्ट को इस प्रावधान की जानकारी देते हुए राज्य सरकार ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में सेवाएं देने वाले एमबीबीएस डॉक्टर्स जब पीजी कोर्स के लिए प्रवेश परीक्षा देंगे तो, उन्हें प्रोत्साहन अंक दिए जाएंगे.

ये प्रोत्साहन अंक ग्रामीण इलाकों में सेवाएं देने के ऑप्शन को चुनने की एवज में दिए जाएंगे. यानी जो एमबीबीएस डॉक्टर्स दूरदराज के क्षेत्रों में सेवाएं देगा, उसे पीजी कोर्स में प्रवेश के लिए प्रोत्साहन अंक मिलेंगे. मामले की सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप शर्मा के समक्ष राज्य सरकार ने बताया कि कैबिनेट से नई नीति को मंजूरी मिल चुकी है. इस पर न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने मामले की सुनवाई 5 सितंबर को निर्धारित कर दी है.

मामले के अनुसार याचिकाकर्ता डॉक्टर अभिनव अवस्थी ने अदालत को बताया कि एमबीबीएस डॉक्टर्स को प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में सेवाएं देने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है. इन्हीं में से एक के तहत उन्हें राज्य में पीजी की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करना भी है. यह प्रथा अरसे से चली आ रही है. वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य पीजी नीति में 2017 में संशोधन किया गया था. इसके तहत सेवारत उम्मीदवारों के लिए प्रोत्साहन प्रणाली शुरू की गई और सेवाकालीन कोटा हटा दिया गया. इस नीति को बाद में वर्ष 2019 में आंशिक रूप से संशोधित किया गया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात चिकित्सकों को कुछ लाभ मिला.

हालांकि, वर्ष 2017 की नीति में इसे नामंजूर कर दिया गया था. तमिलनाडु मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2016 के फैसले के खिलाफ फैसला सुनाया था. राज्य सरकार ने इस फैसले के आधार पर 2017 की अपनी पीजी नीति बनाई थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लागू करने के लिए विभिन्न राज्यों ने अपनी पीजी नीति को फिर से संशोधित किया. हालांकि हिमाचल प्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद उसी नीति को जारी रखा था. इस नीति के तहत चिकित्सकों को प्रोत्साहन अंक देने के लिए हिमाचल प्रदेश को छह भागों में बांटा गया था.

याचिकाकर्ता ने इस नीति के खिलाफ 2021 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. कोर्ट ने राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार पीजी नीति में सुधार करने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेशों के बाद अब सरकार ने हिमाचल के दूर-दराज, कठिन और ग्रामीण क्षेत्रों का चयन किया है, जिसके आधार पर पीजी कोर्स में प्रवेश के लिए प्रोत्साहन अंक दिए जाएंगे. अब आगे मामले की सुनवाई 5 सितंबर को होगी.

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