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सुख की सरकार में भविष्य के डॉक्टर्स के लिए आया दुख का समय, हिमाचल में बंद होगा एनपीए

हिमाचल सरकार ने डॉक्टर्स का एनपीए बंद करने का फैसला लिया. अब अधिसूचना जारी होना बाकी है. पढ़ें पूरी खबर...

NPA non practice allowance of doctors
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (फाइल फोटो).
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Published : May 23, 2023, 8:43 PM IST

शिमला: हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार चिकित्सा क्षेत्र में बड़ा फैसला लेते हुए डॉक्टर्स का एनपीए यानी नॉन प्रैक्टिस अलाउंस बंद करने जा रही है. कैबिनेट में विस्तार से चर्चा के बाद सरकार ने एनपीए बंद करने का फैसला लिया. अब अधिसूचना जारी होना बाकी है. प्रस्तावित फैसले के अनुसार मौजूदा समय में सेवारत डॉक्टर्स को एनपीए मिलता रहेगा, लेकिन भविष्य के डॉक्टर्स को इस वित्तीय लाभ से वंचित रहना होगा. जिन डॉक्टर्स पर इस फैसले का प्रभाव पड़ेगा, उनमें एलोपैथी, वेटरीनरी, आयुष विभाग के डॉक्टर्स व डेंटल डॉक्टर्स शामिल हैं.

वित्त विभाग की अधिसूचना जारी होना बाकी: इस समय हिमाचल प्रदेश में डॉक्टर्स को बेसिक सैलरी का बीस फीसदी एनपीए मिलता है. चूंकि चिकित्सक की सेवाओं की जरूरत राउंड दि क्लॉक होती है, इस लिए उनको सेवा के लिए प्रोत्साहन के तौर पर एनपीए दिया जाता है. हिमाचल में सेवारत चिकित्सक निजी प्रैक्टिस नहीं करते हैं. उन्हें इसके एवज में एनपीए मिलता है, लेकिन अब सरकार ने फैसला लिया है कि भविष्य में नियुक्त होने वाले डॉक्टर्स को एनपीए नहीं मिलेगा. कैबिनेट से इस बारे में मंजूरी हो चुकी है. अब वित्त विभाग की अधिसूचना जारी होना बाकी है. उल्लेखनीय है कि बुधवार 17 मई को कैबिनेट मीटिंग में इस आशय का फैसला लिया गया था. अब वित्त विभाग की अधिसूचना जारी होनी है.

हिमाचल प्रदेश में डॉक्टर्स का एनपीए समय-समय पर सुर्खियों में रहता आया है. पूर्व में एनपीए को 25 फीसदी से घटाकर बीस फीसदी किया गया था, उस समय भी विवाद हुआ था. अफसरशाही और डॉक्टर्स के बीच टकराव भी परोक्ष रूप से चलता आया है. राज्य में सीनियर मोस्ट डॉक्टर्स का वेतन सरकार में प्रधान सचिव के वेतनमान से एक्सीड कर जाता है. ऐसे में ये खींचतान का विषय बन जाता है. राज्य सरकार को सीलिंग भी लगानी पड़ जाती है. खैर, अभी सरकार का मानना है कि हिमाचल प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढऩे से हर साल पास आउट होने वाले डॉक्टर्स पहले के मुकाबले अधिक हैं. ऐसे में डॉक्टर्स की कमी नहीं है. उपलब्ध डॉक्टर्स के मुकाबले वैकेंसी कम हैं.

अभी वॉक-इन-इंटरव्यू के जरिए सिलेक्ट डॉक्टर्स को भी नियुक्ति नहीं मिली है और मामला हाई कोर्ट में है. हाई कोर्ट ने सिलेक्ट डॉक्टर्स को तुरंत नियुक्ति के आदेश जारी किए हुए हैं. ऐसे में एनपीए बंद करने के फैसले से सरकार व डॉक्टर्स के बीच टकराव बढ़ने की आशंका है. बताया जा रहा है कि एलोपैथी, डेंटल, आयुष व वेटरीनरी, इन चारों कैटेगरी के लिए एनपीए बंद होगा. मौजूदा समय में सेवारत डॉक्टर्स के लिए ये जारी रहेगा. राज्य में नए वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद डॉक्टर्स की बेसिक सेलेरी बढ़ गई थी. उसके बाद सरकार ने एनपीए को 25 फीसदी से कम कर बीस फीसदी कर दिया था.

हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव रहे डॉ. जीवानंद चौहान ने कहा कि यदि सरकार ने ऐसा फैसला लिया है तो ये दुर्भाग्यपूर्ण है. डॉक्टर्स दिन-रात मरीजों की सेवा के लिए उपलब्ध रहते हैं. उन्हें प्रोत्साहन देने के लिए ही एनपीए का प्रावधान है. डॉक्टर्स इस फैसले का विरोध करेंगे. मौजूदा समय में एसोसिएशन के महासचिव डॉ. विकास का कहना है कि अभी अधिसूचना का इंतजार किया जाएगा. अधिसूचना के बाद आगामी रणनीति बनाई जाएगी.

Read Also- Mandi News: मलेशिया में संकट में बल्ह का जगदीश, परिजनों ने पूर्व मुख्यमंत्री से लगाई मदद की गुहार

शिमला: हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार चिकित्सा क्षेत्र में बड़ा फैसला लेते हुए डॉक्टर्स का एनपीए यानी नॉन प्रैक्टिस अलाउंस बंद करने जा रही है. कैबिनेट में विस्तार से चर्चा के बाद सरकार ने एनपीए बंद करने का फैसला लिया. अब अधिसूचना जारी होना बाकी है. प्रस्तावित फैसले के अनुसार मौजूदा समय में सेवारत डॉक्टर्स को एनपीए मिलता रहेगा, लेकिन भविष्य के डॉक्टर्स को इस वित्तीय लाभ से वंचित रहना होगा. जिन डॉक्टर्स पर इस फैसले का प्रभाव पड़ेगा, उनमें एलोपैथी, वेटरीनरी, आयुष विभाग के डॉक्टर्स व डेंटल डॉक्टर्स शामिल हैं.

वित्त विभाग की अधिसूचना जारी होना बाकी: इस समय हिमाचल प्रदेश में डॉक्टर्स को बेसिक सैलरी का बीस फीसदी एनपीए मिलता है. चूंकि चिकित्सक की सेवाओं की जरूरत राउंड दि क्लॉक होती है, इस लिए उनको सेवा के लिए प्रोत्साहन के तौर पर एनपीए दिया जाता है. हिमाचल में सेवारत चिकित्सक निजी प्रैक्टिस नहीं करते हैं. उन्हें इसके एवज में एनपीए मिलता है, लेकिन अब सरकार ने फैसला लिया है कि भविष्य में नियुक्त होने वाले डॉक्टर्स को एनपीए नहीं मिलेगा. कैबिनेट से इस बारे में मंजूरी हो चुकी है. अब वित्त विभाग की अधिसूचना जारी होना बाकी है. उल्लेखनीय है कि बुधवार 17 मई को कैबिनेट मीटिंग में इस आशय का फैसला लिया गया था. अब वित्त विभाग की अधिसूचना जारी होनी है.

हिमाचल प्रदेश में डॉक्टर्स का एनपीए समय-समय पर सुर्खियों में रहता आया है. पूर्व में एनपीए को 25 फीसदी से घटाकर बीस फीसदी किया गया था, उस समय भी विवाद हुआ था. अफसरशाही और डॉक्टर्स के बीच टकराव भी परोक्ष रूप से चलता आया है. राज्य में सीनियर मोस्ट डॉक्टर्स का वेतन सरकार में प्रधान सचिव के वेतनमान से एक्सीड कर जाता है. ऐसे में ये खींचतान का विषय बन जाता है. राज्य सरकार को सीलिंग भी लगानी पड़ जाती है. खैर, अभी सरकार का मानना है कि हिमाचल प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढऩे से हर साल पास आउट होने वाले डॉक्टर्स पहले के मुकाबले अधिक हैं. ऐसे में डॉक्टर्स की कमी नहीं है. उपलब्ध डॉक्टर्स के मुकाबले वैकेंसी कम हैं.

अभी वॉक-इन-इंटरव्यू के जरिए सिलेक्ट डॉक्टर्स को भी नियुक्ति नहीं मिली है और मामला हाई कोर्ट में है. हाई कोर्ट ने सिलेक्ट डॉक्टर्स को तुरंत नियुक्ति के आदेश जारी किए हुए हैं. ऐसे में एनपीए बंद करने के फैसले से सरकार व डॉक्टर्स के बीच टकराव बढ़ने की आशंका है. बताया जा रहा है कि एलोपैथी, डेंटल, आयुष व वेटरीनरी, इन चारों कैटेगरी के लिए एनपीए बंद होगा. मौजूदा समय में सेवारत डॉक्टर्स के लिए ये जारी रहेगा. राज्य में नए वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद डॉक्टर्स की बेसिक सेलेरी बढ़ गई थी. उसके बाद सरकार ने एनपीए को 25 फीसदी से कम कर बीस फीसदी कर दिया था.

हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव रहे डॉ. जीवानंद चौहान ने कहा कि यदि सरकार ने ऐसा फैसला लिया है तो ये दुर्भाग्यपूर्ण है. डॉक्टर्स दिन-रात मरीजों की सेवा के लिए उपलब्ध रहते हैं. उन्हें प्रोत्साहन देने के लिए ही एनपीए का प्रावधान है. डॉक्टर्स इस फैसले का विरोध करेंगे. मौजूदा समय में एसोसिएशन के महासचिव डॉ. विकास का कहना है कि अभी अधिसूचना का इंतजार किया जाएगा. अधिसूचना के बाद आगामी रणनीति बनाई जाएगी.

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