शिमला : हिमाचल में 8 दिसंबर को मतगणना हुई और 11 दिसंबर को मुख्यमंत्री के रूप में सुखविंदर सिंह सुक्खू और डिप्टी सीएम के रूप में मुकेश अग्निहोत्री ने शपथ ली. लेकिन शपथ ग्रहण के 10 दिन बाद भी मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हो पाया है. इन दिनों सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू कोरोना पॉजिटिव होने के बाद दिल्ली में क्वारंटीन है. 19 दिसंबर को सीएम सुक्खू को पीएम मोदी से मुलाकात करनी थी लेकिन मुलाकात से पहले करवाए गए कोविड -19 टेस्ट में वो पॉजिटिव पाए गए. अब तक मंत्रिमंडल विस्तार ना होने के पीछे कांग्रेस ये वजह भी गिना सकती है लेकिन इसकी एक वजह ऐसी भी है जिसे कोई भी कांग्रेसी नहीं मानेगा.
गुटबाजी बनी मंत्रिमंडल विस्तार की राह का रोड़ा- सुखविंदर सिंह सुक्खू की मंत्रिमंडल का विस्तार गुटबाजी में फंस गया है. मंत्री पद पाने के लिए जहां विधायक अपने स्तर पर लॉबिंग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हॉली लॉज यानी प्रतिभा सिंह भी मंत्रिमंडल में अपने लोगों को एडजस्ट करना चाहती हैं. सुक्खू मंत्रिमंडल में सीएम और डिप्टी के अलावा दस और मंत्री बनाए जाने हैं, हॉली लॉज इनमें से आधे पदों पर अपने लोगों को चाह रहा है. मंत्रिमंडल का गठन क्षेत्र, जिला और जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर किया जाना है, ऐसे में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के सामने मंत्रिमंडल विस्तार बड़ी चुनौती है.
एक और डिप्टी सीएम बनाने की चर्चा- हिमाचल में कांग्रेस की सरकार बनने के 10 दिन बाद भी मंत्रिमंडल विस्तार करना सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. कांग्रेस में गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है. चुनाव जीतने के बाद भी सीएम पद के लिए अलग-अलग धड़ों में जोर आजमाइश चल रही थी. 3 दिन तक शिमला से दिल्ली तक कसरत चलती रही, फिर हाईकमान ने जब सुखविंदर सिंह सुक्खू के नाम पर सहमति जताई तो डिप्टी सीएम बनाने का फार्मूला तय किया गया. डिप्टी सीएम का पद मुकेश अग्निहोत्री को मिला. लेकिन इस बीच एक और डिप्टी सीएम की चर्चा चल निकली है. दूसरे पद के लिए सोलन से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक धनीराम शांडिल अभी भी लॉबिंग कर रहे हैं, हालांकि कांग्रेस हाईकमान हिमाचल जैसे छोटे राज्य में दो डिप्टी सीएम बनाने के पक्ष में नहीं है तो ऐसे में धनीराम शांडिल कैबिनेट मंत्री की दावेदारी जता रहे हैं. वैसे वो पहले भी वीरभद्र कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं और मौजूदा विधानसभा में सबसे उम्रदराज विधायक हैं.
एक अनार, कई बीमार- इस बार कांग्रेस ने 40 विधायक जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई है. सीएम और डिप्टी सीएम शपथ ले चुके हैं. अब सिर्फ 10 और मंत्री शपथ ले सकते हैं और इन 10 पदों के लिए एक अनार, सौ बीमार वाली स्थिति है. सुक्खू सरकार में मंत्रिमंडल के सदस्यों के तौर पर कई दावेदार हैं. इनमें शिमला जिला में शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से विक्रमादित्य सिंह, कोटखाई -जुब्बल से रोहित ठाकुर, कसुंपटी से अनिरुद्ध सिंह, ठियोग से हिमाचल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता कुलदीप राठौर के अलावा रोहडू से मोहन लाल ब्राक्टा हैं. इसी तरह कांगड़ा जिला में ज्वाली से चंद्र कुमार, धर्मशाला से सुधीर शर्मा, पालमपुर से आशीष बुटेल और ज्वालामुखी से संजय रत्न शामिल हैं. चंबा जिला में भटियात से कुलदीप पठानिया, सोलन जिला में सोलन से कर्नल धनी राम शांडिल. सिरमौर जिला के शिलाई से हर्षवर्धन चौहान, बिलासपुर जिला के घुमारवीं से राजेश धर्माणी हैं. किन्नौर जिला से जगत सिंह नेगी, कुल्लू जिला के सदर क्षेत्र से सुंदर ठाकुर भी मंत्री पद के दावेदार हैं. मंडी जिला से एकमात्र सीट धर्मपुर सीट से चंद्रशेखर भी मंत्री पद के दावेदार हैं.
हॉली लॉज मांग रहा 50% मंत्री पद- कांग्रेस की जीत के बाद जब मुख्यमंत्री पद के लिए मंथन चल रहा था तो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने भी सीएम पद पर दावा ठोका था और कहा था जिन वीरभद्र सिंह के नाम पर चुनाव जीता गया है, उनके परिवार की अनदेखी नहीं की जा सकती. आलाकमान के फैसले के बाद सीएम सुखविंदर सुक्खू बने और डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री. ऐसे में अब विक्रमादित्य सिंह का मंत्रिमंडल में स्थान तय माना जा रहा है, सुक्खू भी ये बात कह चुके हैं. लेकिन हॉलीलॉज यानी प्रतिभा सिंह मंत्रिमंडल में 50 फीसदी की हिस्सेदारी मांग रही हैं. यह गुट शिमला जिला के रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, ज्वालामुखी से संजय रत्न, भटियात से कुलदीप पठानिया और धर्मपुर से चंद्रशेखर के लिए मंत्री पद चाह रहा है.
SC-ST कोटे से मंत्री बनाना भी चुनौती- मंत्री पदों का बंटवारा क्षेत्र, जिलों और जातीय समीकरणों के आधार पर किया जाना है. सोलन विधानसभा के विधायक कर्नल धनीराम शांडिल एससी कोटे से मंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं. हालांकि वह डिप्टी सीएम पद के लिए दावेदारी जता रहे हैं, मगर मंत्रिमंडल में उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती, क्योंकि हाईकमान भी उनके प्रति नरम बताया जा रहा है. वह प्रदेश में अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले कद्दावर नेता हैं और अकेले ऐसे नेता हैं, जो कि आर्मी की पृष्ठभूमि से हैं. वह दो बार सांसद, दो बार विधायक व मंत्री रहे हैं. लेकिन जिस तरह से रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा का नाम आगे किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए इस कोटे से नियुक्ति करना आसान नहीं है.
इसी तरह एसटी कोटे से मंत्री पद के प्रबल दावेदार किन्नौर जिला से जगत सिंह नेगी हैं, लेकिन लाहौल स्पिति से चुनकर आए रवि ठाकुर भी इस पद पर अपनी दावेदारी जता रहे हैं. रवि ठाकुर ने जयराम ठाकुर के मंत्री रहे रामलाल मारकंडा को हराया है. इसके अलावा मंत्रियों की कुर्सियों पर सभी जिलों को एडजस्ट करना भी बड़ी चुनौती होगा.
एससी और एसटी के दो मंत्री पदों को अलग कर बाकी 8 पद बचते हैं, जिनमें सभी जिलों को प्रतिनिधित्व दिया जाना है. इसमें भी जिला के शिलाई से हर्षवर्धन चौहान वरिष्ठ विधायकों से एक हैं, उनको मंत्री पद मिलना तय माना जा रहा है. इसी तरह घुमारवीं के राजेश धर्माणी की भी ताजपोशी होने की संभावना है, क्योंकि वह सुखविंदर सिंह सुक्खू के करीबी हैं और साथ में जिला बिलासपुर से अकेले जीतकर आए हैं. इसके बाद 6 पद मंत्री के अन्य जिलों में बंटने हैं. इनमें भी कांगड़ा और शिमला जिला की अनदेखी करना मुश्किल हैं. इसकी वजह यह है कि कांगड़ा ने सबसे अधिक 10 विधायक कांग्रेस को दिए हैं जबकि शिमला जिला ने 7 विधायक कांग्रेस को दिए हैं. इन दोनों जिलों से तीन-तीन मंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं.
हमीरपुर जिले ने पांचों सीटें अबकी बार कांग्रेस को दी है, लेकिन यहां से सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू हैं. ऊना को भी डिप्टी सीएम का पद मिलने से कैबिनेट में उसकी दावेदारी कम है. लेकिन कुल्लू जिला और मंडी जिला को भी प्रतिनिधित्व देने के लिए भी जोर दिया जा रहा हैं. इस तरह सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के लिए मंत्रिमंडल का विस्तार करना कोई आसान काम नहीं है. ऐसे में मंत्री पद पर दावेदारों की संख्या कम करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पदों पर भी दो विधायकों को एडजस्ट किया जा सकता है. इसके अलावा विभिन्न बोर्डों और निगमों में भी कुछ की ताजपोशी करनी होगी.