शिमला: हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में सेवाएं दे रहे कंप्यूटर और एसएमसी शिक्षकों को लेकर प्रदेश सरकार नीति बनाने जा रही है. इसके लिए सरकार ने एक कैबिनेट सब कमेटी का गठन किया है. जानकारी के अनुसार, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में आज कमेटी की बैठक होगी. दरअसल, हिमाचल के स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षक वर्ष 2000 से निजी कंपनी के माध्यम से सेवाएं दे रहे हैं, इसी तरह एसएमसी शिक्षक भी 2012 से दूर दराज इलाकों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. स्कूलों में कार्यरत कंप्यूटर और एसएमसी शिक्षकों की मांग पर उनके के लिए नीति बनाने को लेकर आज शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में कैबिनेट सब कमेटी की बैठक होगी. जिसमें पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह सदस्य और शिक्षा सचिव राकेश कंवर बतौर सचिव इस बैठक में शामिल होंगे.
दरअसल, प्रदेश में 1,300 कंप्यूटर साल 2000 से निजी कंपनी के माध्यम से सेवाएं दे रहे हैं. इसी तरह एसएमसी आधार पर नियुक्त शिक्षक भी 2012 से दूर दराज के इलाकों में कार्यरत हैं. दोनों श्रेणियों के शिक्षक अपने लिए नीति बनाने की मांग कर रहे हैं. वहीं, प्रदेश की सत्ता पर काबिज रही सभी पूर्व सरकारों ने कंप्यूटर और एसएमसी शिक्षकों के लिए हमेशा नीति बनाने के आश्वासन दिए, लेकिन इसको लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया, हालांकि मौजूदा सरकार ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है. मुख्यमंत्री ने इन शिक्षकों के लिए नीति बनाने का जिम्मा तीन कैबिनेट मंत्रियों की सब कमेटी को सौंपा है. कमेटी से दिसंबर तक अंतिम रिपोर्ट मांगी गई है. इसी कड़ी में आज कैबिनेट सब कमेटी की पहली बैठक होने जा रही है. इस बैठक में शिक्षकों से संबंधित सभी मामलों को लेकर चर्चा की जाएगी इसकी रिपोर्ट सरकार को रिपोर्ट सौंपी जाएगी.
शिमला में जुटेंगे प्रदेशभर से एसएमसी शिक्षक: हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में एसएमसी के माध्यम से नियुक्त शिक्षक कर शिमला में जुटेंगे. वह मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और शिक्षा मंत्री से मिलेंगे. शिक्षकों ने नियमित नीति में लाने का अल्टीमेटम दे रखा है. शिक्षकों का आरोप है कि वर्ष 2012 से दूरदराज के स्कूलों में लगातार सेवाएं देने के बावजूद शोषण हो रहा है. एसएमसी शिक्षकों ने पीटीए, पैट, पैरा और उर्दू-पंजाबी पीरियड आधार पर लगे शिक्षकों की तर्ज पर नियमित नीति मांगी है. शिक्षकों ने कहा है कि अगर उनके लिए नीति बनाने पर कोई फैसला नहीं किया तो वे धरना देंगे.
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