शिमला: राजनीतिक पार्टियां चुनावों के समय जनता से लोकलुभावने वादे करती हैं, मगर सत्ता में आते ही इन वादों को भूल जाती है. हिमाचल में भी ऐसा ही हो रहा है. राजनीतिक पार्टियां चुनावों के समय कई वादे कर रही हैं, मगर इनमें से अधिकांश पूरे ही नहीं हो रहे. हिमाचल में सत्ता में रही भारतीय जनता पार्टी की बात की जाए तो साल 2017 के विधानसभा चुनावों के समय किए कई वादे अभी पूरे नहीं हुए हैं. भाजपा ने तब अपने विजन डॉक्यूमेंट (घोषणापत्र) को स्वर्णिम हिमाचल दृष्टि पत्र नाम दिया था. (BJP not fulfill many promises of manifesto 2017) (Himachal Assembly Election 2022)
इसमें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ भ्रष्टाचार और माफिया राज खत्म करने का वादा किया गया था. भाजपा ने अपने दृष्टिपत्र में प्रदेश में आर्थिक स्थिति सुधारने और आय के संसाधन बढ़ाने, आधारभूत ढांचा का विकास करने के साथ ही कई बुनियादी जरूरतें पूरी करने का भरोसा दिया था. रोजगार को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाने के साथ-साथ पर्यटन क्षेत्रों का विकास करने के लिए योजनाएं लागू करने की बात भी इसी दृष्टि पत्र में की गई थी, लेकिन इस दृष्टि पत्र में कई वादे पूरे नहीं हुए. (BJP manifesto 2017) (Himachal BJP manifesto 2022)
वित्तीय सुधार करने में विफल रही सरकार- भाजपा ने अपने दृष्टिपत्र में हिमाचल को ऋण संकट से बचाने और राजस्व घाटा खत्म करने के लिए सक्रिय योजना बनाने के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में वित्त समिति गठित करने का वादा किया था. मतलब कर्ज लेने को लेकर पूर्व वीरभद्र सिंह सरकार को कोसने वाली जयराम सरकार ने भी कर्ज लेने में कोई कमी नहीं छोड़ी. वीरभद्र सिंह सरकार ने जहां 2012 से 2017 तक 19,200 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था, वहीं जयराम सरकार ने अपने कार्यकाल में 19,498 करोड़ का कर्ज लिया. संसाधन बढ़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए, जयराम सरकार भी पूर्ववर्ती सरकार की तरह कर्ज पर कर्ज लेती रही. (Himachal BJP manifesto 2017)
किसानों की आय दोगुनी तो नहीं हुई, सब्सिडी पर कटौती- भाजपा ने अपने घोषणापत्र में किसानों-बागवानों के लिए कई घोषणाएं की थीं. इनमें एक बड़ा वादा किसानों की आय दोगुनी करने का था. किसानों की आय दोगुनी तो नहीं हुई. मगर किसानों को दवाईयों और खादों पर मिलने वाली सब्सिडी अब नहीं मिल रही. कृषि भूमि के अधिग्रहण पर किसानों को मुआवजा दो गुणा से बढ़ाकर चार गुणा करने की बात भी इसी घोषणापत्र में की गई थी, लेकिन किसानों द्वारा आंदोलन करने पर भी चार गुणा मुआवजा नहीं मिल रहा.
सरकार हिमाचल में मुआवजे के लिए फैक्टर-वन ही लागू कर रही है, जिसके तहत अधिग्रहित जमीन के लिए दो गुणा मुआवजा देने का ही प्रावधान है. बागवानी पर विशेष ध्यान देने के लिए बागवानी विश्वविद्यालय स्थापित करने और कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा पर कोई अमल नहीं हुआ. केंद्र सरकार की मदद से एप्पल बेल्ट में पांच सीए स्टोर स्थापित करने का वादा किया गया था, मगर शिमला जिले के पराला में एक मात्र सीए स्टोर लगाने का काम भी अभी शुरू नहीं हो पाया है. (BJP not fulfill many promises of manifesto 2017) (Himachal Assembly Election 2022)
नए पर्यटन स्थल विकसित नहीं हुए- हिमाचल को स्विट्जरलैंड की तर्ज पर स्वास्थ्य पर्यटन का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए आवश्यक आधार भूत ढांचा के लिए पर्याप्त कोष का सृजन करने की बात भी इसी पत्र में कही गई थी, मगर इस दिशा में भी कोई काम नहीं हुआ. मंडी के सराज को छोड़कर बाकी कहीं भी ग्रामीण इलाकों में पर्यटन स्थल विकसित नहीं हुए. सराज में टूरिज्म कल्चर सेंटर और नेचर पार्क बनाने का काम किया गया है. अन्य ग्रामीण जगहों को विकसित नहीं किया गया. पर्यटकों के लिए हेली टैक्सी सेवा शुरू करने का वादा भी इसमें किया गया था, हिमाचल में यह सेवा शुरू नहीं हो पाई.
हिमाचल में एयर कनेक्टिविटी की घोषणा भी अधूरी- भाजपा ने अपने दृष्टिपत्र में प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी मजबूत की घोषणा की थी. मगर शिमला एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने के साथ गग्गल और भुंतर एयरपोर्ट का विस्तार करने का वादा भी पूरा नहीं हुआ. इसी तरह आपातकालीन स्थितियों के लिए हेली-एंबुलेंस सेवा भी शुरू नहीं हो पाई. हालात यह रहे कि हिमाचल को केंद्र सरकार की उड़ान योजना में शामिल किया गया था, लेकिन करीब ढाई साल तक शिमला के एयरपोर्ट के लिए उड़ाने बंद रहीं. अब जाकर यहां से उड़ाने शुरू की गई हैं.
हिमाचल में पांच सालों में एक भी एनएच नहीं बन पाया- भाजपा ने 63 एनच की डीपीआर तुरंत तैयार कर इन पर काम करने की भी बात कही थी, लेकिन पांच सालों में एक भी एनएच पर काम नहीं हुआ. इसी तरह से हर गांव को सड़क से जोड़ने को लेकर वादा किया गया था, मगर आज भी काफी संख्या में ऐसे गांव हैं जहां, लोग मरीजों को पीठ पर उठाकर अस्पताल ले जाने को मजबूर हैं. (BJP manifesto 2017) (Himachal BJP manifesto 2022)
हिमाचल में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा- भाजपा ने अपने दृष्टिपत्र में राज्य में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाने की बात कही थी, लेकिन हिमाचल में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या के तौर पर उभरी है. आज हिमाचल बेरोजगारी के मामले में देश के टॉप 10 राज्यों में शामिल हैं. सीएमआईई(CMIE) के आंकड़ों के मुताबिक हिमाचल में बेरोजगारी की दर अक्टूबर माह में 9.2 थी जो कि देश की औसत दर 7.8 से ज्यादा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हिमाचल में 8.73 लाख बेरोजगार हैं.
उद्योग में 80 फीसदी नौकरियां हिमाचलियों को नहीं मिल रही- हिमाचल बीपीओ योजना (Himachal BPO Scheme) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में बीपीओ स्थापित करने के लिए आर्थिक सहायता देकर रोजगार बढ़ाने की बात कही की थी, लेकिन ग्रामीण इलाके में एक भी बीपीओ नहीं खुला. रोजगार क्षमता को बढ़ावा देने के लिए हर साल 50 हजार युवाओं को अंग्रेजी बोलने के लिए उन्नत शिक्षकों से ट्रेनिंग देने का वादा भी किया गया था. इस वादे के मुताबिक पांच सालों में 2.50 लाख युवाओं को इसकी ट्रैनिंग मिलनी थी, जबकि एक को भी इसकी ट्रैनिंग नहीं दी गई.
भाजपा ने युवाओं को सरकारी और निजी नौकरियों के लिए इंटरव्यू देने के समय और नौकरी लगने पर पहले दो हफ्ते तक रहने के लिए शिमला, धर्मशाला, हमीरपुर, बीबीएन, चंडीगढ़ में हॉस्टल खोलने की बात कही थी, लेकिन कोई अमल नहीं हुआ. प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए यात्रा करने वाले छात्रों को मुफ्त यात्रा की सुविधा देने का वादा भी पूरा नहीं किया. इसी तरह विभागों में खाली पड़े रिक्त पदों पर नियुक्तियां करने की बजाए बड़ी संख्या में खाली पदों को डाइंग कैडर में बदल दिया गया.
खेल को बढ़ावा देने के लिए किए वादे भी पूरे नहीं किए- प्रदेश के हर जिले में मिनी स्टेडियम और खेल अकादमी स्थापित करने, हर पंचायत में जिम और खेल के मैदान बनाकर खेलकूद गतिविधियों को बढ़ावा देने के वादे पर भी अमल नहीं हुआ.
कर्मचारियों से किए कई वादे नहीं हुए पूरे- भाजपा ने कर्मचारियों की पेंशन बहाली पर विचार करने को लेकर आश्वासन दिया था. कर्मचारी ओपीएस बहाली की मांग को लेकर हिमाचल में सड़कों पर उतरे. कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान में वादे के मुताबिक 4-9-14 के स्केल नहीं दिया गया. आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए भी नीति बनाने को लेकर भाजपा सरकार ने पांच सालों में कोई ठोस कदम नहीं उठाए.
वरिष्ठ नागरिकों की चार धाम यात्रा का पूरा खर्च उठाने की घोषणा पर भी अमल नहीं हुआ. भाजपा ने अपने दृष्टिपत्र में वादा किया था कि प्रदेश की सीमा से टोल टैक्स बैरियर हटाने की प्रक्रिया तत्काल शुरू की जाएगी, मगर एनएच पर बैरियरों की संख्या बढ़ी है. धर्मशाला में हाईकोर्ट की सर्किट बेंच स्थापित करने की घोषणा भी पांच सालों में पूरी नहीं हुई. (Himachal BJP Manifesto 2022) (BJP vision document) (BJP Manifesto 2022)
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