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वेटलैंड मामले में हाईकोर्ट ने तलब की खनन लाइसेंस धारकों की सूची, केंद्र को यमुना वेटलैंड की निशानदेही के आदेश

वेटलैंड के रखरखाव से जुड़े मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से खनन लाइसेंस धारकों की लिस्ट तलब की है. इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को यमुना वेटलैंड की निशानदेही पूरी करने के आदेश दिए हैं. पढ़िए पूरी खबर...

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वेटलैंड मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई
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Published : Jun 2, 2023, 8:22 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने वेटलैंड के रखरखाव से जुड़े मामले में राज्य सरकार से खनन लाइसेंस धारकों की लिस्ट तलब की है. इसके अलावा केंद्र सरकार को भी आदेश दिए हैं कि वो यमुना वेटलैंड की निशानदेही पूरी करे. हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने इस संदर्भ में दाखिल की गई याचिका की सुनवाई पर यह आदेश जारी किए.

देहरादून निवासी गजेंद्र रावत ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका में गुहार लगाई गई है कि वेटलैंड के 10 किलोमीटर के दायरे में खनन पर रोक लगाई जाए. साथ ही हाईकोर्ट से आग्रह किया गया है कि खनन के लिए राज्य सरकार की ओर से जारी लाइसेंस रद्द किए जाएं. खंडपीठ के समक्ष मामले पर हुई सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने यमुना नदी की वेटलैंड के 10 किलोमीटर के दायरे में खनन पर रोक लगाने के आदेश पारित किए हुए हैं.

इस पर हाईकोर्ट ने कहा अवैध खनन रोकने के लिए वेटलैंड की निशानदेही करवानी जरूरी है. खंडपीठ ने इसके बाद केंद्र सरकार को आदेश दिए कि वह उत्तराखंड राज्य की सहमति से सर्वे ऑफ इंडिया जैसी एजेंसी से इसकी निशानदेही करवाए, ताकि अवैध खनन को रोकने के लिए प्रभावी आदेश पारित किए जा सकें.

गौरतलब है कि एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालना में हाईकोर्ट ने वेटलैंड की देखरेख पर संज्ञान लिया है. हिमाचल में सिरमौर जिला में रेणुकाजी, चंबा में खजियार और कांगड़ा जिला के पौंग वेटलैंड के रखरखाव को केंद्र सरकार ने 421.28 लाख रुपये की रकम जारी की थी. वेटलैंड भूमि का वह क्षेत्र है, जिसमें या तो स्थायी रूप से या मौसम के प्रभाव से पानी जमा होता है.

सुप्रीम अदालत ने पाया था कि कई वेटलैंड और झीलें गायब हो रही हैं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने देश में दो लाख से अधिक वेटलैंड की पहचान की है. इसके बाद वर्ष 2011 में एक नेशनल वेटलैंड एटलस तैयार किया था और 2,01,503 वेटलैंड की मैपिंग की गई थी. शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से कहा था कि वो सभी 2,01,503 वेटलैंड की सुरक्षा के लिए सूची तैयार करे और राज्य सरकारों के परामर्श से इसे अधिसूचित करे.

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए थे कि संबंधित हाईकोर्ट इसकी देखरेख करें. हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद प्रदेश सरकार ने वेटलैंड्स (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 बनाए. राज्य सरकार ने 15 जून 2017 को राज्य स्तरीय कमेटी का गठन किया. जिसका कार्य वेटलैंड की पहचान और संरक्षण करना था. फिलहाल, हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई 8 अगस्त को तय की है.
ये भी पढ़ें: मानव भारती यूनिवर्सिटी के खिलाफ दाखिल चालान को हाई कोर्ट में पेश करने के आदेश

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने वेटलैंड के रखरखाव से जुड़े मामले में राज्य सरकार से खनन लाइसेंस धारकों की लिस्ट तलब की है. इसके अलावा केंद्र सरकार को भी आदेश दिए हैं कि वो यमुना वेटलैंड की निशानदेही पूरी करे. हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने इस संदर्भ में दाखिल की गई याचिका की सुनवाई पर यह आदेश जारी किए.

देहरादून निवासी गजेंद्र रावत ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका में गुहार लगाई गई है कि वेटलैंड के 10 किलोमीटर के दायरे में खनन पर रोक लगाई जाए. साथ ही हाईकोर्ट से आग्रह किया गया है कि खनन के लिए राज्य सरकार की ओर से जारी लाइसेंस रद्द किए जाएं. खंडपीठ के समक्ष मामले पर हुई सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने यमुना नदी की वेटलैंड के 10 किलोमीटर के दायरे में खनन पर रोक लगाने के आदेश पारित किए हुए हैं.

इस पर हाईकोर्ट ने कहा अवैध खनन रोकने के लिए वेटलैंड की निशानदेही करवानी जरूरी है. खंडपीठ ने इसके बाद केंद्र सरकार को आदेश दिए कि वह उत्तराखंड राज्य की सहमति से सर्वे ऑफ इंडिया जैसी एजेंसी से इसकी निशानदेही करवाए, ताकि अवैध खनन को रोकने के लिए प्रभावी आदेश पारित किए जा सकें.

गौरतलब है कि एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालना में हाईकोर्ट ने वेटलैंड की देखरेख पर संज्ञान लिया है. हिमाचल में सिरमौर जिला में रेणुकाजी, चंबा में खजियार और कांगड़ा जिला के पौंग वेटलैंड के रखरखाव को केंद्र सरकार ने 421.28 लाख रुपये की रकम जारी की थी. वेटलैंड भूमि का वह क्षेत्र है, जिसमें या तो स्थायी रूप से या मौसम के प्रभाव से पानी जमा होता है.

सुप्रीम अदालत ने पाया था कि कई वेटलैंड और झीलें गायब हो रही हैं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने देश में दो लाख से अधिक वेटलैंड की पहचान की है. इसके बाद वर्ष 2011 में एक नेशनल वेटलैंड एटलस तैयार किया था और 2,01,503 वेटलैंड की मैपिंग की गई थी. शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से कहा था कि वो सभी 2,01,503 वेटलैंड की सुरक्षा के लिए सूची तैयार करे और राज्य सरकारों के परामर्श से इसे अधिसूचित करे.

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए थे कि संबंधित हाईकोर्ट इसकी देखरेख करें. हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद प्रदेश सरकार ने वेटलैंड्स (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 बनाए. राज्य सरकार ने 15 जून 2017 को राज्य स्तरीय कमेटी का गठन किया. जिसका कार्य वेटलैंड की पहचान और संरक्षण करना था. फिलहाल, हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई 8 अगस्त को तय की है.
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