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कोरोना की मार झेल रहे किसानों पर मंडराया टिड्डियों का खतरा, 4 जिलों में हाई अलर्ट - रेगिस्तानी टिड्डे

किसानों की फसलों पर टिड्डियों का खतरा सताने लगा है. इसे देखते हुए प्रदेश के 4 जिलों कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर और सोलन में हाई अलर्ट जारी किया गया है. टिड्डियों की गतिविधियों पर निरंतर नजर रखने और किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए फील्ड अधिकारियों को तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं.

attack of locust
टिड्डियों के खतरे को देखते हुए प्रदेश के 4 जिलों में हाई अलर्ट.
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Published : May 29, 2020, 11:23 AM IST

Updated : May 29, 2020, 12:05 PM IST

शिमला: कोरोना वायरस के कहर से सामज का हर वर्ग पहले ही नुकसान झेल रहा है. वहीं, किसानों को भी कोरोना से भारी नुकसान हुआ है, लेकिन अब दूसरी ओर प्रदेश के किसानों को टिड्डियों का खतरा सताने लगा है. इसे देखते हुए प्रदेश के 4 जिलों कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर और सोलन में हाई अलर्ट किया गया है, जिससे बचाव के लिए कीटनाशकों का छिड़काव ही एकमात्र रास्ता बताया जा रहा है.

कृषि विभाग के निदेशक डॉ. आरके कौंडल ने कहा कि बड़े पैमाने पर रेगिस्तानी टिड्डे के संभावित आक्रमण के कारण प्रदेश में अलर्ट जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्यों से इन टिड्डियों की ओर से फसलों को नष्ट करने की सूचना मिली है और प्रदेश में भी इनके आक्रमण की आशंका है, जिसके कारण प्रदेश में अलर्ट जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि विशेषकर कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर और सोलन जिले हाई अलर्ट पर हैं. उन्होंने कहा कि टिड्डियों की गतिविधियों पर निरंतर नजर रखने और किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए फील्ड अधिकारियों को तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने किसानों को टिड्डियों की किसी भी गतिविधि की रिपोर्ट अपने निकटतम कृषि अधिकारियों को तुरंत देने का आग्रह किया है.

किसान इस तरह से करें फसलों का बचाव

डॉ. आरके कौंडल ने बताया कि यह रेगिस्तानी टिड्डे आमतौर पर हवा के साथ लगभग 16 से 19 किमी प्रति घंटे की गति से उड़ते हैं और एक दिन में लगभग 5 से 130 किमी या इससे अधिक की दूरी तय कर सकते हैं. कृषि निदेशक ने बताया कि सभी फील्ड अधिकारियों को टिड्डियों के हमले के प्रति किसानों में जागरूकता लाने और कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि इसके बचाव के लिए 30 लीटर पानी में 200 ग्राम मैथेरिजियम और बॉवरिया जैसे जैव कीटनाशक का घोल बना कर छिड़काव करना लंबे समय तक प्रभावी होगा. उन्होंने कहा कि जैव नियंत्रण प्रयोगशाला, कांगड़ा और मंडी को इन जैव कीटनाशकों को पर्याप्त मात्रा में तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं.

वर्तमान में सामने नहीं आया कोई मामला

कृषि निदेशक ने कहा कि वर्तमान में राज्य के किसी भी हिस्से से टिड्डियों की गतिविधियों की कोई सूचना नहीं है और टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए आवश्यक कदम पहले ही उठाए जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि अधिकारियों को टिड्डियों की गतिविधियों पर नजर रखने और खेतों में टिड्डियों की किसी भी गतिविधि की रिपोर्ट कृषि निदेशालय को भेजने के निर्देश दिए गए हैं.

ये भी पढ़ें: कांगड़ा में 4 पॉजिटिव मामले आए सामने, जिला में एक्टिव केस 50 के पार

शिमला: कोरोना वायरस के कहर से सामज का हर वर्ग पहले ही नुकसान झेल रहा है. वहीं, किसानों को भी कोरोना से भारी नुकसान हुआ है, लेकिन अब दूसरी ओर प्रदेश के किसानों को टिड्डियों का खतरा सताने लगा है. इसे देखते हुए प्रदेश के 4 जिलों कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर और सोलन में हाई अलर्ट किया गया है, जिससे बचाव के लिए कीटनाशकों का छिड़काव ही एकमात्र रास्ता बताया जा रहा है.

कृषि विभाग के निदेशक डॉ. आरके कौंडल ने कहा कि बड़े पैमाने पर रेगिस्तानी टिड्डे के संभावित आक्रमण के कारण प्रदेश में अलर्ट जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्यों से इन टिड्डियों की ओर से फसलों को नष्ट करने की सूचना मिली है और प्रदेश में भी इनके आक्रमण की आशंका है, जिसके कारण प्रदेश में अलर्ट जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि विशेषकर कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर और सोलन जिले हाई अलर्ट पर हैं. उन्होंने कहा कि टिड्डियों की गतिविधियों पर निरंतर नजर रखने और किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए फील्ड अधिकारियों को तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने किसानों को टिड्डियों की किसी भी गतिविधि की रिपोर्ट अपने निकटतम कृषि अधिकारियों को तुरंत देने का आग्रह किया है.

किसान इस तरह से करें फसलों का बचाव

डॉ. आरके कौंडल ने बताया कि यह रेगिस्तानी टिड्डे आमतौर पर हवा के साथ लगभग 16 से 19 किमी प्रति घंटे की गति से उड़ते हैं और एक दिन में लगभग 5 से 130 किमी या इससे अधिक की दूरी तय कर सकते हैं. कृषि निदेशक ने बताया कि सभी फील्ड अधिकारियों को टिड्डियों के हमले के प्रति किसानों में जागरूकता लाने और कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि इसके बचाव के लिए 30 लीटर पानी में 200 ग्राम मैथेरिजियम और बॉवरिया जैसे जैव कीटनाशक का घोल बना कर छिड़काव करना लंबे समय तक प्रभावी होगा. उन्होंने कहा कि जैव नियंत्रण प्रयोगशाला, कांगड़ा और मंडी को इन जैव कीटनाशकों को पर्याप्त मात्रा में तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं.

वर्तमान में सामने नहीं आया कोई मामला

कृषि निदेशक ने कहा कि वर्तमान में राज्य के किसी भी हिस्से से टिड्डियों की गतिविधियों की कोई सूचना नहीं है और टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए आवश्यक कदम पहले ही उठाए जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि अधिकारियों को टिड्डियों की गतिविधियों पर नजर रखने और खेतों में टिड्डियों की किसी भी गतिविधि की रिपोर्ट कृषि निदेशालय को भेजने के निर्देश दिए गए हैं.

ये भी पढ़ें: कांगड़ा में 4 पॉजिटिव मामले आए सामने, जिला में एक्टिव केस 50 के पार

Last Updated : May 29, 2020, 12:05 PM IST
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