शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी लैंडस्लाइड के खतरे की जद में है. शहर एक कई क्षेत्रों में लैंडस्लाइड का खतरा मंडरा रहा है. इन इलाकों में मकानों के गिरने का खतरा पैदा हो रहा है. शिमला शहर में अब तक करीब 60 मकानों को खाली करवा दिया गया है, जिससे इनमें रह रहे करीब 150 परिवार बेघर हो गए हैं. भारी बरसात में लोगों के सामने रहने का संकट पैदा हो गया है. हालांकि प्रभावित परिवारों को राहत शिविरों में रखा गया है. मगर इन शिविरों में कब तक ये परिवार रहेंगे, यह बड़ा सवाल है.
सैकड़ों परिवार हुए बेघर: शिमला शहर में अबकी बार बारिश ने भारी तबाही मचाई है. भारी बारिश से लैंडस्लाइड की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. शहर के कई क्षेत्रों में लैंडस्लाइड हो रहे हैं और इनकी चपेट में रिहायशी आवास आ रहे हैं. शिमला शहर में अब तक करीब 60 मकानों को खाली करवा दिया गया है. इससे इनमें रह रहे 150 परिवारों के पास अब रहने को छत नहीं रह गई. हालांकि इनमें से अधिकतर परिवारों को राहत शिविरों में ठहराया गया है. वहीं, काफी संख्या में लोग अपने रिश्तेदारों के यहा राते काट रहे हैं.
राजधानी हो रही बेहाल: शिमला शहर में पहली बार इस तरह की त्रासदी देखने को मिल रही है. इससे पहले बरसात में इतने बड़े स्तर पर कभी भी मकानों को इस तरह का खतरा पैदा नहीं हुआ. पहले इक्का-दुक्का परिवारों के मकान खाली करवाए जाते थे. मगर अबकी बार तो शहर में बड़े स्तर पर मकानों पर खतरा मंडरा रहा है. अकेले शिमला शहर के कृष्णा नगर में ही करीब 40 मकान खाली करवाए गए हैं. इससे पहले छह मकान स्लाटर हाउस की ओर वाले इलाके में लैंडस्लाइड में ढह गए थे. विष्णु मंदिर और मंडयाल कालोनी में भी दरारें आईं हैं. जिनमें से कई परिवार अपने घरों से सामान तक नहीं निकाल पाए. यहां रविदास कॉलोनी में भी कई मकानों में दरारें आई हैं और यहां से आठ परिवारों ने मकान खाली करवाए हैं. इन लोगों ने सामान अपने रिश्तेदारों के घर रखा है.
खतरे की जद में शिमला: इसी तरह लोअर समरहिल क्षेत्र में एमआई रूम के साथ दरारें आने से छह भवन खाली करवाए गए हैं. बैनममोर करीब दस परिवारों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया है. कृष्णा नगर के साथ लगते लालपानी में शिक्षा निदेशालय की आवासीय कॉलोनी के एक हिस्से को भी खतरा पैदा हुआ है. यहां भी कुछ क्वार्टरों को खाली कराया गया है. शहर के कोमली बैंक एरिया में बड़ी दरारें आने के बाद प्रशासन ने एहतियात के तौर पर यहां चार घरों को खाली करवा दिया है, ताकि कोई जानी नुकसान न हो. यहां आसपास के लोग दहशत के साये में जी रहे हैं. इसी तरह शहर के अन्य हिस्सों में भी भवनों को खतरा पैदा हो गया है.
रहने को नहीं मिल रहे मकान: शिमला शहर में मकानों की डिमांड वैसे भी ज्यादा रहती है. शिमला राजधानी है और यहां पर हजारों कर्मचारी हैं. सरकारी आवासों की कमी होने के कारण अधिकतर कर्मचारी किराए के मकानों में रहते हैं. राजधानी होने के साथ ही यह एजुकेशन का बड़ा हब है. यहां पर कॉलेज, यूनिवर्सिटी, मेडिकल कॉलेज सहित अन्य बड़े संस्थान हैं. जिनमें बड़ी संख्या में छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. इसके अलावा ऊपरी शिमला से बड़ी संख्या में अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए अभिभावक किराए पर कमरे लेते हैं. पर्यटन राजधानी होने के कारण यहां पर होटल और रेस्टोरेंट भी भवनों में बनाए गए हैं. ऐसे में यहां पर किराए के कमरों की कमी रहती है. एकाएक आई आपदा के बाद जिन लोगों को मकान खाली हो गए हैं उनको अब दूसरी जगह किराए पर भी मकान नहीं मिल रहे.
सरकार लिए चुनौती बना पुनर्वास: शिमला में जिस स्तर पर परिवार प्रभावित हुए हैं. उनको आवास उपलब्ध करवाना संभव नहीं है. हालांकि शहर में कृष्णा नगर इलाके में राजीव गांधी आवास योजना के कुछ मकान खाली हैं, लेकिन इसमें कुछ ही गरीब परिवारों को एडजस्ट किया जा सकेगा. ऐसे में सरकार के लिए इतने लोगों को मकान उपलब्ध करवाने की चुनौती सामने खड़ी है. प्रभावितों को चिंता सता रही है कि आखिर कब तक वे राहत शिविरों में रहेंगे.
ये भी पढे़ं: Himachal Monsoon: मानसूनी सीजन में अब तक 338 लोगों की मौत, ₹8075 करोड़ का नुकसान, 562 सड़कें अभी भी बंद