रामपुर: हिमाचल प्रदेश में बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से सेब बागवानों को भारी नुकसान होने की संभावना हमेशा बनी रहती है. पिछले एक दशक से मौसम में अद्भुत परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं. पर्यावरण में बदलाव के कारण सेब उत्पाद पर प्रतिकूल परिस्थितियां पैदा हो रही है. हिमाचल प्रदेश में शिमला, चंबा, कुल्लू और किन्नौर सेब उत्पादक के प्रमुख जिले माने जाते हैं. प्रदेश में शिमला जिला का 80 फीसदी हिस्सा सेब उत्पादन में आता है.
बीते कई सालों में मिडल व हाई बैल्ट में ओलों से सेब को भारी नुकसान हुआ है. ओलावृष्टि के कारण उत्पादन प्रभावित होता रहा है. ओलावृष्टि से सेब के बगीचों में फलदार पेड़ो को बचाने के लिए उद्यान विभाग द्वारा एंटी हेलनैट का प्रावधान किया गया है. जिस पर उद्यान विभाग बागवानों को 80 प्रतिशत अनुदान राशि का प्रावधान है. जिससे बागवान अपने सेब के बगीचों को ओलावृष्टि की मार से बचा सकते हैं.
वहीं, उद्यान विभाग के विषयवाद विशेषज्ञों केएल कटोच का कहना है कि एंटी हेलनैट के लिए उद्यान विभाग द्वारा बागवानों को 80 प्रतिशत अनुदान राशि का प्रावधान है. इसकी सहायता से बागवान अपने सेब के बगीचों को ओलावृष्टि से बचा सकते है, ताकि ओलावृष्टि से बागवानों की सेब की फसल को नुकसान न हो.