पांवटा साहिब: राष्ट्रीय राजमार्ग 707 शिल्ला के समीप मानवनिर्मित भूस्खलन होने से जहां स्कूल मैदान, स्कूल भवन और निजी भूमि को भारी नुकसान हुआ है. वहीं, भूस्खलन होने से राष्ट्रीय राजमार्ग घंटों से बंद है. राष्ट्रीय राजमार्ग 707 पर राजमार्ग प्राधिकरण की अनदेखी के कारण मौके पर काम कर रही कंपनियों की मनमर्जी लगातार जारी है. कंपनियों द्वारा बेतरतीब पहाड़ों की कटिंग और नीचे की तरह कोई भी सेफ्टी न होने के कारण लगातार क्षेत्रीय लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है और राजमार्ग प्राधिकरण यहां कंपनी की कठपुतली बना नजर आ रहा है.
ताजा मामला फेस टू का कार्य कर रही आरजीवी कंपनी का सामने आया है. जिसने गलत तरीके से पहाड़ की कटिंग करके पहाड़ का बड़ा हिस्सा तोड़कर नुकसान पहुंचाया है. आरजीवी कंपनी की मनमर्जी के कारण पहाड़ से निकले बड़े-बड़े पत्थर, चट्टानों ने सैकड़ों बीघा भूमि को नुकसान पहुंचाया है. मार्ग के नीचे बने सरकारी स्कूल तक बड़ी-बड़ी चट्टानें चली गई हैं. जिससे स्कूल भवन के पिल्लर टूट गए हैं. स्कूल के खेल मैदान में बड़ी-बड़ी चट्टानें पहुंच गई हैं. जिसके कारण क्षेत्रीय लोगों में भारी रोष व्याप्त हो गया है.
जानकारी के मुताबिक कंपनियों की मनमर्जी लगातार क्षेत्रीय लोगों पर भारी पड़ रही है. पूरे राष्ट्रीय राजमार्ग 707 पर विकास कम और विनाश ज्यादा हो रहा है. सतौन से लेकर फेडिज पुल तक हजारों बीघा भूमि पर मलबा फेंककर कंपनियों द्वारा की गई बेतरतीबी की तस्वीरें किसी से छिपी नहीं हैं. फेस एक और फेस चार ने सबसे अधिक सरकारी भूमि और नदी, नालों को नुकसान पहुंचाया है, जबकि फेस टू ने लोगों की निजी भूमि पर नुकसान पहुंचाया है और लगातार पहुंचा रहे हैं.
शिल्ला के समीप हुए स्पॉट एक्शन में भी लोगों को भारी नुकसान पहुंचा है. क्षेत्रीय लोगों की मानें तो राजमार्ग मंत्रालय का तमाम प्रशासनिक अमला टेबल के नीचे से मिल रही कमीशन के तले तबा हुआ है. इसलिए कंपनियां अपनी मनमर्जी कर रही है. कंपनियां पहाड़ों की बेतरतीब कटिंग करके जहां क्षेत्रियों लोगों के लिए दशकों तक खतरा पैदा कर रही है. वहीं, वर्तमान में लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रही है.
गनीमत रही है कि आरजीवी कंपनी ने जब शिल्ला के समीप पहाड़ को तोड़ा तो उसमे निजी भूमि, वनस्पति और सरकारी स्कूल को नुकसान हुआ है. इसमें किसी की जान हानी नहीं हुई है और न ही स्कूल के किसी बच्चे को चोट आई है, लेकिन क्षेत्रीय लोग कंपनी की ऐसी लापरवाही और मनमर्जी से रोष में है. इसलिए कंपनी और राजमार्ग प्राधिकरण, दोनो के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा.
बहरहाल आरजीवी कंपनी द्वारा पहाड़ तोड़ने के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों तरफ लंबा जाम लग गया है. सैकड़ों वाहन मौके पर खड़े हो गए हैं. जिसमें कई बीमार लोगों की गाड़ियां खड़ी हैं जो अस्पताल जा रहे थे, लेकिन अब मानवनिर्मित आफत आने के बाद घंटों से रास्ते में फंसे पड़े हैं और शासन, प्रशासन कुंभकर्णी नींद सोया नजर आ रहा है.
उधर, जब आरजीवी कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर राहुल कुमार से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन बंद कर दिया. जिसके बाद लोगों का रोष अधिक बढ़ गया है. अब यहां देखना यह होगा की राजमार्ग प्राधिकरण आरजीवी कंपनी पर कार्रवाई करता है या केवल कागजी पेट भरकर अंतर्ध्यान हो जाता है.
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