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प्राइमरी स्कूल नहारण में विद्या उपासक की नियुक्ति रद्द, HC ने चयन समिति को जारी किया नोटिस - हिमाचल न्यूज

प्रदेश हाईकोर्ट ने राजकीय प्राथमिक पाठशाला नहारण तहसील करसोग में विद्या उपासक की नियुक्ति को रद्द करने के आदेश पारित किए हैं. प्रतिवादी मीरा देवी का इस पद के लिए चयन कर लिया गया है.

प्रदेश हाईकोर्ट
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Published : Aug 20, 2019, 8:22 PM IST

Updated : Aug 20, 2019, 9:35 PM IST

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने राजकीय प्राथमिक पाठशाला नहारण तहसील करसोग में विद्या उपासक की भर्ती में धांधली पर तत्कालीन चयन समिति को कारण बताओ नोटिस जारी करने के आदेश पारित किए हैं. कोर्ट ने चयनित विद्या उपासक की नियुक्ति को भी रद्द करने के आदेश पारित किए.

न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी और न्यायाधीश ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने चयन समिति के चेयरमैन गोपाल चंद तत्कालीन एसडीएम करसोग जो वर्तमान में डीसी किनौर तैनात हैं समेत भुवनेश्वरी गुप्ता तत्कालीन बीईईओ करसोग, कीरत राम तत्कालीन ओफ्फिसिएटिंग सीएसटी जीपीएस पलोह, गंगा राम तत्कालीन ग्राम पंचायत प्रधान तेबण और तुलसी राम तत्कालीन उप-प्रधान ग्राम पंचायत तेबन को उक्त भर्ती में रिजल्ट शीट से छेड़छाड़ करने का दोषी पाते हुए उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाई करने से पहले उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करने के आदेश पारित किए.

मामले के अनुसार 23 जुलाई 2002 को राजकीय प्राथमिक पाठशाला नहारण तहसील करसोग में विद्या उपासक की भर्ती के उपरोक्त चयन समिति ने 23 प्रतिभागियों के साक्षात्कार लिए व परिणाम भी उसी दिन घोषित किया गया. प्रतिवादी मीरा देवी का इस पद के लिए चयन कर लिया गया है.

ये भी पढ़ें-हमीरपुर चयन आयोग ने जारी किया विभिन्न भर्तियों का शेड्यूल, जानें कौन सी परीक्षा कब होगी?

सूचना का अधिकार आने के बाद प्रार्थी दिला राम ने चयन का रिकॉर्ड मांग लिया. दस्तावेज मिलने पर प्रार्थी ने पाया कि रिजल्ट शीट में उसके व चयनित अभ्यर्थी के अंकों में छेड़छाड़ की गई है. प्रार्थी ने मामले की जांच के लिए 28 फरवरी 2009 को डीजीपी के समक्ष प्रतिवेदन किया. कोई कार्यवाई न होने पर 29 जून 2009 को उसने शिक्षा सचिव के समक्ष जांच की गुहार लगाई.

एसपी मंडी ने मामले की जांच कर 18 अगस्त 2009 को जांच रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कटिंग की बात तो सामने आई, लेकिन कटिंग को केवल गलती सुधार का मामला बता दिया गया. प्रार्थी ने जांच से असंतुष्ट होकर 28 जनवरी 2010 को फिर से प्रधान सचिव सतर्कता, डीजीपी और प्रधान सचिव शिक्षा को जांच के लिए प्रतिवेदन दिया. जब इस पर भी कोई कार्यवाई नहीं हुई तो प्रार्थी को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर मजबूर होना पड़ा.

कोर्ट ने मामले का रिकॉर्ड देखने पर पाया कि रिजल्ट शीट में प्रार्थी व चयनित अभ्यर्थी मीरा के अंकों में कटिंग व टेम्परिंग पाई और कहा कि ये केवल गलती सुधार का मामला नहीं है. दस्तावेज की छेड़छाड़ से ये प्रतीत होता है कि चयन समिति ने चयन में गड़बड़ी की और प्रतिवादी को गलत ढंग से नियुक्त कर दिया. कोर्ट ने मीरा देवी की नियुक्ति को खारिज करते हुए कहा कि बेशक वे अब नियमित हो चुकी है, लेकिन जब उसकी नियुक्ति शुरुआत में ही गैरकानूनी है तो उसे पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है.

ये भी पढ़ें-बारिश के बाद टापू बन जाता है यह गांव, लोगों को आज तक सड़क नसीब नहीं

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने राजकीय प्राथमिक पाठशाला नहारण तहसील करसोग में विद्या उपासक की भर्ती में धांधली पर तत्कालीन चयन समिति को कारण बताओ नोटिस जारी करने के आदेश पारित किए हैं. कोर्ट ने चयनित विद्या उपासक की नियुक्ति को भी रद्द करने के आदेश पारित किए.

न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी और न्यायाधीश ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने चयन समिति के चेयरमैन गोपाल चंद तत्कालीन एसडीएम करसोग जो वर्तमान में डीसी किनौर तैनात हैं समेत भुवनेश्वरी गुप्ता तत्कालीन बीईईओ करसोग, कीरत राम तत्कालीन ओफ्फिसिएटिंग सीएसटी जीपीएस पलोह, गंगा राम तत्कालीन ग्राम पंचायत प्रधान तेबण और तुलसी राम तत्कालीन उप-प्रधान ग्राम पंचायत तेबन को उक्त भर्ती में रिजल्ट शीट से छेड़छाड़ करने का दोषी पाते हुए उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाई करने से पहले उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करने के आदेश पारित किए.

मामले के अनुसार 23 जुलाई 2002 को राजकीय प्राथमिक पाठशाला नहारण तहसील करसोग में विद्या उपासक की भर्ती के उपरोक्त चयन समिति ने 23 प्रतिभागियों के साक्षात्कार लिए व परिणाम भी उसी दिन घोषित किया गया. प्रतिवादी मीरा देवी का इस पद के लिए चयन कर लिया गया है.

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सूचना का अधिकार आने के बाद प्रार्थी दिला राम ने चयन का रिकॉर्ड मांग लिया. दस्तावेज मिलने पर प्रार्थी ने पाया कि रिजल्ट शीट में उसके व चयनित अभ्यर्थी के अंकों में छेड़छाड़ की गई है. प्रार्थी ने मामले की जांच के लिए 28 फरवरी 2009 को डीजीपी के समक्ष प्रतिवेदन किया. कोई कार्यवाई न होने पर 29 जून 2009 को उसने शिक्षा सचिव के समक्ष जांच की गुहार लगाई.

एसपी मंडी ने मामले की जांच कर 18 अगस्त 2009 को जांच रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कटिंग की बात तो सामने आई, लेकिन कटिंग को केवल गलती सुधार का मामला बता दिया गया. प्रार्थी ने जांच से असंतुष्ट होकर 28 जनवरी 2010 को फिर से प्रधान सचिव सतर्कता, डीजीपी और प्रधान सचिव शिक्षा को जांच के लिए प्रतिवेदन दिया. जब इस पर भी कोई कार्यवाई नहीं हुई तो प्रार्थी को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर मजबूर होना पड़ा.

कोर्ट ने मामले का रिकॉर्ड देखने पर पाया कि रिजल्ट शीट में प्रार्थी व चयनित अभ्यर्थी मीरा के अंकों में कटिंग व टेम्परिंग पाई और कहा कि ये केवल गलती सुधार का मामला नहीं है. दस्तावेज की छेड़छाड़ से ये प्रतीत होता है कि चयन समिति ने चयन में गड़बड़ी की और प्रतिवादी को गलत ढंग से नियुक्त कर दिया. कोर्ट ने मीरा देवी की नियुक्ति को खारिज करते हुए कहा कि बेशक वे अब नियमित हो चुकी है, लेकिन जब उसकी नियुक्ति शुरुआत में ही गैरकानूनी है तो उसे पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है.

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प्रदेश हाईकोर्ट ने राजकीय प्राथमिक पाठशाला नहारण तहसील करसोग में विद्या उपासक की भर्ती में धांधली पर तत्कालीन चयन समिति को कारण बताओ नोटिस जारी करने के आदेश पारित किए। कोर्ट ने चयनित विद्या उपासक की नियुक्ति को भी रद्द करने के आदेश पारित किए। न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने चयन समिति के चेयरमैन गोपाल चंद तत्कालीन एसडीएम करसोग जो वर्तमान में डीसी किनौर तैनात हैं सहित भुवनेश्वरी गुप्ता तत्कालीन बीईईओ करसोग, कीरत राम तत्कालीन ओफ्फिसिएटिंग सीएचटी जीपीएस पलोह, गंगा राम तत्कालीन ग्राम पंचायत प्रधान तेबण व तुलसी राम तत्कालीन उप प्रधान ग्राम पंचायत तेबन को उक्त भर्ती में रिजल्ट शीट से छेड़छाड़ करने का दोषी पाते हुए उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाई करने से पहले उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करने के आदेश पारित किए। मामले के अनुसार 23 जुलाई 2002 को राजकीय प्राथमिक पाठशाला नहारण तहसील करसोग में विद्या उपासक की भर्ती हेतु उपरोक्त चयन समिति ने 23 प्रतिभागियों के साक्षात्कार लिए व परिणाम भी उसी दिन घोषित किया गया। प्रतिवादी मीरा देवी का इस पद के लिए चयन कर लिया गया। सूचना का अधिकार आने के बाद प्रार्थी दिला राम ने चयन का रिकार्ड मांग लिया। दस्तावेज मिलने पर प्रार्थी ने पाया कि रिजल्ट शीट में उसके व चयनित अभ्यर्थी के अंकों में छेड़छाड़ की गई है। प्रार्थी ने मामले की जांच हेतु 28 फरवरी 2009 को डीजीपी के समक्ष प्रतिवेदन किया। कोई कार्यवाई न होने पर 29 जून 2009 को उसने शिक्षा सचिव के समक्ष जांच की गुहार लगाई। एसपी मंडी ने मामले की जांच कर 18 अगस्त 2009 को जांच रिपोर्ट सौंपी जिसमें कटिंग की बात तो सामने आई परन्तु कटिंग को केवल गलती सुधार का मामला बता दिया। प्रार्थी ने जांच से असंतुष्ट होकर 28 जनवरी 2010 को फिर से प्रधान सचिव सतर्कता, डीजीपी व प्रधान सचिव शिक्षा को जांच के लिए प्रतिवेदन दिया। जब इस पर भी कोई कार्यवाई नहीं हुई तो प्रार्थी को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर मजबूर होना पड़ा। कोर्ट ने मामले का रिकार्ड देखने पर पाया कि रिजल्ट शीट में प्रार्थी व चयनित अभ्यर्थी मीरा के अंकों में कटिंग व टेम्परिंग पाई और कहा कि यह केवल गलती सुधार का मामला नहीं है। दस्तावेज की छेड़छाड़  से यह प्रतीत होता है कि चयन समिति ने चयन में गड़बड़ी की और प्रतिवादी को गलत ढंग से नियुक्त कर दिया। कोर्ट ने मीरा देवी की नियुक्ति को खारिज करते हुए कहा कि बेशक वह अब नियमित हो चुकी है परंतु जब उसकी नियुक्ति शुरुआत में ही गैरकानूनी है तो उसे पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।  
Last Updated : Aug 20, 2019, 9:35 PM IST
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