शिमलाः प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में कहा कि आईजीएमसी और टांडा मेडिकल कॉलेज में एमआरआई मशीनें काम करने की स्थिति में हैं और वहां आने वाले मरीजों के टेस्ट सुचारू रूप से किए जा रहे हैं.
एमआरआई मशीनें लगाने के लिए टेंडर आमंत्रित किए जा रहे हैं. सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र ने न्यायालय को यह बताया कि आईजीएमसी व टांडा मेडिकल कॉलेज में केवल एक एक ही एमआरआई मशीनें हैं. जिन्हें साल 2006 और 2007 में स्थापित किया गया था. सीटी स्कैन मशीन को साल 2009 में लगाया गया था. जिसे की बदलने की आवश्यकता है. मामले पर सुनवाई 26 फरवरी 2020 को निर्धारित की गई है.
बता दें कि प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने दैनिक समाचार पत्रों में छपी खबरों पर संज्ञान लेने के बाद जनहित में ट्रीट की गई याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को आईजीएमसी और टांडा मेडिकल कॉलेज में एमआरआई की मशीन को स्थापित करने के लिए स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी. साथ ही प्रदेश उच्च न्यायालय ने आईजीएमसी में सीटी स्कैन की मशीन को लेकर भी ब्योरा मांगा था.
दैनिक समाचार पत्रों में छपी खबरों के अनुसार आईजीएमसी में एमआरआई की मशीन कार्य करने की स्थिति में नहीं है. जिसके कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है और उन्हें मजबूरन चंडीगढ़ के पीजीआई में एमआरआई संबंधी टेस्ट करवाने के लिए जाना पड़ता है.
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प्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने पिछले आदेशों में राज्य सरकार को यह आदेश जारी किए थे कि वह न्यायालय को बताए कि आईजीएमसी व पूरे प्रदेश में कितनी एमआरआई मशीनें उपलब्ध हैं. क्या एमआरआई मशीनें काम करने की स्थिति में है और उससे मरीजों को फायदा पहुंच रहा है या नहीं.