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तीज पर हुआ था शिव-पार्वती का पुनर्मिलन, सुहागिनों के लिए ये है खास दिन - महिलाओं का पर्व

सावन आने के साथ त्योहारों की भी शुरुआत हो जाती है. श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है जोकि इस बार 3 अगस्त को है.

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Published : Aug 3, 2019, 2:10 AM IST

शिमला: देशभर में आज हरियाली तीज पर्व मनाया जाएगा. हिमाचल में भी तीज के त्योहार को लेकर महिलाएं काफी खुश हैं. इस व्रत को शादीशुदा महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं.

अगर बात करें दूसरे राज्यों की तो राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में सुहागिनें और महिलाएं इस त्योहार को बहुत धूमधाम से मनाती हैं. आस्था, उमंग, सौंदर्य और प्यार का ये उत्सव शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.

सारे बड़े त्योहार तीज के बाद ही आते हैं. जैसे की रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, श्राद्ध-पर्व, नवरात्रि, दशहरा, दीपावली का पंच-दिवसीय महापर्व आदि.

माना जाता है कि तीज के दिन अगर बारिश होती है तो ये दिन और भी विशेष हो जाता है. जैसे मानसून आने पर मोर नृत्य कर खुशी दिखाते हैं, उसी तरह महिलाएं भी बारिश में झूले झूलती हैं. वे भी नृत्य करती हैं और खुशियां मनाती हैं.

lord shiv parvati
भगवान शिव-पार्वती

तीज के बारे में एक कथा प्रचलित है. कहा जाता है कि सावन में कई सौ साल पहले शिव से पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था. पार्वतीजी के 108वें जन्म में शिवजी उनकी कठोर तपस्या से खुश हुए और पार्वतीजी की अपार भक्ति को जानकर उन्हें अपनी पत्नी की तरह स्वीकार किया.

पुराने समय से ही ये परंपरा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन बरगद के पेड़ का पूजन होता है. इसकी लटकती शाखों के कारण ये पेड़ विशेष सौभाग्यशाली माना गया है. औरतें बरगद के पेड़ पर झूला बांधती हैं और बारिश की फुहारों में भीगते-नाचते गाते हुए तीज मनाती हैं.

इस दिन महिलाएं रंग-बिरंगे कपड़े, खूब सारे गहने पहनकर दुल्हन की तरह तैयार होती हैं. मां पार्वतीजी का आशीष पाने के लिए महिलाएं कई रीति-रिवाजों का पालन करती हैं. शादीशुदा महिलाएं अपने मायके जाकर ये त्योहार मनाती हैं और व्रत भी करती हैं. तीज पर हाथ-पैरों में मेहंदी भी लगाई जाती है.

ये भी पढ़ें - छोटी काशी में पहली बार सवा लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण, ब्यास नदी में होगा विर्सजन

शिमला: देशभर में आज हरियाली तीज पर्व मनाया जाएगा. हिमाचल में भी तीज के त्योहार को लेकर महिलाएं काफी खुश हैं. इस व्रत को शादीशुदा महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं.

अगर बात करें दूसरे राज्यों की तो राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में सुहागिनें और महिलाएं इस त्योहार को बहुत धूमधाम से मनाती हैं. आस्था, उमंग, सौंदर्य और प्यार का ये उत्सव शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.

सारे बड़े त्योहार तीज के बाद ही आते हैं. जैसे की रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, श्राद्ध-पर्व, नवरात्रि, दशहरा, दीपावली का पंच-दिवसीय महापर्व आदि.

माना जाता है कि तीज के दिन अगर बारिश होती है तो ये दिन और भी विशेष हो जाता है. जैसे मानसून आने पर मोर नृत्य कर खुशी दिखाते हैं, उसी तरह महिलाएं भी बारिश में झूले झूलती हैं. वे भी नृत्य करती हैं और खुशियां मनाती हैं.

lord shiv parvati
भगवान शिव-पार्वती

तीज के बारे में एक कथा प्रचलित है. कहा जाता है कि सावन में कई सौ साल पहले शिव से पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था. पार्वतीजी के 108वें जन्म में शिवजी उनकी कठोर तपस्या से खुश हुए और पार्वतीजी की अपार भक्ति को जानकर उन्हें अपनी पत्नी की तरह स्वीकार किया.

पुराने समय से ही ये परंपरा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन बरगद के पेड़ का पूजन होता है. इसकी लटकती शाखों के कारण ये पेड़ विशेष सौभाग्यशाली माना गया है. औरतें बरगद के पेड़ पर झूला बांधती हैं और बारिश की फुहारों में भीगते-नाचते गाते हुए तीज मनाती हैं.

इस दिन महिलाएं रंग-बिरंगे कपड़े, खूब सारे गहने पहनकर दुल्हन की तरह तैयार होती हैं. मां पार्वतीजी का आशीष पाने के लिए महिलाएं कई रीति-रिवाजों का पालन करती हैं. शादीशुदा महिलाएं अपने मायके जाकर ये त्योहार मनाती हैं और व्रत भी करती हैं. तीज पर हाथ-पैरों में मेहंदी भी लगाई जाती है.

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