शिमलाः 4 साल तक चले गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामले में आखिरकार गुड़िया व उसके परिवार वालों को इंसाफ मिल गया. 2017 में हुए गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामले को गंभीर मानते हुए सीबीआई इसकी जांच कर रही थी. आखिरकार आज सीबीआई की ओर से जुटाए गए सबूतों के आधार पर स्पेशल कोर्ट ने आरोपी नीलू को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)1,376ए,302 और पॉक्सो अधिनियिम की धारा 4 के तहत दोषी करार दिया है और दोषी नीलू को उम्र कैद की सजा सुनाई है.
अदालत में सीबीआई की ओर से घटनास्थल से जुटाए गए सबूतों के सैंपल की नीलू के डीएनए से मिलान को कोर्ट ने महत्वपूर्ण सबूत माना. सीबीआई ने 14 बिंदुओं पर जांच कर अदालत में दायर आरोपपत्र में 14 सबूत पेश किए थे. इनमें 12 नीलू के खिलाफ साबित हुए हैं. इसके आधार पर अदालत ने नीलू को दोषी करार दे दिया.
वारदात को अंजाम देने के बाद नीलू हो गया था फरार
सीबीआई ने जांच के दौरान सैकडों लोगों के खून के नमूने लिए थे और उनका मिलान मौके पर मिले नमूनों से किए थे, लेकिन सीबीआई के हाथ कुछ नहीं लग रहा था. इस बीच सीबीआई को चिरानी नीलू के बारे में जानकारी मिली तो सीबीआई ने उस पर अपनी जांच केंद्रित की. मौके पर मिले खून के नमूनों का मिलान नीलू के परिवार वालों से किया गया. इन नमूनों का मिलान होने के बाद सीबीआई नीलू के पीछे पड़ गई. वारदात को अंजाम देने के बाद नीलू फरार हो गया था.
अप्रैल 2018 में फोन कॉल डिटेल के आधार सीबीआई ने उसे हाटकोटी में एक बागवान के बगीचे से दबोच लिया. इसके बाद सीबीआई ने उसका डीएनए टेस्ट भी लिया व उसका मिलान हो गया और सीबीआई ने इस मामले को सुलझाने का दावा कर दिया. इसके अलावा गुड़िया के शरीर पर मिले दांतों के निशानों का भी मिलान हुआ था. गुड़िया के शरीर पर 2 जगह दांतों के निशान मिले थे.
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