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निर्भया के गुनहगार फांसी पर लटकाए... गुड़िया को कब मिलेगा न्याय?

हिमाचल की एक और निर्भया यानी गुड़िया की रूह पिछले 4 सालों से न्याय मांग रही है. ना जांच एजेंसिया ना सरकारें अभी तक गुड़िया को न्याय दिलवा पाई हैं. गुड़िया के माता-पिता आज भी बेटी को न्याय दिलवाने के लिए सरकार से लेकर जांच एंजेंसियों की चौखट पर माथा पटक रहे हैं.

gudia rape case
आखिर कब मिलेगा गुड़िया को न्याय ?
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Published : Mar 23, 2020, 12:57 PM IST

शिमला: सात साल तक तथ्यों और सबूतों को न्याय के तरजू में तोलने के बाद निर्भया केस के चारों दरिंदों को 20 मार्च को फांसी पर लटका दिया गया. इसके लिए निर्भया की मां ने दिन-रात तक लड़ाई लड़ी. कई बार मायूस भी हुई, लेकिन 20 मार्च को सुबह की पहली किरण न्याय की रोशनी लेकर आई.

हिमाचल की एक और निर्भया यानी गुड़िया की रूह पिछले 4 सालों से न्याय मांग रही है. ना जांच एजेंसिया ना सरकारें अभी तक गुड़िया को न्याय दिलवा पाई हैं. गुड़िया के माता-पिता आज भी बेटी को न्याय दिलवाने के लिए सरकार से लेकर जांच एंजेंसियों की चौखट पर माथा पटक रहे हैं.

कोटखाई के हलाइला में दसवीं कक्षा की छात्रा के साथ चार जुलाई 2017 को गैंगरेप हुआ. छात्रा का नग्न लाश छह जुलाई को कोटखाई के दांदी जंगल में एक गड्ढे में पड़ी मिली. लाश देखने से साफ पता चल रहा था कि उसके साथ दरिंदगी की गई है.

इस जघन्या घटना से समूचे प्रदेश में रोष की लहर दौड़ गई. राज्य पुलिस ने एसआईटी गठित कर उसे जांच का जिम्मा दिया.एसआईटी की कमान तेजतर्रार कहे जाने वाले आईजी रैंक के आईपीएस अफसर जहूर एच जैदी को सौंपी गई.

वीडियो.

अभी जनता गुस्से में थी कि गुरूवार तेरह जुलाई को पुलिस ने केस सुलझाने का दावा कर दिया.बाकायदा पुलिस मुख्यालय में प्रेस कान्फ्रेंस की गई, जिसमें जहूर एच जैदी ने सिलसिलेवार बताया कि कैसे पुलिस ने केस सुलझाया.इस केस में छह लोगों को दोषी बताते हुए गिरफ्तार किया गया.

प्रेस कान्फ्रेंस में ये कहा था आईजी और डीजीपी ने

आईजी जैदी के अनुसार छात्रा के साथ दुष्कर्म और हत्या की गुत्थी निर्भया केस से भी अधिक उलझी हुई थी. निर्भया केस में कई तरह के साक्ष्य मौजूद थे. उस केस में निर्भया का मित्र चश्मदीद था, सीसीटीवी फुटेज थी और खुद लडक़ी का इकबालिया बयान भी था, लेकिन कोटखाई वाला मामला इससे बिल्कुल अलग था. यहां न तो कोई चश्मदीद था, न ही कोई इस तरह का क्लू कि जिससे मदद मिल पाती.

ये तो तय था कि ऐसा जघन्य अपराध करने के लिए कोई बाहर से नहीं आएगा.पुलिस को स्थानीय लोगों पर ही शक था. आधुनिक जांच तरीकों का प्रयोग करते हुए कॉल डिटेल व मोबाइल लोकेशन, डंप डाटा आदि की परख की गई.पुख्ता सुबूत मिलने पर ही संदिग्धों पर हाथ डाला गया. कुल 84 लोगों को राडार पर रखा गया था. छात्रा के स्कूल में भी पूछताछ की गई.

पुलिस ने जांच में पाया कि यह अपरच्यूनिटी क्राइम था.यानी अवसर मिला तो दुष्कर्म व अपराध कर डाला.दरिंदों ने अपनी हवस मिटाने के लिए ये अपराध किया. ये कोई सुनियोजित अपराध नहीं था. सभी छह दरिंदे नशे में थे.आईपीएस जैदी ने कहा था कि उनकी टीम शुरू से ही इन बिंदुओं पर काम कर रही थी. जैदी ने कहा था कि लड़की के साथ अप्राकृतिक दुराचार भी किया गया.जंगल में ही रेप किया गया और दस फीट की दूरी पर लाश फैंक दी.

पुलिस के अनुसार मुख्य आरोपी राजेंद्र सिंह उर्फ राजू छात्रा को पहले से जानता था.गुरूवार 13 जुलाई की प्रेस वार्ता में डीजीपी सोमेश गोयल ने वैज्ञानिक तरीकों से जांच करने और सुबूत जुटाकर दोषियों को धर दबोचने के लिए आईपीएस जहूर जैदी व उनकी टीम को बधाई दी थी. डीजीपी ने कहा कि इस केस को सुलझाने से ये साफ हुआ है कि हिमाचल पुलिस जटिल मामलों को सुलझाने में पूरी तरह से सक्षम है.

कस्टडी में एक कथित आरोपी की मौत से पलट गया केस

छात्रा के छह आरोपियों में से एक नेपाली मूल के सूरज की कस्टडी में मौत हो गई.उसके बाद जन आक्रोश काबू से बाहर हो गया.जनता को पुलिस की भूमिका संदेदास्पद लगी. दरअसल, पुलिस टीम छह आरोपियों से जबर्दस्ती गुनाह कबूल करवाने की फिराक में थी.आनन-फानन में मीडिया के सामने खुलासा तो कर दिया गया, लेकिन जब पुलिस पर सवाल उठे तो आईजी व डीजीपी बगलें झांकने लगे थे।

जिस समय सूरज की कस्टडी में मौत हो गई तो पुलिस ने केस को दबाने के लिए उल्टा खेल खेल दिया.बस, यहीं एसआईटी और राज्य पुलिस की चालाकी फेल हो गई. बाद में जांच सीबीआई को सौंपी गई. सीबीआई की जांच शुरू होने से पहले ही आईजी जैदी व उनकी टीम अपनी खाल बचाने के लिए कसरत करती रही, लेकिन उनकी चालाकी काम नहीं आई.यही चालाकी आईजी व अन्य अफसरों को भारी पड़ी और वे जेल में पहुंच गए.

शुरू से ही संदेह में थी पुलिस की एसआईटी

एसआईटी ने बेशक केस को सुलझाने का दावा किया, लेकिन वो शुरू से ही संदेह के घेरे में थी.सीएम के फेसबुक पेज पर कुछ प्रभावशाली लोगों के फोटो वायरल हुए.वे केस के मुख्य आरोपी बताए जा रहे थे.चंद ही देर में सीएम के पेज से वो फोटो हटा लिए गए.बाद में पुलिस ने और ही लोगों को पकड़ लिया. रही-सही कसर कथित आरोपी सूरज की कस्टडी में हुई मौत ने पूरी कर दी.

पुलिस की थर्ड डिग्री ने ली सूरज की जान

सीबीआई ने केस को हाथ में लेने से पहले ही ये निर्देश जारी कर दिए थे कि सूरज का अंतिम संस्कार न किया जाए.सूरज का पहले आईजीएमसी अस्पताल में पोस्टमार्टम हुआ था. सीबीआई ने एम्स दिल्ली की टीम से पोस्टमार्टम करवाया.उस पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि सूरज की मौत बेतहाशा पिटाई के कारण आई चोटों से हुई.

सीबीआई की चार्जशीट में ये खुलासा है कि सूरज की पिटाई डीएसपी मनोज जोशी के सामने की गई थी. उसे बुरी तरह से मारा गया था.टार्चर के दौरान ही उसकी मौत हो गई. एम्स की रिपोर्ट में साफ दर्ज किया गया है कि सूरज की पीठ, जांघों, हिप्स व अन्य हिस्सों में बेरहमी से पिटाई के निशान हैं.जिन घावों से सूरज की जान गई, वे मौत से दो घंटे पहले से लेकर दो दिन पूर्व तक के हैं.जाहिर है कि सूरज को काफी समय से टार्चर किया जा रहा था.

यूं आए शिकंजे में आईजी व उनकी टीम

सीबीआई के अनुसार आईजी जैदी डीएसपी मनोज जोशी व अन्यों के साथ मिलकर सूरज की पिटाई के बाद हुई मौत को देखते हुए हत्या के सुबूत मिटाने की तैयारी में थे.उस समय शिमला के एसपी डीडब्ल्यू नेगी थे.एसपी होने के नाते वे पूरे प्रदेश में हवालात के भीतर बंद कैदियों को कस्टोडियन थे.कोटखाई के डीएसपी मनोज जोशी व एसएचओ राजेंद्र सिंह ने थाने के अन्य कर्मियों को कहा था कि इस केस को हैंडल कर लिया जाएगा, लिहाजा किसी को कुछ न बताएं.

आईजी जैदी की चालाकी बाद में फेल हो गई. थाने के संतरी दिनेश का बयान उन्होंने अपने मोबाइल में तो रिकॉर्ड कर लिया, लेकिन डीजीपी को सही तथ्य नहीं बताए.बाद में सीबीआई ने आई जैदी, एसपी नेगी, डीएसपी मनोज जोशी, संतरी दिनेश शर्मा आदि के मोबाइल का डंप डाटा, रिकार्डिंग आदि खंगाल कर उन पर हाथ डाल दिया.

सबसे बड़ा सवाल, किसके इशारे पर फंसाए गए निर्दोष

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि छात्रा के असली गुनहगारों को पकडऩे की बजाय निर्दोष लोगों को किसके इशारे पर पकड़ा गया? कौन हैं वो प्रभावशाली लोग, जिन्हें बचाने का प्रयास किया गया. आईजी जैदी व उनकी टीम किसके डर से काम कर रही थी? सूरज से जबर्दस्ती गुनाह क्यों कुबूल करवाया जा रहा था. सूरज की मौत की असल वजह को क्यों छिपाया गया और ये कहा गया कि दो आरोपी आपस में भिड़ गए और उनकी आपसी मारपीट में सूरज की जान गई?

पुलिस की नौकरी में आईजी रैंक तक पहुंचना आसान नहीं है. एक आईपीएस अफसर के लिए ये बड़ा रैंक है.लेकिन क्या वजह रही कि आईजी जहूर एच जैदी इस कदर दबाव में थे कि गलती पर गलती करते गए.

कोटखाई गैंगरेप व हत्या केस: कब-कब, क्या हुआ

14 जुलाई को पुलिस जांच के तरीके से नाराज लोगों ने ठियोग में विरोध प्रदर्शन किया, घबराई राज्य सरकार ने अगले ही दिन सीबीआई जांच के लिए सिफारिश की. 23 जुलाई को सीबीआई ने इस केस में दो मामले दर्ज किए.अगले दिन सीबीआई की टीम शिमला पहुंची और जांच शुरू की।

सीबीआई ने हाईकोर्ट में 2 अगस्त को स्टेट्स रिपोर्ट सौंपी. हाईकोर्ट ने सीबीआई को फटकार भी लगाई कि उसकी जांच क्यों नहीं पूरी हो रही. फिर 29 अगस्त को चौंकाने वाला घटनाक्रम हुआ, जब सीबीआई ने आईजी जैदी व आठ अन्य पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार किया .

कुछ दिन बाद सीबीआई ने नीलू चरानी नाम के शख्स को गिरफ्तार किया. देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई के पास गुड़िया के गुनहगार अनिल उर्फ नीलू चरानी का गुनाह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत थे. सूरज कस्टोडियल डैथ मामले में लोअर कोर्ट में चालान पेश किया जा चुका है. इसी तरह गुडिय़ा रेप एंड मर्डर मामले में तो गवाहियां भी तेजी से हो रही हैं. ऐसे में सीबीआई की तरफ से हाईकोर्ट में आग्रह किया था कि इन मामलों पर अब निगरानी बंद की जाए.

एक याचिका के माध्यम से सीबीआई ने हाईकोर्ट में आवेदन किया और जांच एजेंसी के वकील के अनुरोध पर अदालत ने निगरानी बंद कर दी . सीबीआई के वकील अंशुल बंसल के अनुसार चूंकि दोनों ही मामलों में सेशन कोर्ट में चालान दाखिल किया जा चुका है, लिहाजा निगरानी बंद की जाए. उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने गुडिय़ा रेप एंड मर्डर केस के गुनहगार अनिल उर्फ नीलू चरानी के खिलाफ पक्के और वैज्ञानिक सुबूत मिलने पर उसे गिरफ्तार किया था.

अनिल के खिलाफ स्पेशल जज कोर्ट में चालान पेश करने के बाद अब गवाहियों का दौर भी शुरू हो चुका है. अब तक 26 के करीब लोगों की गवाही दर्ज की जा चुकी है. कैथू जेल से नीलू चरानी को भी कई बार सेशन कोर्ट में पेश किया जा चुका है.

इस तरह सीबीआई ने सुलझाया था जटिल केस

कोटखाई की दसवीं कक्षा की छात्रा गुडिय़ा से दांदी जंगल में दरिंदगी हुई थी. दुष्कर्म के बाद गुडिय़ा की हत्या कर दी गई थी. सीबीआई ने करीब 207 दिन की सक्रिय जांच के बाद नीलू को पकड़ा था. इस केस की जांच अधिकारी महिला अफसर सीमा पाहूजा थीं. सीबीआई की टीम का दावा है कि उसके पास नीलू के खिलाफ अकाट्य वैज्ञानिक सुबूत हैं. यहां बता दें कि इस केस में पहली बार लीनिएज सैंपलिंग का सहारा भी लिया गया था.

नीलू के परिवार के सदस्यों से डीएनए मैच करने के बाद नीलू को पकड़ा गया और फिर वैज्ञानिक जांच में नीलू का दोष साबित हुआ था. अब केस की तेजी से सुनवाई हो रही है. शिमला के चक्कर स्थित स्पेशल जज कोर्ट में नियमित अंतराल पर गवाहियां और सुनवाई जारी है.

नीलू ने नशे में किया दुष्कर्म और मार डाला गुडिय़ा को

साइंटिफिक एवीडेंस इस बात को पुख्ता करते हैं कि गुडिय़ा का गुनगहार नीलू ही है. पुलिस ने मौके से गुडिय़ा के शरीर से जो सैंपल लिए थे, उनकी डीएनए प्रोफाइलिंग हिमाचल की जुन्गा फॉरेंसिक लैब ने भी की थी. जुन्गा लैब की रिपोर्ट अगस्त में आई और हिमाचल पुलिस की एसआईटी ने जुलाई में ही प्रेस वार्ता कर दावा कर दिया था कि उसके पास गुडिय़ा के खिलाफ हुए अपराध के साइंटिफिक व सरकमस्टांशिएल एवीडेंस हैं.

यदि उस समय एसआईटी ने गंभीरता व धैर्य दिखाया होता तो एसआईटी ही इस मामले को सुलझा देती. फिलहाल, सीबीआई ने जुन्गा लैब में मौजूद डीएनए सैंपल दिल्ली ले जाकर अपनी लैब में जांचे. उस जांच के बाद ये तय हो गया कि गुडिय़ा का गुनहगार एक ही है.

गुडिय़ा के सीने पर थे नीलू के दांत के निशान

गुडिय़ा के सीने पर दांत से काटा गया था. जब जुन्गा लैब में ये सैंपल जांचे गए थे तो फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने पाया कि गुडिय़ा के सीने से क्लेक्ट किए गए सैंपल का डीएनए व नीलू के दांत काटने से गिरे स्लाइवा के डीएनए का आपस में मिलान हो गया था. बाद में सीबीआई ने भी दिल्ली लैब में इस जांच का पुष्ट किया.

मौके पर एक देसी शराब की बोतल भी पाई गई थी. उस बॉटल के ढक्कन से लिए सैंपल का मिलान गुडिय़ा के सीने में गाड़े गए दांतों की लार के साथ हो गया था. इससे ये तो साबित हो गया कि गुडिय़ा के साथ केवल एक व्यक्ति ने दुष्कर्म किया है, लेकिन वो कौन है, इसका पता लगाना बाकी था.

एहतियात के तौर पर सीबीआई ने लिए 250 सैंपल

सीबीआई ने एहतियात के तौर पर संदिग्ध लोगों के 250 ब्लड सैंपल लिए, लेकिन उनमें से एक भी गुडिय़ा के शरीर से कलेक्ट सैंपल के डीएनए से मैच नहीं हुआ. यही कारण है कि एसआईटी द्वारा पकड़े गए कथित आरोपियों को सीबीआई ने नहीं छेड़ा. सीबीआई के पास सारे सैंपल थे, लेकिन नीलू का नहीं था.

कारण ये था कि सारे संदिग्ध तो राडार में थे, लेकिन नीलू गायब था. इलाके में भी पता था कि नीलू चरानी गायब है. नीलू इतना शातिर था कि वो मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करता था. अब सीबीआई के सामने चुनौती ये थी कि नीलू को कैसे दबोचा जाए. उससे पहले सीबीआई डीएनए प्रोफाइल मैच करना चाहती थी. इस कारण सीबीआई को पहले नीलू के गांव जाना पड़ा.

नीलू के एक भाई के सैंपल से हुई लीनिएज मैचिंग

सीबीआई ने कांगड़ा जिला के बैजनाथ के पूलिंग गांव जाकर नीलू के परिवार से मुलाकात की और उसके एक भाई का सैंपल लिया. इस सैंपल की लीनिएज मैचिंग की गई तो ये गुडिय़ा के शरीर से मिले सैंपल के डीएनए से मैच कर गया. इससे ये एस्टेब्लिश हो गया कि नीलू ही गुनहगार है.

लीनिएज सैंपलिंग इस केस में पहली बार हुई. चूंकि जैनेटिक साइंस में एक ही परिवार के डीएनए के वाई क्रोमोसोम मिलान कर जाते हैं, ऐसे में ये साइंटिफिक तौर पर तय हो गया कि अपराधी नीलू ही है. सीबीआई के अति भरोसेमंत्र सूत्रों के अनुसार नीलू के परिवार के लोगों ने भी बता दिया था कि नीलू अपराधी प्रवृति का हो चुका है और नशे के जाल में बुरी तरह से फंसा है.

सीबीआई ने राडार पर रखे नीलू के नजदीकी

सीबीआई ने ऐसे लोगो की सूची बनाई, जो किसी न किसी रूप में नीलू के संपर्क में रहते थे. इन लोगों से नीलू लकड़ी का चरान करने के काम को लेकर संपर्क में रहता था. नीलू इस कदर शातिर था कि वो वारदात करने के बाद कहीं दूर नहीं गया. नीलू ने इसी बीच हाटकोटी से एक व्यक्ति को पब्लिक बूथ से फोन किया और चरान के काम के बारे में पूछताछ की. सीबीआई ने इलाके के सारे फोन ट्रेस कर रही थी.

जैसे ही सीबीआई को भनक लगी, उसकी टीम ने तुरंत नीलू को दबोच लिया. नीलू ने पूछताछ में अपना गुनाह कबूल कर लिया है. अब सीबीआई के पास पुख्ता साइंटिफिक एवीडेंस व गुनहगार का कबूलनामा है. इसके आधार पर सीबीआई चार्जशीट तैयार कर रही है.

यहां बता दें कि गुड़िया पिछले साल चार जुलाई को स्कूल से घर के लिए रवाना हुई थी. रास्ते में नीलू ने उसे दबोच लिया और दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी. उस समय नीलू नशे में था. गुडिय़ा का शव छह जुलाई को मिला था. उसके बाद प्रदेश भर में जनाक्रोश भड़क गया था.

आदतन अपराधी नीलू ने इससे पहले सिरमौर में भी एक महिला से छेडख़ानी की थी और दराट के हमले में उसे बुरी तरह से घायल कर दिया था. उस मामले में बाद में उसे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. वो प्रदेश में घूम-घूम कर लकड़ी चीरने का काम करता था और हर जगह महिलाओं पर बुरी नजर रखता था. नशेड़ी होने के साथ ही वो आदतन अपराधी मानसिकता वाला हो गया था.

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शिमला: सात साल तक तथ्यों और सबूतों को न्याय के तरजू में तोलने के बाद निर्भया केस के चारों दरिंदों को 20 मार्च को फांसी पर लटका दिया गया. इसके लिए निर्भया की मां ने दिन-रात तक लड़ाई लड़ी. कई बार मायूस भी हुई, लेकिन 20 मार्च को सुबह की पहली किरण न्याय की रोशनी लेकर आई.

हिमाचल की एक और निर्भया यानी गुड़िया की रूह पिछले 4 सालों से न्याय मांग रही है. ना जांच एजेंसिया ना सरकारें अभी तक गुड़िया को न्याय दिलवा पाई हैं. गुड़िया के माता-पिता आज भी बेटी को न्याय दिलवाने के लिए सरकार से लेकर जांच एंजेंसियों की चौखट पर माथा पटक रहे हैं.

कोटखाई के हलाइला में दसवीं कक्षा की छात्रा के साथ चार जुलाई 2017 को गैंगरेप हुआ. छात्रा का नग्न लाश छह जुलाई को कोटखाई के दांदी जंगल में एक गड्ढे में पड़ी मिली. लाश देखने से साफ पता चल रहा था कि उसके साथ दरिंदगी की गई है.

इस जघन्या घटना से समूचे प्रदेश में रोष की लहर दौड़ गई. राज्य पुलिस ने एसआईटी गठित कर उसे जांच का जिम्मा दिया.एसआईटी की कमान तेजतर्रार कहे जाने वाले आईजी रैंक के आईपीएस अफसर जहूर एच जैदी को सौंपी गई.

वीडियो.

अभी जनता गुस्से में थी कि गुरूवार तेरह जुलाई को पुलिस ने केस सुलझाने का दावा कर दिया.बाकायदा पुलिस मुख्यालय में प्रेस कान्फ्रेंस की गई, जिसमें जहूर एच जैदी ने सिलसिलेवार बताया कि कैसे पुलिस ने केस सुलझाया.इस केस में छह लोगों को दोषी बताते हुए गिरफ्तार किया गया.

प्रेस कान्फ्रेंस में ये कहा था आईजी और डीजीपी ने

आईजी जैदी के अनुसार छात्रा के साथ दुष्कर्म और हत्या की गुत्थी निर्भया केस से भी अधिक उलझी हुई थी. निर्भया केस में कई तरह के साक्ष्य मौजूद थे. उस केस में निर्भया का मित्र चश्मदीद था, सीसीटीवी फुटेज थी और खुद लडक़ी का इकबालिया बयान भी था, लेकिन कोटखाई वाला मामला इससे बिल्कुल अलग था. यहां न तो कोई चश्मदीद था, न ही कोई इस तरह का क्लू कि जिससे मदद मिल पाती.

ये तो तय था कि ऐसा जघन्य अपराध करने के लिए कोई बाहर से नहीं आएगा.पुलिस को स्थानीय लोगों पर ही शक था. आधुनिक जांच तरीकों का प्रयोग करते हुए कॉल डिटेल व मोबाइल लोकेशन, डंप डाटा आदि की परख की गई.पुख्ता सुबूत मिलने पर ही संदिग्धों पर हाथ डाला गया. कुल 84 लोगों को राडार पर रखा गया था. छात्रा के स्कूल में भी पूछताछ की गई.

पुलिस ने जांच में पाया कि यह अपरच्यूनिटी क्राइम था.यानी अवसर मिला तो दुष्कर्म व अपराध कर डाला.दरिंदों ने अपनी हवस मिटाने के लिए ये अपराध किया. ये कोई सुनियोजित अपराध नहीं था. सभी छह दरिंदे नशे में थे.आईपीएस जैदी ने कहा था कि उनकी टीम शुरू से ही इन बिंदुओं पर काम कर रही थी. जैदी ने कहा था कि लड़की के साथ अप्राकृतिक दुराचार भी किया गया.जंगल में ही रेप किया गया और दस फीट की दूरी पर लाश फैंक दी.

पुलिस के अनुसार मुख्य आरोपी राजेंद्र सिंह उर्फ राजू छात्रा को पहले से जानता था.गुरूवार 13 जुलाई की प्रेस वार्ता में डीजीपी सोमेश गोयल ने वैज्ञानिक तरीकों से जांच करने और सुबूत जुटाकर दोषियों को धर दबोचने के लिए आईपीएस जहूर जैदी व उनकी टीम को बधाई दी थी. डीजीपी ने कहा कि इस केस को सुलझाने से ये साफ हुआ है कि हिमाचल पुलिस जटिल मामलों को सुलझाने में पूरी तरह से सक्षम है.

कस्टडी में एक कथित आरोपी की मौत से पलट गया केस

छात्रा के छह आरोपियों में से एक नेपाली मूल के सूरज की कस्टडी में मौत हो गई.उसके बाद जन आक्रोश काबू से बाहर हो गया.जनता को पुलिस की भूमिका संदेदास्पद लगी. दरअसल, पुलिस टीम छह आरोपियों से जबर्दस्ती गुनाह कबूल करवाने की फिराक में थी.आनन-फानन में मीडिया के सामने खुलासा तो कर दिया गया, लेकिन जब पुलिस पर सवाल उठे तो आईजी व डीजीपी बगलें झांकने लगे थे।

जिस समय सूरज की कस्टडी में मौत हो गई तो पुलिस ने केस को दबाने के लिए उल्टा खेल खेल दिया.बस, यहीं एसआईटी और राज्य पुलिस की चालाकी फेल हो गई. बाद में जांच सीबीआई को सौंपी गई. सीबीआई की जांच शुरू होने से पहले ही आईजी जैदी व उनकी टीम अपनी खाल बचाने के लिए कसरत करती रही, लेकिन उनकी चालाकी काम नहीं आई.यही चालाकी आईजी व अन्य अफसरों को भारी पड़ी और वे जेल में पहुंच गए.

शुरू से ही संदेह में थी पुलिस की एसआईटी

एसआईटी ने बेशक केस को सुलझाने का दावा किया, लेकिन वो शुरू से ही संदेह के घेरे में थी.सीएम के फेसबुक पेज पर कुछ प्रभावशाली लोगों के फोटो वायरल हुए.वे केस के मुख्य आरोपी बताए जा रहे थे.चंद ही देर में सीएम के पेज से वो फोटो हटा लिए गए.बाद में पुलिस ने और ही लोगों को पकड़ लिया. रही-सही कसर कथित आरोपी सूरज की कस्टडी में हुई मौत ने पूरी कर दी.

पुलिस की थर्ड डिग्री ने ली सूरज की जान

सीबीआई ने केस को हाथ में लेने से पहले ही ये निर्देश जारी कर दिए थे कि सूरज का अंतिम संस्कार न किया जाए.सूरज का पहले आईजीएमसी अस्पताल में पोस्टमार्टम हुआ था. सीबीआई ने एम्स दिल्ली की टीम से पोस्टमार्टम करवाया.उस पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि सूरज की मौत बेतहाशा पिटाई के कारण आई चोटों से हुई.

सीबीआई की चार्जशीट में ये खुलासा है कि सूरज की पिटाई डीएसपी मनोज जोशी के सामने की गई थी. उसे बुरी तरह से मारा गया था.टार्चर के दौरान ही उसकी मौत हो गई. एम्स की रिपोर्ट में साफ दर्ज किया गया है कि सूरज की पीठ, जांघों, हिप्स व अन्य हिस्सों में बेरहमी से पिटाई के निशान हैं.जिन घावों से सूरज की जान गई, वे मौत से दो घंटे पहले से लेकर दो दिन पूर्व तक के हैं.जाहिर है कि सूरज को काफी समय से टार्चर किया जा रहा था.

यूं आए शिकंजे में आईजी व उनकी टीम

सीबीआई के अनुसार आईजी जैदी डीएसपी मनोज जोशी व अन्यों के साथ मिलकर सूरज की पिटाई के बाद हुई मौत को देखते हुए हत्या के सुबूत मिटाने की तैयारी में थे.उस समय शिमला के एसपी डीडब्ल्यू नेगी थे.एसपी होने के नाते वे पूरे प्रदेश में हवालात के भीतर बंद कैदियों को कस्टोडियन थे.कोटखाई के डीएसपी मनोज जोशी व एसएचओ राजेंद्र सिंह ने थाने के अन्य कर्मियों को कहा था कि इस केस को हैंडल कर लिया जाएगा, लिहाजा किसी को कुछ न बताएं.

आईजी जैदी की चालाकी बाद में फेल हो गई. थाने के संतरी दिनेश का बयान उन्होंने अपने मोबाइल में तो रिकॉर्ड कर लिया, लेकिन डीजीपी को सही तथ्य नहीं बताए.बाद में सीबीआई ने आई जैदी, एसपी नेगी, डीएसपी मनोज जोशी, संतरी दिनेश शर्मा आदि के मोबाइल का डंप डाटा, रिकार्डिंग आदि खंगाल कर उन पर हाथ डाल दिया.

सबसे बड़ा सवाल, किसके इशारे पर फंसाए गए निर्दोष

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि छात्रा के असली गुनहगारों को पकडऩे की बजाय निर्दोष लोगों को किसके इशारे पर पकड़ा गया? कौन हैं वो प्रभावशाली लोग, जिन्हें बचाने का प्रयास किया गया. आईजी जैदी व उनकी टीम किसके डर से काम कर रही थी? सूरज से जबर्दस्ती गुनाह क्यों कुबूल करवाया जा रहा था. सूरज की मौत की असल वजह को क्यों छिपाया गया और ये कहा गया कि दो आरोपी आपस में भिड़ गए और उनकी आपसी मारपीट में सूरज की जान गई?

पुलिस की नौकरी में आईजी रैंक तक पहुंचना आसान नहीं है. एक आईपीएस अफसर के लिए ये बड़ा रैंक है.लेकिन क्या वजह रही कि आईजी जहूर एच जैदी इस कदर दबाव में थे कि गलती पर गलती करते गए.

कोटखाई गैंगरेप व हत्या केस: कब-कब, क्या हुआ

14 जुलाई को पुलिस जांच के तरीके से नाराज लोगों ने ठियोग में विरोध प्रदर्शन किया, घबराई राज्य सरकार ने अगले ही दिन सीबीआई जांच के लिए सिफारिश की. 23 जुलाई को सीबीआई ने इस केस में दो मामले दर्ज किए.अगले दिन सीबीआई की टीम शिमला पहुंची और जांच शुरू की।

सीबीआई ने हाईकोर्ट में 2 अगस्त को स्टेट्स रिपोर्ट सौंपी. हाईकोर्ट ने सीबीआई को फटकार भी लगाई कि उसकी जांच क्यों नहीं पूरी हो रही. फिर 29 अगस्त को चौंकाने वाला घटनाक्रम हुआ, जब सीबीआई ने आईजी जैदी व आठ अन्य पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार किया .

कुछ दिन बाद सीबीआई ने नीलू चरानी नाम के शख्स को गिरफ्तार किया. देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई के पास गुड़िया के गुनहगार अनिल उर्फ नीलू चरानी का गुनाह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत थे. सूरज कस्टोडियल डैथ मामले में लोअर कोर्ट में चालान पेश किया जा चुका है. इसी तरह गुडिय़ा रेप एंड मर्डर मामले में तो गवाहियां भी तेजी से हो रही हैं. ऐसे में सीबीआई की तरफ से हाईकोर्ट में आग्रह किया था कि इन मामलों पर अब निगरानी बंद की जाए.

एक याचिका के माध्यम से सीबीआई ने हाईकोर्ट में आवेदन किया और जांच एजेंसी के वकील के अनुरोध पर अदालत ने निगरानी बंद कर दी . सीबीआई के वकील अंशुल बंसल के अनुसार चूंकि दोनों ही मामलों में सेशन कोर्ट में चालान दाखिल किया जा चुका है, लिहाजा निगरानी बंद की जाए. उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने गुडिय़ा रेप एंड मर्डर केस के गुनहगार अनिल उर्फ नीलू चरानी के खिलाफ पक्के और वैज्ञानिक सुबूत मिलने पर उसे गिरफ्तार किया था.

अनिल के खिलाफ स्पेशल जज कोर्ट में चालान पेश करने के बाद अब गवाहियों का दौर भी शुरू हो चुका है. अब तक 26 के करीब लोगों की गवाही दर्ज की जा चुकी है. कैथू जेल से नीलू चरानी को भी कई बार सेशन कोर्ट में पेश किया जा चुका है.

इस तरह सीबीआई ने सुलझाया था जटिल केस

कोटखाई की दसवीं कक्षा की छात्रा गुडिय़ा से दांदी जंगल में दरिंदगी हुई थी. दुष्कर्म के बाद गुडिय़ा की हत्या कर दी गई थी. सीबीआई ने करीब 207 दिन की सक्रिय जांच के बाद नीलू को पकड़ा था. इस केस की जांच अधिकारी महिला अफसर सीमा पाहूजा थीं. सीबीआई की टीम का दावा है कि उसके पास नीलू के खिलाफ अकाट्य वैज्ञानिक सुबूत हैं. यहां बता दें कि इस केस में पहली बार लीनिएज सैंपलिंग का सहारा भी लिया गया था.

नीलू के परिवार के सदस्यों से डीएनए मैच करने के बाद नीलू को पकड़ा गया और फिर वैज्ञानिक जांच में नीलू का दोष साबित हुआ था. अब केस की तेजी से सुनवाई हो रही है. शिमला के चक्कर स्थित स्पेशल जज कोर्ट में नियमित अंतराल पर गवाहियां और सुनवाई जारी है.

नीलू ने नशे में किया दुष्कर्म और मार डाला गुडिय़ा को

साइंटिफिक एवीडेंस इस बात को पुख्ता करते हैं कि गुडिय़ा का गुनगहार नीलू ही है. पुलिस ने मौके से गुडिय़ा के शरीर से जो सैंपल लिए थे, उनकी डीएनए प्रोफाइलिंग हिमाचल की जुन्गा फॉरेंसिक लैब ने भी की थी. जुन्गा लैब की रिपोर्ट अगस्त में आई और हिमाचल पुलिस की एसआईटी ने जुलाई में ही प्रेस वार्ता कर दावा कर दिया था कि उसके पास गुडिय़ा के खिलाफ हुए अपराध के साइंटिफिक व सरकमस्टांशिएल एवीडेंस हैं.

यदि उस समय एसआईटी ने गंभीरता व धैर्य दिखाया होता तो एसआईटी ही इस मामले को सुलझा देती. फिलहाल, सीबीआई ने जुन्गा लैब में मौजूद डीएनए सैंपल दिल्ली ले जाकर अपनी लैब में जांचे. उस जांच के बाद ये तय हो गया कि गुडिय़ा का गुनहगार एक ही है.

गुडिय़ा के सीने पर थे नीलू के दांत के निशान

गुडिय़ा के सीने पर दांत से काटा गया था. जब जुन्गा लैब में ये सैंपल जांचे गए थे तो फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने पाया कि गुडिय़ा के सीने से क्लेक्ट किए गए सैंपल का डीएनए व नीलू के दांत काटने से गिरे स्लाइवा के डीएनए का आपस में मिलान हो गया था. बाद में सीबीआई ने भी दिल्ली लैब में इस जांच का पुष्ट किया.

मौके पर एक देसी शराब की बोतल भी पाई गई थी. उस बॉटल के ढक्कन से लिए सैंपल का मिलान गुडिय़ा के सीने में गाड़े गए दांतों की लार के साथ हो गया था. इससे ये तो साबित हो गया कि गुडिय़ा के साथ केवल एक व्यक्ति ने दुष्कर्म किया है, लेकिन वो कौन है, इसका पता लगाना बाकी था.

एहतियात के तौर पर सीबीआई ने लिए 250 सैंपल

सीबीआई ने एहतियात के तौर पर संदिग्ध लोगों के 250 ब्लड सैंपल लिए, लेकिन उनमें से एक भी गुडिय़ा के शरीर से कलेक्ट सैंपल के डीएनए से मैच नहीं हुआ. यही कारण है कि एसआईटी द्वारा पकड़े गए कथित आरोपियों को सीबीआई ने नहीं छेड़ा. सीबीआई के पास सारे सैंपल थे, लेकिन नीलू का नहीं था.

कारण ये था कि सारे संदिग्ध तो राडार में थे, लेकिन नीलू गायब था. इलाके में भी पता था कि नीलू चरानी गायब है. नीलू इतना शातिर था कि वो मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करता था. अब सीबीआई के सामने चुनौती ये थी कि नीलू को कैसे दबोचा जाए. उससे पहले सीबीआई डीएनए प्रोफाइल मैच करना चाहती थी. इस कारण सीबीआई को पहले नीलू के गांव जाना पड़ा.

नीलू के एक भाई के सैंपल से हुई लीनिएज मैचिंग

सीबीआई ने कांगड़ा जिला के बैजनाथ के पूलिंग गांव जाकर नीलू के परिवार से मुलाकात की और उसके एक भाई का सैंपल लिया. इस सैंपल की लीनिएज मैचिंग की गई तो ये गुडिय़ा के शरीर से मिले सैंपल के डीएनए से मैच कर गया. इससे ये एस्टेब्लिश हो गया कि नीलू ही गुनहगार है.

लीनिएज सैंपलिंग इस केस में पहली बार हुई. चूंकि जैनेटिक साइंस में एक ही परिवार के डीएनए के वाई क्रोमोसोम मिलान कर जाते हैं, ऐसे में ये साइंटिफिक तौर पर तय हो गया कि अपराधी नीलू ही है. सीबीआई के अति भरोसेमंत्र सूत्रों के अनुसार नीलू के परिवार के लोगों ने भी बता दिया था कि नीलू अपराधी प्रवृति का हो चुका है और नशे के जाल में बुरी तरह से फंसा है.

सीबीआई ने राडार पर रखे नीलू के नजदीकी

सीबीआई ने ऐसे लोगो की सूची बनाई, जो किसी न किसी रूप में नीलू के संपर्क में रहते थे. इन लोगों से नीलू लकड़ी का चरान करने के काम को लेकर संपर्क में रहता था. नीलू इस कदर शातिर था कि वो वारदात करने के बाद कहीं दूर नहीं गया. नीलू ने इसी बीच हाटकोटी से एक व्यक्ति को पब्लिक बूथ से फोन किया और चरान के काम के बारे में पूछताछ की. सीबीआई ने इलाके के सारे फोन ट्रेस कर रही थी.

जैसे ही सीबीआई को भनक लगी, उसकी टीम ने तुरंत नीलू को दबोच लिया. नीलू ने पूछताछ में अपना गुनाह कबूल कर लिया है. अब सीबीआई के पास पुख्ता साइंटिफिक एवीडेंस व गुनहगार का कबूलनामा है. इसके आधार पर सीबीआई चार्जशीट तैयार कर रही है.

यहां बता दें कि गुड़िया पिछले साल चार जुलाई को स्कूल से घर के लिए रवाना हुई थी. रास्ते में नीलू ने उसे दबोच लिया और दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी. उस समय नीलू नशे में था. गुडिय़ा का शव छह जुलाई को मिला था. उसके बाद प्रदेश भर में जनाक्रोश भड़क गया था.

आदतन अपराधी नीलू ने इससे पहले सिरमौर में भी एक महिला से छेडख़ानी की थी और दराट के हमले में उसे बुरी तरह से घायल कर दिया था. उस मामले में बाद में उसे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. वो प्रदेश में घूम-घूम कर लकड़ी चीरने का काम करता था और हर जगह महिलाओं पर बुरी नजर रखता था. नशेड़ी होने के साथ ही वो आदतन अपराधी मानसिकता वाला हो गया था.

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