शिमला: देश में 1975 में लागू आपातकाल के दौरान जेल गए लोगों के लिए बनाया गया लोकतंत्र प्रहरी सम्मान एक्ट सुखविंदर सरकार ने रद्द कर दिया है. पूर्व जयराम सरकार ने इस एक्ट को पारित किया था. कांग्रेस ने तब इसका कड़ा विरोध किया था. अब राज्य में प्रदेश में अपनी सरकार बनने के सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस एक्ट और इसके नियमों का रद्द कर दिया है. कैबिनेट में आज इस एक्ट को रद्द करने का फैसला लिया.
राज्य सरकार देती है 8 हजार से 12 हजार मासिक की सम्मान राशि: इमरजेंसी में जेल काटने वालों के लिए हिमाचल की पूर्व जयराम सरकार ने लोकतंत्र प्रहरी सम्मान देने का फैसला लिया था. इस बारे में विधानसभा में चर्चा के बाद जुलाई 2020 में सरकार ने सम्मान राशि जारी करने को कैबिनेट में मुहर लगाई थी. पूर्व सरकार ने इसका विधेयक पारित करवाया था. एक एक्ट अनुसार 25 जून, 1975 से 21 मार्च, 1977 तक आपातकाल की अवधि के दौरान लोकतंत्र की सुरक्षा और लोगों के मौलिक अधिकारों के लिए आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (मीसा) सहित डीआईआर यानी डिफेंस ऑफ इंडिया रूल के तहत एक से 15 दिन तक जेल में रहे लोगों को 8000 रुपये प्रति माह सम्मान राशि प्रदान की जाती है.
इसके अलावा 15 दिनों से अधिक अवधि तक कैद में रहने वालों को 12000 रुपये प्रतिमाह लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि के रूप में दिए जाते हैं. हिमाचल प्रदेश में 81 लोगों को ये सम्मान राशि मिलती है, उनमें से कुछ दिवंगत भी हो चुके हैं. हिमाचल प्रदेश में लोकतंत्र प्रहरियों में शांता कुमार, राधारमण शास्त्री, सुरेश भारद्वाज, राजीव बिंदल आदि का नाम प्रमुख है.
अन्य राज्यों में भी इस तरह की सम्मान राशि मिलने का दिया था तर्क: इस एक्ट को पारित करवाते समय पूर्व जयराम सरकार का तर्क था कि देश के अन्य राज्यों हरियाणा, राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में सम्मान राशि दी जा रही है. हालांकि कांग्रेस ने तब इस एक्ट का कड़ा विरोध किया था. जब यह विधेयक लाया गया था तो तत्कालीन विधायक और वर्तमान मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा था कि 45 साल बाद इस विधेयक को लाया गया है.
उनका कहना था कि देश में बसों को जलाने और दफ्तरों में तोड़फोड़ करने वालों को भी सम्मान राशि दी जा रही है. सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने हिमाचल प्रदेश लोकतंत्र प्रहरी सम्मान एक्ट-2021 और हिमाचल प्रदेश लोकतंत्र प्रहरी सम्मान नियम, 2022 को निरस्त करने पर मुहर लगाई.
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