शिमला: स्कूली बच्चों में शिक्षा की लौ जगाने वाले शिक्षक ही अब सड़कों पर उतरकर अपने हक की लड़ाई लड़ने को मजबूर हो गए हैं. अपनी मांगे पूरा होता ना देख अब शिक्षकों ने आंदोलन का रास्ता अपना लिया है और इस आंदोलन का आगाज भी राजधानी शिमला से किया गया है. जहां आज चौड़ा मैदान में हिमाचल राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया और शिक्षा निदेशालय तक रैली निकाली.
पुरानी पेंशन बहाली को लेकर लम्बे समय से संघर्षरत प्राथमिक शिक्षकों ने अपने इस प्रदर्शन के माध्यम से सरकार से पुरानी पेंशन बहाली की मांग की. चौड़ा मैदान में प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों ने इस दौरान हिमाचल राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए शिक्षकों को यहां अपनी मांगों को लेकर और अपनी समस्याओं को लेकर भी जानकारी दी और चर्चा की.
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इसके बाद चौड़ा मैदान से शिक्षा निदेशालय तक न्यू पेंशन स्कीम के विरोध में रैली निकाली गई. शिक्षा निदेशालय में पहुंच कर संयुक्त शिक्षा निदेशक के माध्यम से हिमाचल प्रदेश प्राथमिक अध्यापक संघ ने राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री सहित मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा. हिमाचल राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष हेमराज ठाकुर ने कहा कि प्राथमिक शिक्षक संघ लंबे समय से पुरानी पेंशन बहाली को लेकर संघर्ष कर रहा है. प्रदेश सरकार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है. उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर आज प्रदेश भर के कुछ शिक्षक मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे हैं.
उन्होंने कहा कि एक ओर शिक्षकों और कर्मचारियों कि पेंशन रोकी जा रही है. तो वहीं विधायकों को एक दिन की शपथ के बाद भी पेंशन दी जाती है. उन्होंने कहा कि नई पेंशन स्कीम से शिक्षकों को कोई लाभ नहीं है,उसके अनुसार शिक्षकों को मात्र 500 से 1000 रुपये तक पेंशन लगेगी. उन्होंने कहा कि अगर विधायक व मंत्रियों की पेंशन बंद कर दी जाए तो वह भी अपना आंदोलन समाप्त कर देंगे.
न्यू पेंशन स्कीम का विरोध जताने के साथ ही संघ ने अपनी अन्य मांगों को लेकर भी विरोध जताया. उन्होंने कहा कि 18 साल की सेवाएं देने के बाद भी प्राथमिक सहायक अध्यापकों को नियमित नहीं किया जा रहा है. यहां तक कि उन्हें वेतन भी अलग दिया जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने सरकार की ओर से शिक्षकों के लिए तैयार की जा रही नई तबादला नीति का भी विरोध जताया.
हेमराज ठाकुर ने कहा कि यह तबादला नीति बाहरी राज्यों की तर्ज पर तैयार की गई है जो हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए सही नहीं है. उन्होंने कहा कि इस नीति की जगह पॉलिसी बनाई जाए जिसमे शिक्षकों की भी राय ली जाए. उन्होंने कहा कि शिक्षकों की चुनाव में डयूटी लगाई जाती है और छुट्टियों में भी इलेक्शन की लिस्ट बनाने का कार्य करवाया जाता है. जिसका उन्हें कोई लाभ नहीं दिया जाता.
संघ ने चेताया है कि आज शिक्षक सांकेतिक धरना दे रहे हैं अगर उनकी मांगों को नहीं माना गया तो वह भूख हड़ताल व उग्र आंदोलन से भी पीछे नही हटेंगे.अपनी मांगों को लेकर शिक्षक 21 से 27 फरवरी तक दिल्ली जे जंतर मंतर पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करेंगे.
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