शिमला: हिमाचल में भारी बारिश और लैंडस्लाइड से कई सड़कों पर बड़ी बड़ी दरारें आ गई है. साथ ही लैंडस्लाइड से कई मकान धराशाई हो रहे है. प्रदेश में इस बार अब तक लैंडस्लाइड के चलते 143 लोगों की मौत हुई है, जिसमें सबसे ज्यादा शिमला जिले में 51 लोगों की मौत हुई है. प्रदेश में लगातार दरकते पहाड़ों ने प्रदेश सरकार की चिंता बढ़ा दी है. सरकार अब पहाड़ों में हो रहे लैंडस्लाइड के कारणों का पता लगाने के लिए अध्ययन कराने जा रही है. इसके लिए सरकार हिमाचल में भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण करवाएगी.
भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मंडी और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी हमीरपुर जैसे शीर्ष संस्थानों को शामिल किया गया है. जिसके तहत भूवैज्ञानिक अलग-अलग शहरों में जाकर लैंडस्लाइड होने के कारणों का पता लगाएंगे. साथ ही भविष्य में लैंडस्लाइड को रोकने के लिए भी सरकार को सुझाव भी देंगे.
हिमाचल प्रदेश सरकार में राजस्व मंत्री जगत नेगी ने कहा इस बार जमीन धंसने की लगातार नई घटनाए सामने आ रही है. ऊपरी क्षेत्रों के साथ निचले इलाकों में भी जमीन धंस रही है. पहाड़ों पर भारी भूस्खलन हो रहा है और कई गांव धंस रहे हैं. जमीन क्यों धंस रही है, इसको लेकर सभी जगह से इसकी जांच करने का आग्रह किया जा रहा है. इसको देखते हुए इन क्षेत्रों में भूवैज्ञानिक सर्वे शुरू भी कर दिया गया है. नेशनल हाइवे में काफी ज्यादा जमीन धंस रही है. इसके कारणों का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक जांच की जा रही है. ताकि पता लगाया जा सके कि इतने ज्यादा लैंडस्लाइड क्यों हो रहे है? उन्होंने कहा इससे पहले इतने ज्यादा लैंडस्लाइड और जमीन धंसने के मामले कभी नहीं हुए है. इस बार बरसात में लैंडस्लाइड में कई जानें गई हैं. साथ ही भारी नुकसान हुआ है.
बता दें कि हिमाचल में इस मानसून सीजन में जगह-जगह लैंडस्लाइड से भारी जानमाल का नुकसान हुआ है. भारी बारिश और लैंडस्लाइड सहित अन्य दुर्घटनाओं में अब तक 382 लोगों की जान जा चुकी है. जबकि प्रदेश को ₹10 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है. वही शिमला, सोलन, मंडी और कुल्लू में लगातार जमीन धंस रही है. साथ ही पहाड़ दरक रहे हैं. जिससे कई गांवों पर खतरा मंडराने लगा है. लोग अपने आशियाने छोड़ने को मजबूर हो गए है.
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