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Raghuram Rajan on OPS : पुरानी पेंशन योजना को लेकर पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन का बड़ा बयान - ओपीएस पर रघुराम राजन

देश के गैर-बीजेपी शासित राज्यों में पुरानी पेंशन को लागू करने की होड़ लगी हुई है. कांग्रेस सरकार ने हिमाचल में ओपीएस लागू करने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं. इससे पहले राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब ने भी यही किया है. इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बड़ा बयान दिया है. आखिर ओपीएस पर रघुराम राजन ने क्या कहा, जानने के लिए पढ़ें पूरी ख़बर (Raghuram Rajan on OPS) (OPS in Himachal) (Raghuram Rajan on Old Pension Scheme)

Raghuram Rajan on OPS
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Published : Jan 19, 2023, 1:53 PM IST

नई दिल्ली : कई राज्य सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना में वापस जाने का इरादा दिखाया है. इस पर आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि ऐसा करने से सरकारी खर्च कम हो जाएगा, लेकिन भविष्य के लिए देनदारियां बढ़ सकती हैं. उन्होंने खुदरा ऋण देने की दिशा में बहुत अधिक झुकाव पर बैंकों को आगाह किया है.

डावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) से इतर एक ऑनलाइन पोर्टल को दिए साक्षात्कार में राजन ने कहा कि नई पेंशन योजना को इसलिए अपनाया गया क्योंकि पुरानी योजना में भारी देनदारियां बन गई थीं. उन्होंने आगे कहा कि सरकारों के लिए परिभाषित लाभ योजनाओं को अपनाना आसान है क्योंकि देनदारियों को मान्यता नहीं दी जा रही है.

राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब जैसी कई राज्य सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना को अपनाया है, इसमें हिमाचल प्रदेश भी शामिल है. गौरतलब है कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने ने हिमाचल में ओपीएस को चुनावी मुद्दा बनाया था और माना जा रहा है कि इस मुद्दे की बदौलत हिमाचल में कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई है. उधर राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार है और चुनाव से पहले दोनों राज्यों ने ओपीएस को अपनाया है. ओपीएस पर रघुराम राजन ने साक्षात्कार में आगे कहा कि हालांकि यह प्रत्येक राज्य सरकार को तय करना है, लेकिन इन योजनाओं को प्रभावी ढंग से समाज के कमजोर वर्गों के लिए लक्षित किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें लाभ मिल सके.

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने साक्षात्कार के दौरान भारतीय बैंकों को खुदरा ऋण देने की दिशा में उनके बदलाव के प्रति आगाह भी किया, क्योंकि उन्होंने कहा था कि मंदी के मामले में संभावित जोखिम हो सकते हैं. राजन की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारतीय बैंकों ने थोक ऋण की तुलना में खुदरा संपत्ति में भारी उछाल देखा है. इंटरव्यू में उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया गया था कि बैंकों को इंफ्रास्ट्रक्चर ऋण देने में शामिल सभी जोखिमों की जांच करनी चाहिए. पूर्व बैंकर ने कहा कि 2007 और 2009 के बीच, आरबीआई इंफ्रास्ट्रक्चर लोन की ओर बढ़ा था, हालांकि बाद में उसमें समस्याएं सामने आईं.

(आईएएनएस)

नई दिल्ली : कई राज्य सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना में वापस जाने का इरादा दिखाया है. इस पर आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि ऐसा करने से सरकारी खर्च कम हो जाएगा, लेकिन भविष्य के लिए देनदारियां बढ़ सकती हैं. उन्होंने खुदरा ऋण देने की दिशा में बहुत अधिक झुकाव पर बैंकों को आगाह किया है.

डावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) से इतर एक ऑनलाइन पोर्टल को दिए साक्षात्कार में राजन ने कहा कि नई पेंशन योजना को इसलिए अपनाया गया क्योंकि पुरानी योजना में भारी देनदारियां बन गई थीं. उन्होंने आगे कहा कि सरकारों के लिए परिभाषित लाभ योजनाओं को अपनाना आसान है क्योंकि देनदारियों को मान्यता नहीं दी जा रही है.

राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब जैसी कई राज्य सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना को अपनाया है, इसमें हिमाचल प्रदेश भी शामिल है. गौरतलब है कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने ने हिमाचल में ओपीएस को चुनावी मुद्दा बनाया था और माना जा रहा है कि इस मुद्दे की बदौलत हिमाचल में कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई है. उधर राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार है और चुनाव से पहले दोनों राज्यों ने ओपीएस को अपनाया है. ओपीएस पर रघुराम राजन ने साक्षात्कार में आगे कहा कि हालांकि यह प्रत्येक राज्य सरकार को तय करना है, लेकिन इन योजनाओं को प्रभावी ढंग से समाज के कमजोर वर्गों के लिए लक्षित किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें लाभ मिल सके.

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने साक्षात्कार के दौरान भारतीय बैंकों को खुदरा ऋण देने की दिशा में उनके बदलाव के प्रति आगाह भी किया, क्योंकि उन्होंने कहा था कि मंदी के मामले में संभावित जोखिम हो सकते हैं. राजन की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारतीय बैंकों ने थोक ऋण की तुलना में खुदरा संपत्ति में भारी उछाल देखा है. इंटरव्यू में उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया गया था कि बैंकों को इंफ्रास्ट्रक्चर ऋण देने में शामिल सभी जोखिमों की जांच करनी चाहिए. पूर्व बैंकर ने कहा कि 2007 और 2009 के बीच, आरबीआई इंफ्रास्ट्रक्चर लोन की ओर बढ़ा था, हालांकि बाद में उसमें समस्याएं सामने आईं.

(आईएएनएस)

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