शिमला: वन मंत्री राकेश पठानिया ने विधानसभा सदन में कहा कि सरकारी भूमि से खैर के पेड़ों को काटने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के मैदानी इलाकों में अरबों रुपए के खैर के पेड़ सरकारी जंगलों में लगे हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की ओर से हरित क्षेत्र में पेड़ काटने पर पाबंदी लगने के बाद इन पेड़ों को काटा नहीं जा सका है. जिसकी वजह से राज्य की आय रुक गई है. एक निश्चित समय के बाद इन पेड़ों की वृद्धि रुक जाती है.
राकेश पठानिया गुरुवार को विधानसभा में खैर सरकारी सदस्य कार्य दिवस के मौके पर भाजपा विधायक रमेश धवाला की ओर से प्रदेश में खैर और चंदन के वृक्षों के कटान और बिक्री को लेकर नीति बनाने पर विचार करने के लिए लाए गए संकल्प पर चर्चा का जवाब दे रहे थे. चर्चा का जवाब देते हुए वन मंत्री राकेश पठानिया ने कहा कि यह विषय जहां ग्रामीणों की रोजी-रोटी से जुड़ा हुआ है वही प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी काफी हद तक वनों के ऊपर निर्भर करती है. अगर सही मायने में कहे तो लोग खैर की लकड़ी काटने के ऊपर लंबे समय तक अनुमति का इंतजार करते रहते हैं.
खैर की लकड़ी काटने पर पिछले 30 साल से प्रतिबंध
बता दें कि खैर की लकड़ी काटने पर पिछले 30 साल से बैन लगा हुआ है. उन्होंने कहा कि जितने भी सदस्यों ने अपने विचार सदन में पेश किए हैं. उन सब का यही कहना है कि खैर की लकड़ी काटने की अनुमति प्रदेश के किसानों और ग्रामीणों को मिल जानी चाहिए. खैर का पेड़ काटने के बाद नया पेड़ लगाने की आवश्यकता नहीं होती. क्योंकि वह खुद ही खैर का पेड़ उठ जाता है. आज प्रदेश के जंगलों में आय का सबसे बड़ा साधन ही खैर की लकड़ी है.
खैर के पेड़ों की मार्किंग का कार्य शुरू
वन मंत्री ने कहा कि जिन जिन सदस्यों ने इस विषय पर अपनी आवाज उठाई है. उन सभी पर गहनता से विचार किया जाएगा. विभाग की तरफ से खैर के पेड़ों की मार्किंग का कार्य शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि वन विभाग और फॉरेस्ट कॉर्पोरेशन के माध्यम से ऐसे खैर जो अधिक उपयोग के नहीं बचे हैं उनको काटकर डिपो में लाया जाएगा और उसके बाद उसका वितरण शुरू कर दिया जाएगा वन मंत्री ने कहा कि 15वें वित्त आयोग ने प्रदेश सरकार ने इस विषय को पूरी जोरों से उठाया है.
भारत सरकार से मुआवजा राशि की मांग
इस विषय के तहत भारत सरकार से मुआवजा राशि की मांग रखी है और उम्मीद लगाई जा रही है कि जल्द ही इन पेड़ों को संरक्षण देने का मुआवजा प्रदेश को मिलेगा. जहां तक सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखने की बात है तो प्रदेश सरकार पूरे जोरों के साथ ही इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में सबसे अच्छे वकीलों के माध्यम से उठा रही है. वहीं, खैर की लकड़ी की तस्करी पर बोलते हुए वन मंत्री ने कहा कि प्रदेश में 62 चेक पोस्ट वन विभाग की तरफ से लगाए गए हैं जहां से वनों की तस्करी को रोकने की कोशिश की जा रही है.
प्रदेश में चंदन की तस्करी का मुद्दा गंभीर
वन मंत्री ने रमेश हवाला द्वारा उठाए गए चंदन की लकड़ी के मामले पर कहा कि चंदन की तस्करी बहुत बड़ा सवाल बनकर सामने आया है, इसलिए वनों में चंदन के पेड़ों को सुरक्षित रखना बहुत बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य है मुख्यमंत्री ने बजट स्पीच में भी कहा है कि प्रदेश में चंदन के अधिक से अधिक पेड़ लगाने पर भी कोशिश की जा रही है. और वन विभाग की नर्सरी में 60,000 चंदन के पौधे तैयार किए गए हैं. जिनको जल्द ही प्रदेश के किसानों में बांटा जाएगा चंदन की लकड़ी के अलावा इसके औषधीय गुण भी बहुत अधिक हैं. चंदन के माध्यम से किसानों को आय का अच्छा माध्यम उपलब्ध हो सकता है इसके लिए वन विभाग पूरी कोशिश कर रहा है
प्रदेश के अधिकतर क्षेत्रों में वन
वन मंत्री ने कहा कि वन विभाग पूरी तरह से सदन के सदस्यों द्वारा उठाए गए सवालों पर गंभीर है शिमला में एफआरए का ऑफिस 1 अक्टूबर से शुरू हो रहा है इसलिए अब अनुमति लेने में हमें कठिनाई नहीं होगी वन मंत्री ने कहा कि वन विभाग प्रदेश की तरक्की में कभी वादा नहीं बनेगा इसलिए कोशिश की जाएगी कि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ प्रदेश का विकास भी किया जा सके. प्रदेश के अधिकतर क्षेत्रों में वन ही जीवन है.
स्कूलों में नर्सरी लगाने का अभियान शुरू
स्कूलों में अपनी वाटिका हो इसके लिए भी प्रदेश सरकार कोशिश कर रही है इसके लिए स्कूलों में नर्सरी लगाने का अभियान शुरू करेंगे इसके अलावा मनरेगा और पंचायती राज विभाग द्वारा शुरू की गई पंचवटी योजना का भी सहारा लिया जाएगा राकेश पठानिया ने कहा कि सदन के सदस्यों की चिंता को ध्यान में रखते हुए में सभी सदस्यों को आश्वासन देना चाहता हूं कि खैर और चंदन की लकड़ी का किस प्रकार व्यवसायिक प्रयोग किया जा सके इसके लिए पूरा प्रयास किया जाएगा.
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