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ग्रामीणों को वनों से अधिक लाभ दिलाने के लिए वन विभाग बनाएगा विशेष रणनीति

प्रदेश के ग्रामीणों को जंगलों से अधिक से अधिक लाभ मिल सके इसके लिए वन विभाग के प्रमुख अधिकारियों ने बैठक की है. बैठक में स्थानीय समुदाय, सरकारी एजेंसियों और जिम्मेदार व्यवसायियों के साथ मिल कर अपनी आजीविका को बढ़ाने के साथ-साथ वनों को संरक्षित करने पर बल दिया गया है.

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Published : May 5, 2021, 7:10 PM IST

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शिमला: प्रदेश के ग्रामीणों को जंगलों से अधिक से अधिक लाभ मिल सके इसके लिए वन विभाग के प्रमुख अधिकारियों ने बैठक की है. बैठक के दौरान डॉ सविता ने बताया कि प्रदेश में ग्रामीण समुदायों के काफी लोग वनों से प्राप्त औषधीय पौधों, जड़ी-बूटियों और अन्य वन उपजों की बिक्री पर निर्भर रहते हैं.

बहुत से वन उत्पादों को वे बहुत कम दामों पर बेच देते हैं, जबकि उद्योग उन उपजों का उपयोग हर्बल दवाओं इत्यादि में कच्चे माल के तौर पर उपयोग करता है.

अर्थव्यस्था को बढ़ाने की रणनीति

राज्य वन विभाग ने भारतीय इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी की टीम के सहयोग के साथ हिमाचल में वनों पर आधारित अर्थव्यस्था बढ़ाने के लिए समूहों के विकास और वन औषधी मूल्यवर्धन रणनीति बनाएगा.

ये भी पढ़ें- रिज मैदान पर निगम के कर्मचारी ही उठाएंगे घोड़ों की लीद, कोरोना काल में दी गई घोड़ा संचालकों को राहत

वनों को संरक्षित रखने में मिलेगा सहयोग

उन्होंने कहा कि स्थानीय समुदाय सरकारी एजेंसियों और जिम्मेदार व्यवसायियों के साथ मिल कर अपनी आजीविका को बढ़ाने के साथ-साथ वनों को संरक्षित रखने में सहयोग दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि वन आजीविका सुरक्षा और जैव विविधता संरक्षण आदि लाभ प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसलिए वनों द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाओं में तालमेल तथा व्यापार को संतुलित करना महत्वपूर्ण है.

मैपिंग कर तैयार की जाएगी रणनीति

बीआईपीपी वन उत्पादों के उत्पादन, सतत निष्कासन व बिक्री के डेटा को संकलित करेगा. वन विभाग के सहयोग से वन्य औषधियों, जड़ी-बूटी के संग्रह, खरीद, मूल्य संवर्धन, विपणन और उद्योगों की स्थापना का विकेन्द्रीकृत प्रणाली के लिए एक प्रारूप तैयार करेगा. बीआईपीपी की टीम इस संदर्भ में सर्वप्रथम पायलट आधार पर प्रमुख उत्पादों के क्षेत्रों की मैपिंग कर रणनीति को वन विभाग के साथ साझा करेगा.

ये भी पढ़ें: कुल्लू बीजेपी ने राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन, पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग

शिमला: प्रदेश के ग्रामीणों को जंगलों से अधिक से अधिक लाभ मिल सके इसके लिए वन विभाग के प्रमुख अधिकारियों ने बैठक की है. बैठक के दौरान डॉ सविता ने बताया कि प्रदेश में ग्रामीण समुदायों के काफी लोग वनों से प्राप्त औषधीय पौधों, जड़ी-बूटियों और अन्य वन उपजों की बिक्री पर निर्भर रहते हैं.

बहुत से वन उत्पादों को वे बहुत कम दामों पर बेच देते हैं, जबकि उद्योग उन उपजों का उपयोग हर्बल दवाओं इत्यादि में कच्चे माल के तौर पर उपयोग करता है.

अर्थव्यस्था को बढ़ाने की रणनीति

राज्य वन विभाग ने भारतीय इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी की टीम के सहयोग के साथ हिमाचल में वनों पर आधारित अर्थव्यस्था बढ़ाने के लिए समूहों के विकास और वन औषधी मूल्यवर्धन रणनीति बनाएगा.

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वनों को संरक्षित रखने में मिलेगा सहयोग

उन्होंने कहा कि स्थानीय समुदाय सरकारी एजेंसियों और जिम्मेदार व्यवसायियों के साथ मिल कर अपनी आजीविका को बढ़ाने के साथ-साथ वनों को संरक्षित रखने में सहयोग दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि वन आजीविका सुरक्षा और जैव विविधता संरक्षण आदि लाभ प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसलिए वनों द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाओं में तालमेल तथा व्यापार को संतुलित करना महत्वपूर्ण है.

मैपिंग कर तैयार की जाएगी रणनीति

बीआईपीपी वन उत्पादों के उत्पादन, सतत निष्कासन व बिक्री के डेटा को संकलित करेगा. वन विभाग के सहयोग से वन्य औषधियों, जड़ी-बूटी के संग्रह, खरीद, मूल्य संवर्धन, विपणन और उद्योगों की स्थापना का विकेन्द्रीकृत प्रणाली के लिए एक प्रारूप तैयार करेगा. बीआईपीपी की टीम इस संदर्भ में सर्वप्रथम पायलट आधार पर प्रमुख उत्पादों के क्षेत्रों की मैपिंग कर रणनीति को वन विभाग के साथ साझा करेगा.

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