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हिमाचल की वादियों में बढ़ी हरियाली! प्रदेश में पहली बार वन विभाग करेगा पौधरोपण की सर्वाइवल रेट का ऑडिट

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Published : Jul 28, 2021, 9:12 PM IST

हिमाचल में पहली बार वन विभाग ने पौधरोपण की सर्वाइवल रेट का ऑडिट करने का फैसला लिया है. पोस्ट प्लांटेशन समीक्षा (Post Plantation Review) के लिए विभाग मैकेनिज्म करेगा तैयार. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट (forest survey of india report) में भी हिमाचल अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए तैयारी कर रहा है. सरकार का लक्ष्य फॉरेस्ट कवर 30 फीसदी बढ़ाने का है.

survival rate of plantation in himachal
हिमाचल की वादियों में बढ़ी हरियाली

शिमला: हिमाचल प्रदेश में एक करोड़ पौधे रोपने का लक्ष्य लेकर चला वन विभाग पहली बार पौधरोपण की सर्वाइवल रेट का ऑडिट भी करेगा. इस साल प्रदेश में 14 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में एक करोड़ से अधिक पौधे रोपित किए जाएंगे. विभाग द्वारा नगर परिषदों और पंचायतों के प्रत्येक सदस्य को स्थानीय लोगों की सहायता से पौधरोपण के लिए 51 पौधे प्रदान किए जाएंगे. हिमाचल में इस समय पौधों का सर्वाइवल रेट सत्तर फीसदी के करीब है. पोस्ट प्लांटेशन समीक्षा के लिए विभाग मैकेनिज्म तैयार करेगा. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट (forest survey of india report) में भी हिमाचल अपनी पोजीशन को और मजबूत करने के लिए तैयारी कर रहा है. सरकार का लक्ष्य फॉरेस्ट कवर 30 फीसदी बढ़ाने का है. इसके लिए सर्वाइवल रेट की ऑडिट प्रक्रिया भी काम आएगी.

हिमाचल में पौधरोपण (Plantation in Himachal) की शानदार परंपरा है. पिछले रिकॉर्ड के अनुसार हिमाचल ने वर्ष 2013-14 में 1.66 करोड़, वर्ष 2014-15 में 1.35 करोड़ और वर्ष 2015-16 में 1.22 करोड़ पौधे रोपे हैं. इसके बाद के समय में भी सालाना पौधे रोपने का औसत एक करोड़ पौधों से अधिक का ही है. इनका सर्वाइवल रेट भी अस्सी फीसदी से अधिक है. हिमाचल में औषधीय पौधों (medicinal plants in himachal) को रोपने का अभियान भी साथ-साथ चलता है.

औषधीय पौधों के तहत अर्जुन, हरड़, बहेड़ा और आंवला सहित अन्य पौधे रोपे जाते हैं. राज्य में जंगली फलदार पौधे भी रोपे जा रहे हैं. इसका मकसद बंदरों को वनों में ही आहार उपलब्ध करवाना है. आंकड़ों के अनुसार हिमाचल में सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं (Government and non-government organizations in Himachal) ने वर्ष 2013-14 में 45.30 लाख, वर्ष 2014-15 में 46.70 लाख और वर्ष 2015-16 में 43 लाख औषधीय पौधे लगाए हैं. इसके बाद के सीजन में भी औषधीय पौधों के रोपण का औसतन आंकड़ा यही है.


हिमाचल में कई तरह की वन योजनाएं (Forest scheme in Himachal) लागू हैं. ग्रीन कवर बढ़ाने के लिए पिछले साल 15,000 हेक्टेयर वन भूमि पर पौधा रोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. इससे पूर्व 2019 में ये लक्ष्य 9000 हेक्टेयर भूमि पर पौधरोपण का था. हिमाचल में सामुदायिक वन संवर्धन योजना, विद्यार्थी वन मित्र योजना, वन समृद्धि-जन समृद्धि योजना, एक बूटा बेटी के नाम योजनाएं चल रही हैं. इसके अलावा हर साल वन महोत्सव में भी पौधों का रोपण किया जाता है.

कार्बन क्रेडिट (carbon credit) हासिल करने वाले एशिया के पहले राज्य हिमाचल प्रदेश में तीन साल के अंतराल में पौधरोपण पर एक अरब रुपए से अधिक की रकम खर्च हुई है. तीन साल में कुल एक अरब, 91 करोड़, 77 लाख, 9814 रुपए खर्चे गए. पौधों की औसतन सर्वाइवल रेट 70 फीसदी के करीब रही. सरकार हर साल 33 करोड़ रुपए सालाना की रकम पौधे लगाने में खर्च कर रही है. फिलहाल वर्ष 2019 में जुलाई तक के आंकड़ों के अनुसार रोपे गए पौधों की सर्वाइवल रेट 100 फीसदी है. पिछले तीन वर्ष 7 महीने में 31623.30 हेक्टेयर भूमि पर पौधरोपण किया गया. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (forest survey of india) की वर्ष 2017 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के ग्रीन कवर में 2.67 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. यानी कुल 393 वर्ग किलोमीटर ग्रीन कवर बढ़ा है.

वर्ष क्षेत्रफल खर्च रेट
2016-17 9276.60 हेक्टेयर345536897.70 रुपए70 फीसदी
2017-18 8768.3 हेक्टेयर311065593.00 रुपए73 फीसदी
2018-199419.55 हेक्टेयर336076765.00 रुपए79 फीसदी
2019-204158.82 हेक्टेयर99100559.00 रुपए100 फीसदी

वन मंत्री राकेश पठानिया (Forest Minister Rakesh Pathania) ने कहा कि वन विभाग इस वर्ष रिकॉर्ड तोड़ पौधरोपण करने जा रहा है. उन्होंने कहा कि विभाग ने पंचायत स्तर से लेकर उच्च अधिकायों तक सबकी भागेदारी सुनिश्चित की है. इसके अलावा इस बार सरकार सर्वाइवल रेट का ऑडिट (survival rate of plantation) भी करेगा. विभाग इसके लिए पूरी योजना तैयार कर रहा है. विभाग सुनिश्चित करेगा कि जितने भी पौधे लगाए जाएं वो सभी सर्वाइव करें. पंचायत सरपंचों को भी इसकी जिम्मेदारी दी जाएगी.

ये भी पढ़ें: बरसात में खतरनाक हो जाते हैं पहाड़ और नदी-नाले, 2014 में उफनती सतलुज में समा गए थे हैदराबाद के 24 छात्र

ये भी पढ़ें: Apple State Himachal: सीएम जयराम सहित कई मंत्री और अफसर हैं बागवान

शिमला: हिमाचल प्रदेश में एक करोड़ पौधे रोपने का लक्ष्य लेकर चला वन विभाग पहली बार पौधरोपण की सर्वाइवल रेट का ऑडिट भी करेगा. इस साल प्रदेश में 14 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में एक करोड़ से अधिक पौधे रोपित किए जाएंगे. विभाग द्वारा नगर परिषदों और पंचायतों के प्रत्येक सदस्य को स्थानीय लोगों की सहायता से पौधरोपण के लिए 51 पौधे प्रदान किए जाएंगे. हिमाचल में इस समय पौधों का सर्वाइवल रेट सत्तर फीसदी के करीब है. पोस्ट प्लांटेशन समीक्षा के लिए विभाग मैकेनिज्म तैयार करेगा. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट (forest survey of india report) में भी हिमाचल अपनी पोजीशन को और मजबूत करने के लिए तैयारी कर रहा है. सरकार का लक्ष्य फॉरेस्ट कवर 30 फीसदी बढ़ाने का है. इसके लिए सर्वाइवल रेट की ऑडिट प्रक्रिया भी काम आएगी.

हिमाचल में पौधरोपण (Plantation in Himachal) की शानदार परंपरा है. पिछले रिकॉर्ड के अनुसार हिमाचल ने वर्ष 2013-14 में 1.66 करोड़, वर्ष 2014-15 में 1.35 करोड़ और वर्ष 2015-16 में 1.22 करोड़ पौधे रोपे हैं. इसके बाद के समय में भी सालाना पौधे रोपने का औसत एक करोड़ पौधों से अधिक का ही है. इनका सर्वाइवल रेट भी अस्सी फीसदी से अधिक है. हिमाचल में औषधीय पौधों (medicinal plants in himachal) को रोपने का अभियान भी साथ-साथ चलता है.

औषधीय पौधों के तहत अर्जुन, हरड़, बहेड़ा और आंवला सहित अन्य पौधे रोपे जाते हैं. राज्य में जंगली फलदार पौधे भी रोपे जा रहे हैं. इसका मकसद बंदरों को वनों में ही आहार उपलब्ध करवाना है. आंकड़ों के अनुसार हिमाचल में सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं (Government and non-government organizations in Himachal) ने वर्ष 2013-14 में 45.30 लाख, वर्ष 2014-15 में 46.70 लाख और वर्ष 2015-16 में 43 लाख औषधीय पौधे लगाए हैं. इसके बाद के सीजन में भी औषधीय पौधों के रोपण का औसतन आंकड़ा यही है.


हिमाचल में कई तरह की वन योजनाएं (Forest scheme in Himachal) लागू हैं. ग्रीन कवर बढ़ाने के लिए पिछले साल 15,000 हेक्टेयर वन भूमि पर पौधा रोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. इससे पूर्व 2019 में ये लक्ष्य 9000 हेक्टेयर भूमि पर पौधरोपण का था. हिमाचल में सामुदायिक वन संवर्धन योजना, विद्यार्थी वन मित्र योजना, वन समृद्धि-जन समृद्धि योजना, एक बूटा बेटी के नाम योजनाएं चल रही हैं. इसके अलावा हर साल वन महोत्सव में भी पौधों का रोपण किया जाता है.

कार्बन क्रेडिट (carbon credit) हासिल करने वाले एशिया के पहले राज्य हिमाचल प्रदेश में तीन साल के अंतराल में पौधरोपण पर एक अरब रुपए से अधिक की रकम खर्च हुई है. तीन साल में कुल एक अरब, 91 करोड़, 77 लाख, 9814 रुपए खर्चे गए. पौधों की औसतन सर्वाइवल रेट 70 फीसदी के करीब रही. सरकार हर साल 33 करोड़ रुपए सालाना की रकम पौधे लगाने में खर्च कर रही है. फिलहाल वर्ष 2019 में जुलाई तक के आंकड़ों के अनुसार रोपे गए पौधों की सर्वाइवल रेट 100 फीसदी है. पिछले तीन वर्ष 7 महीने में 31623.30 हेक्टेयर भूमि पर पौधरोपण किया गया. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (forest survey of india) की वर्ष 2017 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के ग्रीन कवर में 2.67 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. यानी कुल 393 वर्ग किलोमीटर ग्रीन कवर बढ़ा है.

वर्ष क्षेत्रफल खर्च रेट
2016-17 9276.60 हेक्टेयर345536897.70 रुपए70 फीसदी
2017-18 8768.3 हेक्टेयर311065593.00 रुपए73 फीसदी
2018-199419.55 हेक्टेयर336076765.00 रुपए79 फीसदी
2019-204158.82 हेक्टेयर99100559.00 रुपए100 फीसदी

वन मंत्री राकेश पठानिया (Forest Minister Rakesh Pathania) ने कहा कि वन विभाग इस वर्ष रिकॉर्ड तोड़ पौधरोपण करने जा रहा है. उन्होंने कहा कि विभाग ने पंचायत स्तर से लेकर उच्च अधिकायों तक सबकी भागेदारी सुनिश्चित की है. इसके अलावा इस बार सरकार सर्वाइवल रेट का ऑडिट (survival rate of plantation) भी करेगा. विभाग इसके लिए पूरी योजना तैयार कर रहा है. विभाग सुनिश्चित करेगा कि जितने भी पौधे लगाए जाएं वो सभी सर्वाइव करें. पंचायत सरपंचों को भी इसकी जिम्मेदारी दी जाएगी.

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